पानी की सप्लाई:शहर में 40 हजार अवैध नल कनेक्शन, 30 हजार कमर्शियल प्रॉपर्टी, लेकिन टैक्स घरेलू

  • दोगुना होता है कमर्शियल टैक्स इसलिए लोग करते हैं

शहर में कम से कम 40 हजार अवैध नल कनेक्शन हैं। लगभग 30 हजार लोग ऐसे हैं जिनकी प्रापर्टी का कोई न कोई व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, लेकिन वे प्रापर्टी टैक्स घरेलू दर पर ही दे रहे हैं। कमर्शियल प्रॉपर्टी टैक्स घरेलू की तुलना में दोगुना है। यही नहीं मौजूदा 47 हजार कमर्शियल प्रॉपर्टी में से भी केवल 11 हजार ने ही कमर्शियल लाइसेंस लिया है।

यदि इन सब गड़बडिय़ों को सुधार लिया जाए तो नगर निगम की माली हालत में काफी सुधार आ सकता है। और इस रेवेन्यू से शहर में डेवलमेंट के काम हो सकते हैं। कोई भी मकान या कांप्लेक्स के कंस्ट्रक्शन के बाद एक बार प्रापर्टी टैक्स का खाता खुलने के बाद ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि निगम का राजस्व अमला उनका नियमित निरीक्षण करे और उपयोग आदि में बदलाव पर नए सिरे से टैक्स की गणना हो। नतीजा शुरुआत में जो टैक्स तय हो गया, वही बरसों तक चलता रहता है।

  • घरों में चलते हैं ब्यूटी पार्लर, सांची पार्लर, हॉस्टल, किराना और टिफिन सेंटर
  • 36 हजार लोग ऐसे, जिनके पास नहीं है लाइसेंस, फिर भी कर रहे व्यवसाय
  • 03 बार हो चुका है आवासीय प्रॉपर्टी के व्यवासायिक उपयोग का सर्वे

व्यावसायिक उपयोग का सर्वे हुआ लेकिन नतीजा सिफर

नगर निगम राजस्व विभाग के अफसर बताते हैं कि पिछले 15 साल में कम से कम तीन बार आवासीय प्रॉपर्टी के व्यावसायिक उपयोग का सर्वे हो चुका है। घरों में कोचिंग सेंटर, होस्टल, पेइंग गेस्ट, टिफिन सेंटर, ब्यूटी पार्लर, सांची पार्लर, किराना या स्टेशनरी दुकान ही नहीं बल्कि प्रॉपर्टी कंसलटेंट और अन्य दफ्तर संचालित हो रहे हैं। यह लोग जीएसटी और अन्य टैक्स भी चुकाते हैं बिजली का बिल कमर्शियल रेट पर दे रहे हैं। लेकिन प्रॉपर्टी टैक्स घरेलू दर पर दे रहे हैं। सर्वे में ऐसी 25 हजार प्रॉपर्टी सामने आईं थींं।

पानी के कनेक्शन का प्रॉपर्टी से कोई संबंध नहीं, रिकॉर्ड भी नहीं
पानी के कनेक्शन का प्रॉपर्टी से कोई संबंध नहीं है। 40 हजार अवैध नल कनेक्शन हैं। यह लोग पानी का उपयोग तो कर रहे हैं, लेकिन नगर निगम में कोई रिकार्ड नहीं है। कुछ मामले तो ऐसे हैं जिनमें दुकानदार सार्वजनिक नल का उपयोग कर रहे हैं।

47 हजार कमर्शियल प्रॉपर्टी, सिर्फ 11 हजार के पास लाइसेंस
शहर में 47 हजार कमर्शियल प्रॉपर्टी हैं, लेकिन इनमें से 11 हजार ने ही व्यावसायिक लाइसेंस ले रखा है। यानी 36 हजार लोग तो ऐसे हैं जो कुछ न कुछ व्यवसाय कर रहे हैं, लेकिन लाइसेंस फीस नहीं दे रहे हैं।

अब निगम के सभी टैक्स का एक बिल आएगा

नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने कहा कि अब सभी टैक्स का एक बिल आएगा। पानी और प्रॉपर्टी टैक्स का एक ही बिल होने से यह आसानी से ट्रेस हो जाएगा कि किन प्रॉपर्टी पर पानी का कनेक्शन नहीं है। इसके बाद हम सर्वे करेंगे कि यह लोग पानी का उपयोग कैसे कर रहे हैं। व्यावसायिक लाइसेंस बनाने के लिए अभियान चलाया जाएगा।

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