Twitter का विकल्प बन रहे देसी Koo को मिला बड़ा निवेश, एक साल में 60 लाख लोग कर चुके हैं डाउनलोड

नई फंडिंग का उपयोग मुख्य रूप से कू में सभी भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग, उत्पाद और सामुदायिक प्रयासों को मजबूत करने के लिए किया जाएगा।

नई दिल्ली। भारत का अपना माइक्रोब्लॉगिंग ऐप कू ने अब लंबी छलांग की तैयारी कर ली है। ट्वीटर के साथ विवाद के बीच भारतीयों से मिले तगड़े समर्थन के बीच कू ने सीरीज़ बी फंडिंग में $ 30 मिलियन यानि 200 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए हैं। नये निवेश की मदद से कू की वैल्यूएशन करीब 5 गुना बढ़कर 10 करोड़ डॉलर पहुंच गयी है।

किन निवेशकों ने किया निवेश

कई वीआईपी भी जुड़े हैं ‘कू’ से
ट्विटर के साथ विवाद के बीच कई नामी लोग कू के साथ जुड़े हैं। इसमें केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी वहीं अनुपम खेर, कंगना रनौत, ​​कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ, जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा, एनसीपी की सुप्रिया सुले खेल हस्तियों में साइना नेहवाल, भाईचुंग भूटिया, जवागल श्रीनाथ, मैरी कॉम, दीपक हुड्डा सहित कई अन्य भी शामिल हैं। कू की स्थापना उद्यमी अप्रमेय राधाकृष्ण (टैक्सीफॉरश्योर के संस्थापक), और मयंक बिदावतका ने की थी, जिन्होंने पहले मीडियाएंट और गुडबॉक्स जैसी कंपनियों की स्थापना की थी। कू के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “अगले कुछ वर्षों में हमारी दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में से एक में विकसित होने की आक्रामक योजना है। हर भारतीय हमें वहां जल्द पहुंचने के लिए उत्साहित कर रहा है। इस सपने को साकार करने के लिए टाइगर ग्लोबल सही भागीदार है। टाइगर ग्लोबल ने भारत के 20 यूनीकॉर्न में निवेश किया है। जिसमें फ्लिपकार्ट, ओला, रेजरपे आदि हैं।

क्या है कू की योजना
“नई फंडिंग का उपयोग मुख्य रूप से कू में सभी भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग, उत्पाद और सामुदायिक प्रयासों को मजबूत करने के लिए किया जाएगा। कू को मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं में एक माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच के रूप में बनाया गया था। यह ऐप कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है और भारत में विभिन्न क्षेत्रों के लोग इस ऐप पर अपनी मातृभाषा में खुद को व्यक्त कर सकते हैं

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