आज आसमान में होंगे दो चमत्कार, जानिए ऐसा क्यों और कब होता है
ये साल 2021 का दूसरा सुपर ब्लडमून है और पहला सुपर ब्लडमून 26 अप्रैल को देखा गया था. 26 मई को जो ब्लडमून नजर आने वाला है उसे वैज्ञानिक सबसे बड़ा करार दे रहे हैं.
26 मई यानी आज एक अनोखी खगोलीय घटना देखने को मिलेगी. आज जहां साल का सबसे बड़ा ‘सुपर ब्लड मून’ नजर आने वाला है तो वहीं दो साल से ज्यादा समय के बाद पूरा चंद्रग्रहण भी लगने वाला है. चंद्रग्रहण हालांकि भारत में सिर्फ कुछ ही समय के लिए होगा और इसे नॉर्थ ईस्ट भारत के कुछ हिस्सों के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा के तटीय इलाकों और अंडमान निकोबार द्वीप में देखा जा सकता है.
आज होगा लाल रंग का चांद
ब्लड मून यानी आज आप लाल रंग के चांद को देख सकते हैं. भारत के मौसम विभाग की तरफ से बताया गया है कि चंद्रग्रहण दक्षिण अमेरिका, उत्तर अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अंर्टाकटिका, प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के क्षेत्रा में नजर आने वाला है. भारतीय समयानुसार आंशिक ग्रहण 3 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा तो पूर्ण चंद्रग्रहण 4 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगा और 4 बजकर 58 मिनट पर खत्म हो जाएगा. वहीं आंशिक ग्रहण 6 बजकर 23 मिनट पर खत्म होगा.
ढाई साल में आता है यह मौका
26 मई की घटना एक अनोखी घटना मानी जा रही है. चंद्र ग्रहण के दौरान दुनिया के कई हिस्सों में सुपर ब्लड मून नजर आना अपने आप में खास है. ऐसे में चंद्र ग्रहण लगेगा और चांद लाल रंग का नजर आएगा. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक 26 मई को पूरा चांद पृथ्वी की छाया में चला जाएगा. जब वो हमारे ग्रह की छाया में नहीं होगा तो वो पहले से बड़ा और चमकदार नजर आएगा.
ये साल 2021 का दूसरा सुपर ब्लडमून है और पहला सुपर ब्लडमून 26 अप्रैल को देखा गया था. 26 मई को जो ब्लडमून नजर आने वाला है उसे वैज्ञानिक सबसे बड़ा करार दे रहे हैं. सुपरमून और पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने की घटना ढाई साल में एक ही बार होती है.
करीब 14 से 15 मिनट तक आप इस आकाशीय घटना के साक्षी बन सकते हैं. इस वर्ष चार सुपरमून नजर आने वाले हैं. आज जो सुपर ब्लडमून नजर आएगा वो 15 फीसदी ज्यादा चमकदार और 7 फीसदी ज्यादा बड़ा होगा. इसे फ्लावर मून भी कहा जा रहा है क्योंकि मई का महीना वो समय होता है जब कई सारे फूल खिलते हैं और नॉर्थ पोल में ये बसंत का मौसम होता है.
क्या है सुपरमून और ब्लड मून
सुपरमून वह खगोलीय घटना है जिस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है इसलिए वो बड़ा दिखता है और 14 फीसदी अधिक चमकीला भी. इसे पेरिगी मून भी कहते हैं. चांद या किसी दूसरे उपग्रह की धरती से सबसे नजदीक वाली स्थिति को पेरिगी और सबसे दूर वाली स्थिति को अपोगी कहते हैं. चांद को सुपर मून तभी कहा जाता है जब वो धरती से 3,60,000 किलोमीटर या उससे कम की दूरी पर होता है.
कई लोग मानते हैं कि सुपरमून का असर काफी खराब होता है. उनका कहना है कि इसकी वजह से भूकंप, ज्वालामुखी का फटना, सूनामी, बाढ़ या खराब मौसम जैसी घटनाएं होती है. हालांकि अभी तक इस बात को साबित नहीं किया जा सका है. चांद का असर समुद्र की लहरों पर जरूर होता है, फूलमून और न्यूमून वो समय होते हैं जब समुद्र की लहरें तेज होती है. लेकिन पेरिगी की स्थिति में भी इनपर औसतन पांच सेंटीमीटर से अधिक का फ़र्क नहीं पड़ता
क्या है ब्लडमून
चंद्र ग्रहण के दौरान चांद पृथ्वी की छाया में चला जाता है. इसी दौरान कई बार चांद पूरी तरह लाल भी दिखाई देगा. इसे ब्लड मून कहते हैं. नासा के मुताबिक सूरज की किरणें धरती के वातावरण में घुसने के बाद मुड़ती हैं और फैलती हैं. नीला या वायलेट रंग, लाल या नारंगी रंग के मुकाबले अधिक फैलता है. इसलिए आकाश का रंग नीला दिखता है. लाल रंग सीधी दिशा में आगे बढ़ता है, इसलिए वो हमें सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त ही दिखाई देता है. उस वक्त सूर्य की किरणें धरती के वातावरण की एक मोटी परत को पार कर हमारी आंखों तक पहुंच रही होतीं हैं.
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई में नहीं आएगा नजर
भारत के ज्यादातर हिस्सों के लिए पूर्ण ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के लोग ब्लड मून नहीं देख पाएंगे. लेकिन कुछ हिस्सों में, ज्यादातर पूर्वी भारत के लोग केवल आंशिक चंद्र ग्रहण के अंतिम क्षणों के देख सकेंगे. खगोल वैज्ञानिक देबीप्रसाद दुआरी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया है, ‘देश के ज़्यादातर हिस्सों के लिए चांद पूर्वी क्षितिज के नीचे होगा, इसलिए वो ब्लड मून नहीं देख पाएंगे. लेकिन कुछ इलाकों में लोगों को आंशिक चंद्र ग्रहण के आखिरी कुछ पल देखने को मिल सकते हैं.’ दिल्ली, मुंबई, चेन्नई समेत देश के ज़्यादातर हिस्सों में लोग ग्रहण नहीं देख पाएंगे.