प्रयागराज में गंगाजल की होगी जांच:भारतीय विष विज्ञान संस्थान श्रृगवेरपुर, फाफामऊ और दारागंज घाट से लेगा नमूने; प्रवाहित शवों के प्रभावों का होगा मंथन
प्रयागराज में गंगा की रेती में दफनाए गए शवों से गंगाजल में क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है? इसकी जांच भारतीय विष विज्ञान संस्थान करेगा। संस्थान के वैज्ञानिकों की टीमें कानपुर और वाराणसी भी जाएंगी और गंगा से सैंपल एकत्र करेंगी। इस काम में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआइआर) और इंडियन इंस्टीट्यूट एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक भी सहयोग करेंगे।
गंगा घाटों पर एकत्र किए गए सैंपल को वैज्ञानिकों की टीम लखनऊ स्थित भारतीय विष विज्ञान संस्थान में लेकर जाएगी और जांच करेगी। पानी की जांच में देखा जाएगा कि गंगा के कगार और रेत में दफनाए गए शवों का पानी पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है। टीम यह रिपोर्ट प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय को भी सौंपेगी। यह टीम प्रयागराज में सोमवार को आ सकती है।
लॉकडाउन में गंगा में प्रदूषण का स्तर कम हुआ था
पिछले लॉकडाउन के समय गंगा में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग-धंधे बंद हो गए थे। गंगा में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया था। गंगाजल अप्रत्याशित रूप से साफ हो गया था। साफ गंगा के पानी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं। इसको देखते हुए देश-विदेश से लोग गंगा किनारे रहने वाले शहरों में अपने रिश्तेदारों और परिचितों से गंगाजल मंगा रहे थे। इस बार गंगा किनारे दफनाए गए शवाें की तस्वीरें वायरल होने के बाद लोग मां का हालचाल पूछ रहे हैं।
दैनिक भास्कर ने प्रकाशित थी खबर, तब हरकत में आई थी सरकार
दैनिक भास्कर में हजारों की संख्या में गंगा किनारे दफनाए गए शवों की खबर प्रकाशित होने के बाद सरकार हरकत में आई। शवों को गंगा में प्रवाहित करने और गंगा किनारे दफनाए जाने पर रोक लगाई गई। गंगा में गश्त बढ़ा दी गई। एसडीआरएफ-एनडीआरएफ, पीएसी गंगा घाटों पर लगा दी गईं। प्रशासन-पुलिस के अफसर भी गंगा किनारे घाटों पर मुस्तैद दिख रहे हैं। ऐसे में अब शवों के प्रवाहित करने और दफनाए जाने का सिलिसला तो रुक गया है पर बारिश के बाद कई शव खुल गए।
पानी में क्या होगा असर, टीम करेगी जांच
इसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि अभी बारिश में गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद जब गंगा में कटान होगी तो किनारे दफनाए गए शव गंगा में उतराने लगेंगे। ऐसे में सड़े-गले शवों का पानी में क्या असर होगा यह जांच का विषय हो गया है। इसी को देखते हुए यह टीम जांच के लिए आ रही है। हालांकि गंगा प्रदूषण को लेकर जागरूकता फैलाने और सरकार से लाखों रुपए अनुदान लेने वाली स्वयं सेवी संस्थाएं और सामाजिक संगठन गायब दिख रहे हैं।