7 साल बाद भी नहीं बदली तस्वीर:12 गांवाें में न पानी की लाइनें बिछीं और न सीवर की, पुलिया न बनने से बारिश में बंद हाे जाते हैं रास्ते
घर-घर तक पीने का पानी पहुंचाने के लिए वार्ड के किसी भी गांव में पानी की लाइनें नहीं बिछीं हैं। बड़ागांव के लोग बाजार से खुद पाइप खरीदकर लाए और नजदीक के सरकारी हैंडपंप पर मोटर डालकर पानी ले रहे हैं। यहां बिजली की केबिल की तरह पानी की लाइनें आसमान में झूल रहीं हैं। यहां पानी की दो टंकियां बनी हुई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन टंकियों में कभी पानी नहीं रहता है।
- पिछले 3 साल में लगभग 4 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी सिरोल वार्ड बेहाल
- नगर (गांवों) का हाल विकास की पड़ताल
प्रदेश सरकार ने सात साल पहले वार्ड 61 बनाकर जिन 12 गांवाें काे नगर निगम सीमा में शामिल किया, उनकी न तकदीर बदली और न तस्वीर। इस वार्ड के सिरोल गांव में जमीनाें की कीमतें आसमान छू रही हैं। यहां गगनचुंबी इमारतें बन चुकी हैं लेकिन इससे सटे अन्य गांवाें में न ताे पानी की लाइनें बिछाईं जा सकीं हैं और न सीवर लाइन। ग्रामीणों ने शहर की तर्ज पर विकास करने के लिए पार्षद चुनकर नगर निगम परिषद में भी पहुंचाया था।
उम्मीद थी कि शहर की कॉलोनियों की तरह सड़कें अच्छी होंगी, पानी घर-घर पहुंचेगा और रात में खंभों पर स्ट्रीट लाइट्स भी जल रही होंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। निगम में शामिल हाेने के बाद भी गांव अभी भी गांव जैसे ही हैं। इस वार्ड का बड़ागांव हाइवे पर चमकता है, लेकिन गांव में बनी पानी की टंकी सूखी हैं। लाेगाें ने अपनी सहूलियत के लिए हैंडपंपों में मोटर डालकर पानी के पाइप घर-घर तक डाल लिए हैं। ये पाइप लाइनें बिजली की केबल की तरह आसमान में लटकीं दिखाई देती हैं।
वार्ड के एक गांव जारगा का हाल बारिश में बेहाल हाे जाता है। इसका संपर्क पास के गांव नैनागिर से कट जाता है, क्याेंकि यहां दो साल बाद भी बरसाती नाले पर पुलिया बनाने का काम पूरा नहीं हुआ है। पूर्व पार्षद के गांव रमौआ में सड़कें कुछ ठीक हैं। दैनिक भास्कर ने वार्ड 61 के सभी गांवों का हाल जाना, पढ़िए रिपाेर्ट।
49.75 करोड़ की योजना कागजों पर तत्कालीन आयुक्त विनोद शर्मा ने जुलाई 2018 में 49.75 करोड़ रुपए की जल प्रदाय योजना बनाई थी। इसमें हर गांव में पानी की टंकी और घर-घर नल कनेक्शन के लिए लाइन डाली जानी थी। योजना को बाद मे सीएम की योजना में शामिल किया गया, लेकिन काम नहीं हुआ। अब जल शक्ति मिशन में योजना शामिल की जा रही है।
रमौआ.. उपस्वास्थ्य केंद्र के सामने गंदगी
रमौओ में स्वास्थ्य विभाग ने उप स्वास्थ्य केंद्र की इमारत पर सुंदर चित्रकारी कराई है, लेकिन यहां तक मरीजों के पहुंचने के लिए रास्ता ठीक नहीं है। केंद्र के सामने पूरे गांव की गंदगी बहती रहती है। यहीं पास में कचरे का ढेर लगता है। गांववासियों का कहना है कि 8-8 दिन तक कचरा नहीं उठता है। ऐसे में मरीज आने से कतराते हैं।
पूर्व पार्षद बाेलीं- कई बार परिषद में बात रखी फिर भी नहीं बिछ पाईप लाइन
पूर्व पार्षद पवन देवी कहती हैं कि वार्ड में सीवर और पानी की लाइन डालने के लिए परिषद में कई बार बात रखी। पांच साल में दोनों ही बड़े काम नहीं हो पाए। मोहनपुर में 7 बोरिंग कराईं। सभी सूखी निकल गईं। रमौआ बांध से जड़ेरूआ गांव तक सड़क पर भी काम नहीं हुआ।
2014 में सरकार ने छह नए वार्ड बनाकर 78 गांवों को नगर निगम में किया था शामिल
राज्य शासन ने जनवरी 2014 में राजपत्र में प्रकाशन कर शहर से सटे 78 गांवों को नगर निगम में शामिल किया था। छह नए वार्ड 61 से 66 तक बनाए गए थे। सात साल पहले नगर निगम परिषद के चुनाव में पार्षद चुनकर आए थे। ये पांच साल तक पार्षद बने रहे। इनमें चार महिला और दो पुरुष पार्षद बने थे।
इस साल 1.08 करोड़ रुपए से किए जाएंगे विकास कार्य
2021-22 के लिए वार्ड में 1.08 करोड़ का कार्य कराने का फैसला लिया गया है। इसमें ही सड़क, नाला निर्माण आदि के काम होंगे। 2020-21 में भी 1.08 करोड़ राशि के ही काम कराए गए। इससे पहले 2019-20 में 1.13 करोड़ के काम किए गए। जबकि 2018-19 में 1.72 करोड़ रुपए का विकास का काम हुए।
वार्ड में ये गांव हैं शामिल
खेरियामोदी, गणेशपुरा, बनारपुरा, खुरैरी, सिरोल, जारगा, नैनागिर, हषीपुरा, रमौआ, मोहनपुर, कोटा वोरान एवं बड़ागांव शामिल हैं।
सही है, पूरा विकास नहीं हुआ
नए वार्डों को अमृत प्रोजेक्ट में नहीं जोड़ा गया। यदि जोड़ा जाता तो पानी की समस्या दूर हो सकती थी। हालांकि दूसरी पेयजल योजना पर काम तेजी से होना चाहिए। सड़कें तो बनाई गईं लेकिन क्षेत्र का पूरा विकास नहीं हो पाया है। मैं इनके विकास के लिए पूरी कोशिश करूंगा।
-विवेक शेजवलकर, सांसद व पूर्व महापौर
जल जीवन मिशन में जोड़ेंगे काम
6 नए वार्डों में से जिनमें पानी और सीवर की दिक्कत है, वहां के लिए जल जीवन मिशन में प्रावधान किया जा रहा है। सड़कों को बनाने की भी योजना है।
-शिवम वर्मा, आयुक्त, नगर निगम