sidhi bus accident: सीधी बस हादसे के बाद बस ऑपरेटरों की दादागिरी, 26-27 को भोपाल, इंदौर और सागर में हड़ताल

ऑपरेटरों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन अपनी गलती छुपाने के लिए उन्हें निशाना बना रहा है. बस ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार ने इतने समय में बस व्यवसाय में हुए नुकसान को लेकर कुछ नहीं किया.

सीधी बस हादसे के बाद जहां एक तरफ प्रशासन सख्ती के मोड में नजर आ रहा है, तो वहीं बस ऑपरेटरों का रवैया भी बगावती हो गया है. बस ऑपरेटरों ने भोपाल, इंदौर और सागर संभागों में 26 और 27 फरवरी को बसें नहीं चलना का एलान कर दिया है. ऑपरेटरों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन अपनी गलती छुपाने के लिए उन्हें निशाना बना रहा है. बस ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार ने इतने समय में बस व्यवसाय में हुए नुकसान को लेकर कुछ नहीं किया.मंगलवार को भोपाल में हुई बैठक में बस संचालकों ने चालान की कार्रवाई के विरोध के अलावा तीन साल से किराया वृद्धि नहीं होने का भी मुद्दा उठाया.

बस ऑपरेटरों ने कहा प्रशासन जिम्मेदार

बस संचालकों ने मंगलवार को अपनी मीटिंग में कहा है कि सीधी बस हादसे के लिए पूरी तरह सतना और सीधी प्रशासन जिम्मेदार हैं. सतना में परीक्षा थी तो जिला कलेक्टर को पता होना चाहिए था कि उस रास्ते पर कितनी बसें चल रही हैं जबकि आसपास के जिलों का एक ही सेंटर था सतना. इसके बावजूद भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था यहां नहीं की गई. इसी के ही साथ यहां कि सड़क बहुत खराब थी. इसके बाद भी वहां पुलिस की कोई व्यवस्था नहीं की गई जो ट्रैफिक को कंट्रोल कर सके.

संचालकों ने कहा कि सरकार ने पिछले 10 सालों में किसी भी रास्ते की फ्रीक्वेंसी तय नहीं की है. आरटीओ असफर हर दो मिनट में परमिट जारी कर रहे है. ऐसे में बस स्टैंड पर समय पर पहुंचना और दो गाड़ियों के बीच समय का अंतर कम होना ही दुर्घटना की वजह है. अपने राजस्व और भ्रष्टाचार दोनों के कारण सरकार परमिट पर रोक नहीं लगा रही है और इल्जाम हम पर लगा रही है.

इस बैठक में भोपाल, सागर, होशंगाबाद, बैतूल, इंदौर के बस संचालक शामिल हुए थे. इसमें तेजेंदर सिंह, चरण जीत गुलाटी, मोहम्मद अख्तर, धर्मेंद्र उपाध्याय, अनीस खान, दीपेश विजयवर्गीय, गोपाल पैगवार, मुन्ने भाई, राजा कुरैशी, सलमान खान, अनूप सिंह गिल मौजूद रहे. बस सचालकों ने प्रशासन की चालानी कार्रवाई का विरोध किया है. बता दें कि सीधी में यात्रियों से भरी बस के नहर में गिर गई थी जिसमें 54 यात्रियों की मौत हो गई थी. इसी हादसे के बाद सरकार ने बसों की जांच का अभियान शुरू किया.

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