लखनऊ से दो करोड़ की नकली दवाएं बरामद:हिमाचल प्रदेश-देहरादून और अहमदाबाद की फैक्ट्री से आती थी नकली दवाएं, लखनऊ में बने गोदाम; रोडवेज बसों से पूरे UP में हो रही थी सप्लाई
- पकड़ी गईं 22 तरह की दवाओं को 25 लाख में खरीदा गया था, बाजार में दो करोड़ रुपए में सप्लाई किया जाता था।
- कानपुर क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार, तब हुआ खुलासा
लखनऊ में ताबड़तोड़ छापेमारी करके कानपुर क्राइम ब्रांच ने बीते मंगलवार को नकली और नशीली दवाओं का जखीरा बरामद किया है। इसके साथ ही दो आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है। पकड़ी गईं 22 तरह की दवाओं को 25 लाख में खरीदा गया था, लेकिन बाजार में इन्हें दो करोड़ रुपए में सप्लाई किया जाता था। नकली और नशीली दवा के कारोबार से जुड़े सभी रातोरात करोड़पति हो गए थे। अब पुलिस इन सभी के खाते भी खंगाल रही है। सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही खाते सीज करके काली कमाई से खरीदी गई संपत्ति भी कुर्क की जाएगी। अब क्राइम ब्रांच की टीमें नकली दवाओं के मैन्युफैक्चरर को दबोचने के लिए छापेमारी शुरू कर चुकी हैं।
ज्यादा डिमांड वाली 22 तरह की नकली दवाएं बरामद
क्राइम ब्रांच ने सोमवार (21 जून) को कानपुर में नकली दवाओं के साथ दबौली टेंपो स्टैंड के पास रहने वाले पिंटू गुप्ता उर्फ गुड्डू और बेकनगंज निवासी आसिफ मोहम्मद खान को गिरफ्तार किया था। इन दोनों से मिले इनपुट के आधार पर मंगलवार (22 जून) को लखनऊ में छापेमारी की। इस दौरान अमीनाबाद थानाक्षेत्र के कसाईबाड़ा और भानुमति चौराहा मॉडल हाउस के पास से दो गोदामों से 2 करोड़ की नकली और नशीली दवाएं बरामद की हैं। इसके साथ ही गिरोह से जुड़े तीसरे अभियुक्त किदवई नगर निवासी सचिन यादव को गिरफ्तार कर लिया। गोदाम से जांच के दौरान 22 तरह की नकली दवाइयां बरामद हुई हैं।
15 प्रमुख मेडिकल स्टोर संचालक चिह्नित
इसके साथ ही 15 प्रमुख मेडिकल स्टोर संचालकों को भी चिह्नित किया है। जहां पर नकली दवाओं को खपाया जा रहा था। बरामद हुई दवाओं की जांच के लिए डबल सैंपलिंग कराई है। एक सेट जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जाएगा। जबकि दूसरे सेट को संबंधित कंपनी की लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा। नामचीन कंपनियों की लैब से पता चल जाएगा कि बरामद हुई दवा में कितने फीसद साल्ट है। पुलिस की छानबीन सामने आया है कि सरगना के ऊपर कुछ समय पहले करीब 50-60 लाख रुपए का कर्ज था। नकली दवा के कारोबार करने के बाद कर्ज में डूबा मनीष रातो-रात करोड़ों का मालिक बन गया है। पुलिस मनीष के खाते खंगालने में जुटी है।
ये दवाएं हुई बरामद
टैक्सिम, आइटी मैक, क्रूसेफ, पेंटाप, डीएसआर, जिफी, ड्यूनेम, कानफेक, एजीरिस, शेलकोल, ओमेज, मोनोसेफ, वेजीथ्रो, नोवार्टिस, डेका ड्यूराबोलिन, एसीलॉक डी, वीसेफ, वी मॉक्सो, मेफटालपस समेत अन्य दवाओं को बरामद किया है।
पारले-जी और कैडबरी था नकली दवाओं का कोडवर्ड
क्राइम ब्रांच पकड़े गए आरोपी मनीष यादव के व्हाट्सएप जांच से पता चला कि शातिर ने नकली और नशीली दवाओं का कोडवर्ड पारले-जी और कैडबरी रख रखा था। इसी नाम पर ऑर्डर बुक करता था। इतना ही नहीं इसी के नाम से पर्चे आदि बनाए जाते थे। इससे किसी को शक नहीं होता था। नकली एंटीबायोटिक टेबलेट जिफी को शातिर पार्ले जी और पेनटाप दवा का कोडवर्ड कैडबरी रखा था।
हिमांचल प्रदेश, देहरादून, रुड़की और अहमदाबाद में बन रही नकली दवाएं
क्राइम-ब्रांच की जांच में सामने आया कि हिमांचल प्रदेश, देहरादून, रुड़की और अहमदाबाद में नकली दवाएं बन रही हैं। वहां से लखनऊ के गोदाम में दवाएं लाई गई थी। नकली दवाओं के सरगना मनीष यादव ने बताया कि पांच-छह साल से नकली दवाओं के कारोबार में लिप्त है। नकली दवाएं भी दो तरह से तैयार की जाती है। जिसके तहत एक पूरी तरह से नकली दवा होती है। जिसमें खडिय़ा के सिवा कुछ और नहीं होता। वहीं दूसरी नकदी दवाओं में दस से 20 फीसद ही साल्ट का इस्तेमाल किया जाता है। गिरोह के सदस्य अलग-अलग साल्ट की दवाएं उत्तराखंड के देहरादून, मेरठ, मुजफ्फरनगर, हिमांचल के बद्दी से नकली दवाएं बनवाते थे।
दवा की डिमांड देख बनवाते थे नकली दवा
शातिर दिमाग मनीष ने बताया कि बाजार में जिस दवा की डिमांड ज्यादा होती थी, उसकी नकली दवाएं बनाकर कम दाम में सप्लाई करते थे। बाजार में डिमांड होने से रातो-रात दवाओं की सप्लाई हो जाती थी। कोरोना काल में एंटीबायोटिक दवाओं की मांग बढऩे पर आरोपितों ने नकली एंटीबायोटिक जिफी बनवाई थी। जो देखने में हू बहू असली दवा की तरह थी।
रोडवेज बस से करते थे नकली दवाओं की सप्लाई
अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि पिंटू गुप्ता उर्फ गुड्डू लखनऊ से इन दवाओं को लाकर आसिफ मोहम्मद खान उर्फ मुन्ना को सौंपता था। इसके बाद कानपुर से रोडवेज बसों के जरिए प्रयागराज, वाराणसी, बलिया, बहराइच, बस्ती समेत यूपी के कई जिलों में सप्लाई की जा रही थी।