भाजपा के 8 यूपी प्रभारियों की चुनावी ताकत:पांच राज्यों का चुनाव करा चुके हैं धर्मेंद्र प्रधान, अनुराग ने आतंक के साए में संभाली थी चुनावी बागडोर, सरोज के नाम कई सियासी रिकॉर्ड
- उत्तर प्रदेश में मिशन-2022 के लिए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने दो युवा कैबिनेट मंत्री, तीन केंद्रीय राज्यमंत्री समेत आठ सदस्यीय टीम मैदान में उतार दी है। सूत्रों का दावा है कि ये टीम संघ और भाजपा के बीच चले मंथन के बाद फाइनल की गई। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान टीम के अगुवा हैं। वे अब तक यूपी के पड़ोसी राज्य बिहार-उत्तराखंड के अलावा कर्नाटक, झारखंड और उड़ीसा जैसे बडे़ राज्यों के चुनाव मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उड़ीसा और झारखंड को छोड़कर बाकी तीन राज्यों में भाजपा सत्ता में है।
वहीं, चुनावी टीम में दूसरे नंबर पर नाम केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का है। वे हरियाणा के बाद बीते दिनों जम्मू और कश्मीर में हुए निकाय चुनाव में अपनी कुशलता को साबित कर चुके हैं। भाजपा ने चुनावी टीम के जरिए यूपी में जातीय और सियासी समीकरण साधने की पूरी कोशिश की है।
आइए जानते हैं टीम की खासियत, उनकी उपयोगिता और यूपी में लाने के पीछे भाजपा का गणित क्या है?
यूपी प्रभारी
- धर्मेंद्र प्रधान: 5 राज्यों में संगठन का काम करने का अनुभव
खासियत और उपयोगिता: धर्मेंद्र प्रधान 1983 में छात्र राजनीति के बाद अखिल भारतीय विधार्थी परिषद से जुडे़। उड़ीसा राज्य से आने वाले धर्मेंद्र प्रधान को हिंदी बाहुल्य क्षेत्र में लंबे समय तक संगठन का कार्य करने का अनुभव है। प्रधान 2004 से 2006 तक भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।
पार्टी महासचिव होने के अलावा उन्होंने बिहार में चुनाव प्रभारी और कर्नाटक, उत्तराखंड, झारखंड और ओडिशा में पार्टी मामलों के प्रभारी के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। अमित शाह के करीबी और ओबीसी वर्ग से आने वाले धर्मेंद्र प्रधान ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बिहार में भाजपा को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
यूपी कनेक्शन: पड़ोसी राज्य बिहार और उत्तराखंड के चुनाव मैनेजमेंट से मिले अनुभव का प्रभाव यूपी में डाल सकते हैं।
लॉजिक क्या: यूपी में सबसे ज्यादा ओबीसी वोट बैंक हैं। करीब 42 प्रतिशत के करीब ओबीसी वाले राज्य में अहम जम्मेदारी देकर वोटर्स पर प्रभाव डाल सकते हैं।
अब सह-प्रभारियों की बात
- अनुराग ठाकुर: सियासत और खेल, दोनों मैदानों में अच्छी पकड़
खासियत और उपयोगिता: 14वीं लोकसभा से अब तक चार सांसद चुने गए। अनुराग सियासी और क्रिकेट के मैदान दोनों जगहों पर खासे एक्टिव रहे हैं। हिमाचल के हमीरपुर सीट से सांसद अनुराग ठाकुर मोदी सरकार के युवा मंत्रियों में से एक हैं। वह वित्त राज्य मंत्री और BCCI के अध्यक्ष रह चुके हैं।
कैबिनेट विस्तार में अनुराग ठाकुर को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। अनुराग ठाकुर को सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया है, इसके साथ ही उन्हें युवा मामले और खेल मंत्रालय का अतरिक्त प्रभार भी दिया गया है।
यूपी कनेक्शन: अनुराग ठाकुर बीते 12 साल से लगातार सक्रिय हैं। यूपी की राजनीति को वह अच्छे से समझते हैं। युवा मोर्चा के कार्यकाल के समय उनके संपर्क में भाजपा के नेता रहे, जो आज भी उनके साथ कार्य कर रहे हैं और अनुराग ठाकुर क्षत्रिय वर्ग से आते हैं।
लॉजिक क्या: हरियाणा में भाजपा की सरकार बनवाने के पीछे अनुराग ठाकुर का नाम लिया जाता है। युवाओं में अनुराग ठाकुर खास पकड़ रखते हैं। जम्मू और कश्मीर के निकाय चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी निभाई थी।
- अर्जुनराम मेघवाल: यूपी में 20 फीसदी दलित वोटरों को रिझाएंगे
खासियत और उपयोगिता: राजस्थान में प्रशासनिक सेवा आईएएस से सेवानिवृत्त होने के बाद 2009 में लोकसभा चुनाव लड़े। दलित वर्ग से आने वाले अर्जुनराम मेघवाल यूपी के पड़ोसी राज्य के होने की वजह से उन्हें प्रबंधन की समझ है। वह तीसरी बार सांसद चुने गए हैं।
यूपी कनेक्शन: यूपी में दलितों की संख्या 20 प्रतिशत के करीब हैं, ऐसे में बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए सरल और प्रशासनिक सेवा से जुड़े रहे अर्जुनराम मेघवाल को चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई है।
लॉजिक क्या: अर्जुनराम मेघवाल कम समय में यूपी की राजनीति में दलित वोटर्स को भाजपा की तरफ जोड़ने समझाने के लिए सफल हो सकते हैं।
- शोभा करंदलाजे: संघ और संगठन में काम करने का अच्छा अनुभव
खासियत और उपयोगिता: शोभा लंबे समय से संघ में कार्य कर रही हैं। संघ और संगठन में कार्य करने का बड़ा अनुभव है। ऐसे में यूपी में महिला संगठन के साथ शोभा कार्य कर सकती हैं।
यूपी कनेक्शन: महिला मोर्चा की कार्यकारिणी पर शोभा करंदलाजे की मजबूत पकड़ है। यूपी में महिलाओं की विंग पर उनकी लंबे समय से बराबर नजर है। यूपी जैसे बड़े राज्य में महिलाओं में अपनी सरल बोल चाल से संगठन का कार्य कर सकती हैं।
लॉजिक क्या: शोभा करंदलाजे राजनीतिक और सामाजिक जीवन में मजबूत हिंदुत्व के विचारों के लिए जानी जाती हैं। कर्नाटक राज्य में महिला मोर्चा की अध्यक्ष रहीं, उनको संगठन की मजबूत पकड़ और समझ दोनों है।
- अन्नपूर्णा देवी: गैर जाटवों के साथ यादव वोट बैंक पर करेंगी काम
खासियत और उपयोगिता: अन्नपूर्णा के पति स्वर्गीय रमेश प्रसाद यादव साल 1998 में बिहार की राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पति के असामायिक निधन के बाद अन्नपूर्णा देवी ने राजनीति में कदम रखा। 1998 के विधानसभा उपचुनाव, झारखंड में साल 2000, 2005 और 2009 के विधानसभा चुनाव में अन्नपूर्णा ने जीत दर्ज की। मोदी सरकार में अन्नपूर्णा देवी को केंद्र में यादव कोटे से मंत्री बनाया गया है।
यूपी कनेक्शन: पिछले चुनाव में भाजपा ने गैर जाटव वोटों को अपने पाले में किया था। लेकिन इस बार उसकी नजर यादव वोट बैंक पर भी है। इसलिए अन्नपूर्णा देवी को चुनाव प्रबंधन में लगाया है। अन्नपूर्णा देवी यूपी में यादव बाहुल्य विधानसभा में महिलाओं पर बड़ा असर डाल सकती हैं।
लॉजिक क्या: उत्तर प्रदेश में करीब 10 फीसदी यादव हैं। यादव वर्ग के बीच अन्नपूर्णा ने लंबे समय तक काम किया है। कार्य करने के अनुभव का इस्तेमाल यूपी के विधानसभा चुनाव में भाजपा करेगी।
- सरोज पांडेय: सियासत में रिकॉर्डधारी, यूपी में दम दिखाएंगी
खासियत और उपयोगिता: डॉ. सरोज ने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरूआत स्टूडेंट पॉलिटिक्स से की थी। डॉ. पांडेय एक साथ महापौर, विधायक और सांसद रह चुकी हैं। उनका यह रिकॉर्ड गिनीज और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। 10 साल तक लगातार बेस्ट मेयर के अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ में भाजपा की नेत्री के तौर पर पहली बार महापौर का चुनाव लड़ा और जीत मिली थी।
यूपी कनेक्शन: सवर्ण वर्ग से आने वाली सरोज पांडेय राज्यसभा सांसद हैं। तेज तर्रार सरोज पांडेय अपनी कार्यशैली से खासकर यूपी के सवर्ण वर्ग की महिलाओं को पार्टी के साथ कंधा से कंधा से मिलाकर एक कर सकती हैं। खासकर ब्राह्मणों को मनाने का काम और विपक्ष को जवाब देने में उनका इस्तेमाल होगा।
लॉजिक क्या: बेबाक और अपने कार्यशैली सरोज पांडेय सवर्ण समाज की महिलाओं पर असर डाल सकती हैं।
- विवेक ठाकुर: भूमिहारों के बड़े नेता, पूर्वांचल में कमाल दिखाएंगे
खासियत और उपयोगिता: पिता के लंबे राजनीतिक कैरियर के बाद भाजपा ने राज्यसभा सदस्य बनाया। विवेक ठाकुर के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर से मिले अनुभव की वजह से उन्हें भाजपा से राज्यसभा भेजा। युवाओं पर खास पकड़ बनाने में तेज विवेक ठाकुर भूमिहार समाज से आते हैं।
यूपी कनेक्शन: पूर्वांचल में भूमिहार वर्ग के लोग सबसे ज्यादा रहते हैं। यूपी में करीब चार प्रतिशत की संख्या में भूमिहार जाति के लोग हैं।
लॉजिक क्या: बिहार में लंबे से विवेक ठाकुर का परिवार राजनीति में सक्रिय है। यूपी के बगल का राज्य होने की वजह से भूमिहार जाति का प्रभाव बिहार का रहा है। इसलिए यूपी के चुनाव में भूमिहार वर्ग में प्रभाव और चुनाव में एक होने के लिए विवेक ठाकुर अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।
- कैप्टन अभिमन्यु: पश्चिमी यूपी में बिगड़ी छवि को सुधारने के साथ जाटों को मनाएंगे
खासियत और उपयोगिता: वे वर्ष 1987 में सेना में कमीशंड अधिकारी के तौर पर भर्ती हुए। राजनीति में आने के लिए सेना की नौकरी छोड़ दी। मौजूदा समय में हरियाणा में कैप्टन अभिमन्यु की गिनती दिग्गज नेताओं में होती है। हरियाणा में कैप्टन अभिमन्यु भाजपा का सबसे बड़ा जाट चेहरा हैं। जाटों का प्रभाव पूरे हिसार क्षेत्र में है और इस समुदाय में अभिमन्यु की अच्छी पैठ मानी जाती है। हरियाणा में कभी सरकार में कैप्टन अभिमन्यु मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर की हैसियत रखते रहे हैं। उनके पास वित्त, राजस्व, आबकारी एवं कराधान जैसे आठ महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी रही है।
यूपी कनेक्शन: बीते 9 महीने से हरियाणा, यूपी में जाट राजनीति को लेकर केंद्र की मोदी और प्रदेश की सरकार चिंतित है। हिसार के बाद करनाल में जाट किसान लगातार भाजपा के खिलाफ हैं। प्रदेश के पश्चिमी यूपी में जाट राजनीति का अलग प्रभाव है, जिसमें केवल जाट नेताओं की ही सुनवाई होती हैं। ऐसे में हरियाणा के जाट के दिग्गज नेता कैप्टन अभिमन्यु को यूपी में जाट राजनीति में अपना प्रभाव दिखाने के लिए अहम जिम्मेदारी सौंपी है।
लॉजिक क्या: यूपी में जाट वोट बैंक 8 प्रतिशत है। इसमें सबसे ज्यादा पश्चिमी यूपी में वो 17 प्रतिशत हैं। पश्चिमी यूपी की 120 विधानसभा सीट पर जाट वोट का बड़ा प्रभाव है। इसकी वजह से हरियाणा में जाट के दिग्गज नेता माने जाने वाले कैप्टन अभिमन्यु को यूपी में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी में लगाया गया है।