MP के गांवों से ग्राउंड रिपोर्ट:80% लोग हुए बीमार, सब में दिखे कोविड जैसे लक्षण पर किसी को नहीं मिली दवा, काढ़े से कर रहे इलाज
सरकार ने किल कोरोना अभियान की शुरुआत की है। गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य विभाग को जांच करनी थी। कागजों में सब ठीक है। हकीकत इससे जुदा है। भिंड जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित गेंथरी गांव में पिछले एक महीने से बुखार फैला है। घर-घर में बुखार, सर्दी, जुकाम, खांसी से मरीज हैं। इस गांव में 80% लोगों को इस तरह के लक्षण थे, जो कि कोविड से मिलते हैं। फिर भी किसी की जांच के लिए गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं आई।
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों से गांव के लोग, सर्दी, जुकाम व खांसी बुखारी की सामान्य दवा मांगते रहे, लेकिन कोई भी दवा देने के लिए गांव नहीं पहुंचा। गांव के रामू पटेल का कहना था कि गांव में बीमारी फैली होने के बाद कोई जांच शुरू नहीं हुई। सभी अपने स्तर पर इलाज लिया। भास्कर की टीम ने जानी इस गांव की हकीकत। जानिए यहां का हाल…
सिर्फ नाम का क्वरैंटाइन सेंटर
हमने यहां सबसे पहले सड़क किनारे रहने वाले लोगों से बातचीत की। यहां रिजवान खान हैडपंप पर पानी भर रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव में बीमारी फैली है। लोग खांसी, सर्दी, जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं। इसके बाद जब उनसे पूछा कि आपने मास्क क्यों नहीं लगाया तो युवक का कहना था कि घर के बाहर हूं, इसलिए नहीं लगाया।
गेंथरी गांव में बाहर से लौटने वाले लोगों के लिए सरकारी स्कूल को क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया। यहां रहने वाले राजवीर सिंह कौरव का कहना है- मैं बीते दिनों ग्वालियर गया था। मैंने आकर सूचना दी। इसके बाद दो घंटे क्वारैंटाइन रखा फिर कहा आप जाओ घर। यह क्वारैंटाइन सेंटर एक दिन भी नहीं खुला। गांव में सैकड़ों लोग दूसरे शहरों से कोविड काल में वापस लौटे हैं।
सचिव श्रीकांत श्रीवास्तव का कहना है कि शासन के निर्देशानुसार गांव में सैनिटाइजेशन कराया जा रहा है। आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं। क्वारैंटाइन सेंटर में बंद इसलिए है, क्योंकि इस बार बाहर से कोई नहीं आया।
दवाओं के नाम पर सिर्फ झूठ
रतिराम का कहना है कि मैंने दबोह जाकर कोविड वैक्सीन लगवाई। यहां बुखार को लेेकर कोई दवा नहीं दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कहती हैं कि कोई पूछे तो बोल देना कि गोलियां मिल चुकी हैं। कप्तान सिंह का कहना है कि भिंड में जांच कराने पर मेरा भाई पॉजिटिव हुआ था। अब स्वस्थ हो चुका है। गांव में दो लोगों ने जांच कराई तो वे पॉजिटिव निकले।
बुखार आने पर नहीं हो रही जांच
दीनदयाल का कहना है कि गांव में बुखार तेजी से फैल फैल रहा है। पिछले साल कोरोना के दौरान घर-घर बुखार की जांच हुई थी। इस बार तेजी से बुखार फैला है। मैं बोल-बोल कर थक गया। किसी भी सरकारी कर्मचारी अधिकारी ने एक गोली तक नहीं दी।
मुरैना का छौंदा गांव: रिश्तेदारों से भी बनाई दूरियां, इसलिए एक भी संक्रमित नहीं
मुरैना शहर से 3 किलोमीटर दूर ग्वालियर मार्ग पर स्थित 3 हजार की आबादी वाला गांव है छौंदा। यहां एक भी संक्रमित नहीं है। संक्रमण से बचने के लिए गांव के लोग सावधानियां बरतते हैं। गांव में नियमित रूप से सैनिटाइजेशन होता है। गांव के लोग मुंह पर हमेशा मास्क लगाए रहते हैं। अब, लोग एक-दूसरे के पास अधिक नहीं बैठते हैं। अगर बात भी करते हैं तो दूरी बनाकर करते हैं।
कोरोना फैलने के बाद से ही रिश्तेदारियों में जाना पूरी तरह बंद कर दिया है। अगर किसी रिश्तेदार के यहां से बुलावा आता भी है तो इंकार कर देते हैं। इसके अलावा किसी रिश्तेदार को भी घर नहीं बुला रहे हैं।
गांव के पूर्व सरपंच लोकेन्द्र सिंह दण्डौतिया ने बताया, “गांव में अगर ग्वालियर या मुरैना से कोई आदमी आता है तो उससे गांव वाले दूर रहते हैं। इसके साथ ही उसे वापस जाने के लिए कहते हैं। गांव वालों का मानना है कि शहरों में अधिक संक्रमण फैला है।”