ग्वालियर में यूपी से आ रहे 10 से 15% बीमार बच्चे, कौन सी जांच हाेगी यह भी अभी तय नहीं

  • यूपी में वायरल से अब तक 125 बच्चों की जान जा चुकी है, ग्वालियर चंबल अंचल में बीमार बच्चे बढ़ रहे हैं, इसके बाद भी यहां जांच नहीं
  • कमलाराजा में बच्चों के 16 बिस्तर के आईसीयू में 62 भर्ती

ग्वालियर-चंबल अंचल से सटे यूपी के आगरा व अन्य शहराें से ग्वालियर के जयाराेग्य चिकित्सालय में 10 से 15 फीसदी बच्चे इलाज के लिए आते हैं। इसके बाद भी यहां इन बीमार बच्चाें की काैन सी जांच हाेना है, यह तक तय नहीं है। यहां कमलाराजा चिकित्सालय (केआरएच) के पीडियाट्रिक वार्ड में 225 बच्चे भर्ती हैं।

इनमें से 62 ताे आईसीयू में हैं। याद रहे कि आगरा में डेंगू और वायरल के चलते 154 लाेगाें की माैत हाे चुकी है। इनमें 125 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। बच्चों के बड़े निजी अस्पताल के संचालक डॉ. दीपक अग्रवाल का भी कहना है कि उनके यहां 10 से 15 फीसदी बीमार बच्चे उत्तरप्रदेश से आते हैं। अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य चिकित्सालय की ओपीडी में बुधवार को 164 बीमार बच्चे दिखाने आए। अब भी वार्डों की स्थिति यह है कि एक-एक बेड पर दो-दो बच्चे भर्ती हैं। बीमार बच्चों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।

जल्द उपलब्ध कराई जाएगी किट
जयारोग्य चिकित्सालय समूह में 10 से 15 फीसदी बीमार बच्चे उत्तरप्रदेश के समीपवर्ती जिलों से इलाज के लिए आते हैं। अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ ने जांच सुविधा शुरू करने पत्र लिखा है। वायरोलॉजीकल लैब के नोडल अधिकारी ने कहा है कि किट उपलब्ध करा दी जाए तो वह जांच शुरू कर देंगे। जल्द उन्हें किट उपलब्ध करा दी जाएगी।
डॉ. देवेंद्र सिंह कुशवाह, सहायक अधीक्षक व मीडिया प्रभारी जेएएच

किट आने तक बाहर भेजेंगे सैंपल
जीआरएमसी के अधिकारियों से बात की है। किट मंगवाई जा रही है, जल्द ही बच्चों में वायरस का पता लगाने के लिए जांच यहीं शुरू हो जाएगी। तब तक सैंपल बाहर भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए हैं। सिविल अस्पताल और जिला अस्पताल में पीडियाट्रिक आईसीयू का काम जल्द से जल्द खत्म करने के लिए ठेकेदार से कहा है। अन्यथा उस पर कार्रवाई करेंगे।
-कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर

जयारोग्य चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ का कहना है कि उनके यहां इलाज के लिए के लिए उत्तरप्रदेश से भी काफी मरीज आते हैं। इसीलिए उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए माइक्रो बायोलॉजी की विभागाध्यक्ष से कमलाराजा अस्पताल में भर्ती होने वाले गंभीर बच्चों को कौन सा वायरस है इसकी जांच कराने के लिए पत्र लिखा था। अब माइक्रो बायोलॉजी की विभाग से एक पत्र अधीक्षक कार्यालय में आया है जिसमें कहा गया है कि पीडियाट्रिक विभागाध्यक्ष द्वारा मरीजों की आवश्यकतानुसार कौन-कौन सी जांचें चाही गई हैं। इसकी जानकारी भिजवाएं ताकि जांचों के लिए आवश्यक किट उपलब्ध कराने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को मांग पत्र भेजा जा सके।

जिले में सिर्फ केआरएच में ही 16 बिस्तर का बच्चों का आईसीयू, बेड बढ़ाने का प्रस्ताव कागजों में: जिले में 18 साल से कम उम्र के करीब 9 लाख बच्चे हैं। इनके इलाज के लिए वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 16 बिस्तर का पीडियाट्रिक आईसीयू कमलाराजा चिकित्सालय में है। बुधवार को यहां 62 बच्चे भर्ती थे। स्थिति यह है कि एक-एक बेड पर दो से तीन बच्चे भर्ती हैं। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए जेएएच अधीक्षक ने 90 बिस्तर का पीआईसीयू बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। इसे लेकर भोपाल से अभी कोई आदेश नहीं आए हैं। लिहाजा आदेश कागजों में ही सिमट कर रह गया है।

स्क्रब टाइफस की जांच की नहीं है सुविधा: स्क्रब टाइफस नामक गंभीर बीमारी से जबलपुर में एक मरीज की मौत हो चुकी है। स्क्रब टाइफस की जांच की सुविधा वर्तमान में ग्वालियर-चंबल में कहीं नहीं है। जीआरएमसी के माइक्रो बायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. सविता भरत का कहना है कि अगर संदिग्ध मरीज आते हैं तो जांच की सुविधा शुरू कराएंगे।

किट मिलते ही शुरू करेंगे जांच
वायरोलॉजीकल लैब में मोलीक्यूलर(सीपीआर) और सीरोलॉजी की जांच की सुविधा उपलब्ध है। अगर किसी विशेष वायरस की जांच के लिए उच्च अधिकारी किट उपलब्ध करा देते हैं तो मरीज हित में किट मिलने के बाद शीघ्र अतिशीघ्र जांच शुरू कर दी जाएगी।
डॉ. वैभव मिश्रा, नोडल अधिकारी वायरोलॉजीकल लैब

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