संगठित अपराध पर नियंत्रण के लिए MP की शिवराज सरकार लाएगी UP जैसा गैंगस्टर एक्ट
प्रदेश में अवैध व मिलावटी शराब, मानव तस्करी, नकली दवा, अवैध हथियारों का निर्माण-व्यापार और अवैध खनन जैसे संगठित अपराधों पर सख्ती के साथ नियंत्रण के लिए शिवराज सरकार गैंगस्टर एक्ट लाएगी। यह उत्तर प्रदेश के गुंडा नियंत्रण अधिनियम की तरह होगा। इसमें कुछ प्रविधान महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट के भी शामिल किए जा सकते हैं। इसमें पुलिस को ज्यादा अधिकार मिलेंगे। पूछताछ के लिए रिमांड अवधि 50 दिन तक हो सकती है। आरोपित की संपत्ति जब्त करने का अधिकार मिलेगा। उसे जमानत भी आसानी से नहीं मिल पाएगी।
प्रदेश में पिछले दिनों अवैध रेत खनन और मिलावटी शराब से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। मिलावटी शराब का कारोबार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए विधानसभा के मानसून सत्र में आबकारी अधिनियम संशोधन विधेयक भी प्रस्तुत किया जा रहा है। इसमें मिलावटी शराब के सेवन से किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर आरोपित को मृत्युदंड की सजा का प्रविधान रहेगा।
इसके साथ ही संगठित अपराध पर नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर गुंडा नियंत्रण अधिनियम सख्त कानून लागू करने की तैयारी है। दरअसल, मौजूदा प्रविधानों में आरोपितों को राहत मिल जाती है। जबकि, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में जो प्रविधान हैं, उनमें पुलिस को कई अधिकार मिले हुए हैं। उनमें आसानी से जमानत नहीं मिल पाती है। पुलिस को पूछताछ के लिए अतिरिक्त समय भी मिलता है।
यही वजह है कि शिवराज सरकार ने सख्त कानून बनाकर संगठित अपराध पर नकेल कसने की तैयारी शुरू की है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर गृह विभाग अधिनियम बनाने के लिए सक्रिय हो गया है। इस संबंध में विधि विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक भी हो चुकी है। अपर मुख्यसचिव डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस विषय पर काम शुरू हो गया है।
गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस अधिनियम के दायरे में वे सभी अपराध शामिल किए जाएंगे, जिसमें एक से अधिक व्यक्ति भूमिका होती है। मानव तस्करी, जाली नोट, नकली दवाओं का व्यापार, अवैध हथियारों का निर्माण और व्यापार, अवैध खनन, मिलावटी शराब का कारोबार, फिरौती के लिए अपहरण जैसे अपराधों को इस श्रेणी में रखा जाएगा। विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद इसे केंद्र सरकार को अनुमति के लिए भेजा जाएगा।
माना जा रहा है कि संगठित अपराध पर अंकुश लगाने में प्रदेश सरकार के इस कदम को केंद्र सरकार का भी साथ मिलेगा। यदि नौ अगस्त से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र तक यह तैयार हो जाता है तो इसे प्रस्तुत किया जा सकता है अन्यथा यह नवंबर-दिसंबर के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।