UP: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर फर्जी डिग्री के जरिए चुनाव लड़ने और पेट्रोल पंप हासिल करने का आरोप, RTI एक्टिविस्ट ने की FIR दर्ज करने की मांग

याचिकाकर्ता का आरोप है कि उन्होंने कई सरकारी अधिकारियों को केशव मौर्य (Keshav Prasad Maurya) की डिग्री के मामले में एप्लिकेशन दी लेकिन किसी ने भी कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

यूपी में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) नजदीक आते ही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो गई है. राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Maurya) की डिग्री को लेकर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं. उन पर फर्जी डिग्री (Fake Degree) के बल पर चुनाव लड़ने और पेट्रोल पंप हासिल करने का आरोप है. डिप्टी सीएम के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर की मांग की गई है.

लोकल मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया गया. जिसके बाद कोर्ट ने संबंधित थाने से मामले में रिपोर्ट तलब की है. अब 27 जुलाई को मामले में अगली सुनवाई होगी. इस मामले की सुनवाई एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने कैंट थाना प्रभारी को आरोपों की जांच के बाद रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. साथ की केशव मौर्य (Deputy CM Keshav Maurya) के खिलाफ दर्ज किसी भी केस के बारे में भी उन्होंने पूछताछ की. इसके साथ ही ऑफिस को भी निर्देश दिया गया है कि 27 जुलाई को सुनवाई के दौरान प्रार्थना पत्र पेश किया जाए.

RTI एक्टिविस्ट ने दायर की याचिका

कोर्ट में संबंधित प्रार्थना पत्र करबला के रहने वाले RTI एक्टिविस्ट दिवाकर त्रिपाठी ने दायर किया है. कोर्ट से उन्होंने मांग की है कि इस मामले में कैंट थाना प्रभारी को आदेश दिया जाए कि पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज कर की जाए. यूपी के डिप्टी सीएम की डिग्री को लेकर फिर सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होने पहली बार 2007 में विधानसभा चुनाव लड़ा था. उन्होंने अपने एजुकेशनल सर्टिफिकेट में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी पहली और दूसरी साल की डिग्री लगाई. हालांकि ये डिग्री किसी बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है. इन्हीं डिग्रियों के आधार पर उन्होंने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन से पेट्रोल पंप की प्राप्त किया था.

‘सरकारी अधिकारियों ने नहीं की कार्रवाई’

कोर्ट में याचिका दायर कर ये भी आरोप लगाया गया है कि उनके प्रमाण पत्र में अलग-अलग साल लिखे हुए हैं, जो कि मान्यता प्राप्त भी नहीं है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि उन्होंने कई सरकारी अधिकारियों को इस मामले में एप्लिकेशन दी लेकिन किसी ने भी कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा

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