‘प्यासा कुएं तक जाता है’, सिद्धू के बयान पर खफा किसानों ने दिखाए काले झंडे
किसानों के एक समूह ने पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को रूपनगर में शनिवार को काले झंडे दिखाए। सिद्धू रूपनगर में एक गुरुद्वारे में मत्था टेकने पहुंचे थे।
रूपनगर: किसानों के एक समूह ने पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को रूपनगर में शनिवार को काले झंडे दिखाए। सिद्धू रूपनगर में एक गुरुद्वारे में मत्था टेकने पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों ने सिद्धू के खिलाफ उनकी ‘प्यासा कुंए तक जाता है’ टिप्पणी के लिए नारे लगाए। शुक्रवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के दौरान उन्होंने अपने संबोधन के दौरान यह टिप्पणी की थी। सिद्धू ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी को गलत समझा गया है और गलत परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है।
‘प्यासा कुएं तक जाता है, कुआं प्यासे के पास नहीं जाता है’
कांग्रेस नेता ने कहा कि वह किसानों का बहुत सम्मान करते हैं और दिल और आत्मा से उनका समर्थन करते हैं। शुक्रवार को सिद्धू ने कहा था, ‘मैं किसान मोर्चा के लोगों, मेरे बड़ों (किसानों) से कहता हूं कि प्यासा कुएं तक जाता है। कुआं प्यासे के पास नहीं जाता है। मैं आज आपको (किसानों को) आमंत्रित करता हूं। मै आपसे मिलना चाहता हूं।’ इस बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) ने सिद्धू की टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा कि इससे ‘अहंकार की गंध आती है।’
‘सिद्धू ने किसानों के पक्ष में खड़े होने के लिए शर्त रखी’
आम आदमी पार्टी की प्रदेश किसान इकाई के प्रमुख एवं विधायक कुलतार सिंह संधवानी ने एक बयान में कहा, ‘यह अफसोस की बात है कि एक ओर नवजोत सिद्धू ने अपने अहंकार को मारने की घोषणा की और दूसरी ओर, किसानों के पक्ष में खड़े होने के लिए उन्होंने यह भी शर्त रखी कि प्यासे (किसानों) को कुएं (सिद्धू) के पास आना होगा क्योंकि कुआं प्यासे के पास नहीं जाता है।’ संधवान ने सिद्धू से अपील की कि वह अपनी टिप्पणी के लिए तुरंत माफी मांगें क्योंकि किसान देश के ‘अन्नदाता’ हैं
‘किसान जहां भी बुलाएंगे हम उनसे मिलने नंगे पांव जाएंगे’
सिद्धू ने चमकौर साहिब में शनिवार को कहा कि उनके लिए संयुक्त किसान मोर्चा की ‘जीत’ शीर्ष प्राथमिकता है और केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान जहां भी उन्हें बुलाएंगे उनसे मिलने वह ‘नंगे पांव’ जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों का संघ है। किसान पिछले वर्ष नवंबर से ही कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।