कस्टडी में मौत के आरोप में 16 साल सस्पेंड रहे थे सचिन वाजे, कुछ महीने पहले ही हुए थे बहाल
16 साल से सस्पेंड चल रहे सचिन वाजे को ठाकरे सरकार बनने पर 6 जून 2020 को मुंबई पुलिस में फिर से नियुक्त कर दिया गया था
उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के घर के बाहर विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो छोड़े जाने के मामले में शनिवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सचिन वाजे (Sachin Vaje) को गिरफ्तार कर लिया है. यह पहली बार नहीं है जब वाजे का नाम विवादों में आया है. 63 से ज्यादा एनकाउंटरों में शामिल सचिन वाजे (Encounter Specialist Sachin Vaje) आज से करीब 17 साल पहले 3 मार्च 2004 को भी सस्पेंड हुए थे. 16 साल तक सस्पेंड रहने के बाद 6 जून 2020 में उन्हें फिर से बहाल किया गया. जिसको लेकर BJP लगातार सवाल उठाती रही है.
मुंबई के घाटकोपर में 2 दिसंबर 2002 रेलवे स्टेशन पर एक ब्लास्ट हुआ था. इसमें 2 लोगों की मौत और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस मामले में सचिन वाजे और उनकी टीम ने डॉ मतीन, मुजम्मिल, जहीर और ख्वाजा यूनुस (Khwaja Yunus) को प्रिवेंशन ऑफ टेररिज्म एक्ट 2002 (POTA) के तहत गिरफ्तार किया था.
क्या था मामला
27 साल का ख्वाजा यूनुस महाराष्ट्र के परभणी (Parbhani) का निवासी था. वो पेशे से इंजीनियर था और दुबई में काम काम करता था. 28 नवंबर, 2002 को वह भारत लौटा था. 30 नवंबर को वो परभणी पहुंचा और 2 दिसंबर को घाटकोपर रेलवे स्टेशन पर धमाका हुआ था. यूनुस की मां आयशा बेगम (Aisha Begam) के अनुसार, यूनुस को 25 दिसंबर, 2002 को चिकलधारा से गिरफ्तार किया गया था.
अन्य आरोपियों के साथ उसे भी घाटकोपर पुलिस स्टेशन में रखा गया था. मामले की जांच घाटकोपर पुलिस स्टेशन और पवई पुलिस स्टेशन दोनों जगह हुई थी. आयशा बेगम ने हाईकोर्ट में बताया था कि दोनों जगहों पर यूनुस को प्रताड़ित किया गया. उनके अनुसार 6 जनवरी, 2003 को डॉ. मतीन, ख्वाजा यूनुस और जहीर से दोपहर 12.00 बजे से लगभग 1.30 बजे तक पूछताछ की गई थी. परिवार का आरोप था कि इसी दौरान यूनुस को बुरी तरह से टॉर्चर किया गया था. डॉ मतीन ने भी लॉकअप में टॉर्चर की बात दोहराई थी.
सचिन वाजे ने शिवसेना ज्वाइन कर ली थी
मतीन ने बताया था कि यूनुस 3-4 पुलिसकर्मियों ने बुरी तरह से पीटा था. उसके पेट पर लात मारी थी. इससे उसकी पसलियां टूट गई और जिससे उसे खून की उल्टी हुई थी. मतीन का कहना है की शायद तभी यूनुस की मौत हुई होगी. डॉ मतीन एक डॉक्टर थे और उन्होंने कई पोस्टमार्टम किए थे. जिससे उनकी गवाही को अदालत में बहुत महत्वपूर्ण माना गया था. डॉ मतीन के अनुसार यूनुस (Yunus) की मौत 6 जनवरी 2003 को दोपहर 2 बजे के बाद घाटकोपर पुलिस स्टेशन (Ghatkopar Police Station) में ही हुई थी.
उस दौरान मुंबई पुलिस की ओर से दावा किया गया था कि था की पूछताछ के लिए यूनुस औरंगाबाद ले जाते समय फरार हो गया था. सचिन वाजे और उनकी टीम ने बताया था कि ब्लास्ट केस में जांच के लिए वे यूनुस को मुंबई से औरंगाबाद ले जा रहे थे. उस दौरान लोनावाला (Lonavala) पुलिस स्टेशन में वे खाना खाने के लिए रुके थे. यहां से उनकी जीप जैसे ही आगे बढ़ी उसका एक्सीडेंट हो गया जिसमे यूनुस उन्हें चकमा देकर फरार हो गया था.
सचिन वाजे ने दिया था इस्तीफ़ा भी
जिसके बाद यूनुस की मां ने हाईकोर्ट में याचिका की और अदालत ने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी थी. CID की जांच में और डॉ. मतीन की गवाही से यह साफ हो गया था कि युनूस की मौत कस्टडी में हुई है. जिसके बाद 3 मार्च 2004 को हाई कोर्ट के आदेश पर सचिन वाजे, कांस्टेबल राजेंद्र तिवारी, सुनील देसाई और राजाराम निकम को सस्पेंड कर दिया गया था.
सस्पेंशन के तकरीबन 3 साल बाद सचिन वाजे ने महाराष्ट्र पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया. उनके खिलाफ चल रही जांचों के कारण उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया था. इसके ठीक अगले साल 2008 में सचिन वाजे ने दशहरा रैली के मौके पर बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) की मौजूदगी में शिवसेना (Shiv sena) ज्वाइन कर ली थी. ठाकरे सरकार बनने पर 6 जून 2020 को उन्हें मुंबई पुलिस में फिर से नियुक्त कर दिया गया. किरीट ने पूछा है कि आखिर गृह मंत्री अनिल देशमुख ने किस आधार पर सचिन वाजे को फिर से नियुक्त किया