8 अगस्त को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगांठ पर शुरू होगा ‘भारत जोड़ो आंदोलन’
नई दिल्ली: 25 जुलाई को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जनता से भारत जोड़ो आंदोलन शुरू करने करने के लिए कहा था। इसके लिए 1860 में बने इंडियन पीनल कोड, 1861 में बने पुलिस ऐक्ट, 1863 में बने रिलिजियस एंडोमेंट ऐक्ट और 1872 में बने एविडेंस एक्ट सहित सभी 222 अंग्रेजी कानूनों को खत्म करने तथा भारत में समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान कर संहिता, समान दंड संहिता, समान श्रम संहिता, समान पुलिस संहिता, समान न्यायिक संहिता, समान नागरिक संहिता, समान धर्मस्थल संहिता और समान जनसंख्या संहिता लागू करने के लिए भारत जोड़ो आंदोलन का शुभारंभ हो रहा है। 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर भारत जोड़ो आंदोलन की शुरूआत होगी।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और पीआईएल मैन के नाम से प्रसिद्ध अश्विनी उपाध्याय भारत जोड़ो आंदोलन शुरू करेंगे। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस वीके शुक्ला और जस्टिस सखाराम यादव, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डॉक्टर आनंद कुमार और विक्रम सिंह, वरिष्ठ नौकरशाह आर वीएस मणि और संजय दीक्षित, मेजर जनरल एस पी सिंहा और लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी, सामाजिक कार्यकर्ता भाई प्रीत सिंह और अनिल चौधरी, आध्यात्मिक गुरु पवन सिंहा, स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, महंत सुरेंद्र नाथ, स्वामी यतींद्रानंद गिरी और महाभारत में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
भारत जोड़ो अभियान के संयोजक अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि जब तक घटिया 222 अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होंगे, तब तक जातिवाद भाषावाद क्षेत्रवाद अलगाववाद कट्टरवाद मजहबी उन्माद माओवाद नक्सलवाद तुष्टीकरण और राजनीति का अपराधीकरण कम नहीं होगा। जब तक घटिया 222 अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होंगे, तब तक चोरी, लूट, झपटमारी, घूसखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी, कालाबाजारी, कमीशनखोरी, मुनाफाखोरी, मानव तस्करी, नशा तस्करी, चंदन तस्करी, हवाला, कारोबार, कालाधन और बेनामी संपत्ति कम नहीं होगी। जब तक घटिया अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होगा, तब तक रोहिंग्या बांग्लादेशी घुसपैठ और साम दाम दंड भेद द्वारा धर्मांतरण समाप्त नहीं होगा।
उपाध्याय ने कहा कि 1861 का पुलिस ऐक्ट महा घटिया है। इस घटिया कानून के कारण पुलिस पहले अंग्रेजों की गुलामी थी और अब सत्ताधारी पार्टी की गुलाम है। 1990 में कश्मीर में दिनदहाड़े हत्या हुई थी, बहन बेटियों के साथ बलात्कार हुआ था, खुलेआम घर जलाया गया था और पलायन करने के लिए मजबूर किया गया था, लेकिन पुलिस ने हवाई फायरिंग भी नहीं की। आज तक कश्मीर के गुनाहगारों को सजा भी नहीं हुई। 1990 में कश्मीर के महा नरसंहार का मूल कारण 1861 में बना घटिया पुलिस ऐक्ट है। जो कुछ 1990 में कश्मीर में हुआ था, वह सब कुछ दिन पूर्व बंगाल में भी हुआ, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही, क्योंकि 1861 में बना पुलिस ऐक्ट बंगाल में भी लागू ह
उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेजों ने 1863 में रिलिजियस एंडोमेंट ऐक्ट बनाकर हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख के धर्मस्थलों पर कब्जा कर लिया और वह कानून आज भी चल रहा है। आज भारत के 4 लाख मंदिरों पर सरकार का कब्जा है, लेकिन एक भी मस्जिद, चर्च, मजार या दरगाह सरकार के कंट्रोल में नहीं है, इसीलिए अंग्रेजी कानूनों को बदलना नितांत आवश्यक है।
उपाध्याय ने कहा कि डॉक्टर तो अच्छा है, लेकिन दवा घटिया है, वैद्य अच्छा है, लेकिन जड़ी बूटी खराब है, मिस्त्री अच्छा है, लेकिन बिल्डिंग मटेरियल घटिया है, सर्जन अच्छा है, लेकिन आपरेशन के इंस्ट्रूमेंट बेकार है इसीलिए अपेक्षित परिणाम नहीं आ रहा है।
उपाध्याय ने कहा कि देश को जोड़ने के लिए अंग्रेजी कानूनों को समाप्त करना तथा एक देश-एक पाठ्यक्रम, एक देश-एक शिक्षा बोर्ड, एक देश-एक दंड संहिता, एक देश-एक कर संहिता, एक देश-एक पुलिस संहिता, एक देश-एक मजदूर संहिता, एक देश-एक न्यायिक चार्टर, एक देश-एक सिटीजन चार्टर, एक देश-एक नागरिक संहिता और एक देश-एक चिकित्सा संहिता लागू करना नितांत आवश्यक है। जब हम 2020 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाए, उस समय भारत में एक भी अंग्रेजी कानून नहीं होना चाहिए, क्योंकि जब तक नया कानून नहीं बनेगा तब तक नया भारत नहीं बनेगा।