पिछले पांच साल में रजिस्टर हुए 14 लाख से ज्यादा ट्रेडमार्क, 75 साल में सिर्फ 11 लाख हुए थे; जानिए आप कैसे रजिस्टर कराएं अपना ट्रेडमार्क
खरीदारी करते हुए आपने नोटिस किया होगा कि कई ब्रांड्स के नाम के ऊपर TM लिखा होता है। TM दरअसल ट्रेडमार्क का शॉर्ट फॉर्म है। TM का निशान ऐसे ही कोई नहीं लगा सकता। इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है जो एक लंबी-चौड़ी प्रक्रिया है। पिछले पांच साल में 14.17 लाख नए ट्रेडमार्क रजिस्टर हुए हैं, जो 1940 से 2015 के बीच हुए रजिस्ट्रेशन से भी ज्यादा हैं। आइए जानते हैं कि ट्रेडमार्क क्या है? इसका क्या फायदा है? ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में बढ़ोतरी की वजह क्या है? ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस क्या है?
ट्रेडमार्क क्या है?
किसी प्रोडक्ट की अलग पहचान उसका ट्रेडमार्क कहलाती है। ये प्रोडक्ट का नाम, डिजाइन, कलर और पैकिंग का कॉम्बिनेशन हो सकता है। ट्रेड मार्क एक्ट 1999 के मुताबिक ट्रेडमार्क का मतलब एक ग्राफिकल पहचान से है जो किसी सामान या सर्विस को अन्य से अलग दिखाने में सक्षम हो। ये वर्ड मार्क, लोगो या दोनों का कॉम्बिनेशन भी हो सकता है।
ट्रेडमार्क भी एक इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है। अगर आपने ट्रेडमार्क रजिस्टर करवा लिया तो इसका इस्तेमाल बिना आपकी मर्जी के कोई नहीं कर सकता। ट्रेडमार्क से ब्रांड को एक विश्वसनीयता भी मिलती है। आमतौर पर सभी बिजनेस और स्टार्टअप्स अपना ट्रेडमार्क रजिस्टर करवाते हैं। शाहरुख खान ने तो अपने नाम का ट्रेडमार्क करवा रखा है।
पिछले पांच साल में ट्रेडमार्क बढ़ोतरी की वजह क्या है?
नए ट्रेडमार्क ऐप्लिकेशन को एग्जामिन करने का टाइम 13 महीने से घटकर 1 महीने रह गया है। पहले एक ट्रेडमार्क रजिस्टर करने के प्रोसेस में 3-5 साल लग जाते थे जो अब करीब 6 महीने में हो जाता है। इसके अलावा पहले स्टेज में सिर्फ 7% ऐप्लिकेशन स्वीकार किए जाते थे जो अब 50% तक बढ़ गया है।
पिछले पांच साल में 14.2 लाख नए ट्रेडमार्क्स रजिस्टर होने के पीछे 3 बड़ी वजहें हैं…
1. डिजिटलीकरणः शुरुआती स्टेज में ज्यादा ऐप्लिकेशन रजिस्टर होने की बड़ी वजह डिजिटलीकरण है। जब डेटाबेस प्रॉपर होता है तो ट्रेडमार्क सर्च करना आसान हो जाता है। अब सबकुछ ऑनलाइन है और कुछ क्लिक में एक जैसे दिखने वाले ट्रेडमार्क सामने आ जाते हैं। ऑनलाइन ऐप्लिकेशन की संख्या भी बढ़ गई है।
2. मैनपॉवरः ट्रेडमार्क्स के एग्जामिनेशन के लिए पिछले चार साल में 300 से ज्यादा लोग नौकरी पर रखे गए हैं। जाहिर सी बात है अगर 10 लोग 10 काम कर रहे थे तो 100 लोगों से 100 काम करवाए जा सकते हैं।
3. नए प्रावधानः 2017 में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के प्रोसेस में कई सुधार किए गए। जैसे- फॉर्म्स की संख्या 74 से घटाकर 8 कर दी गई। स्टार्टअप्स, इंडिविजुअल्स और छोटे कारोबार के लिए छूट का प्रावधान किया गया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी सुनवाई की अनुमति दी गई।
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस क्या है?
ट्रेडमार्क एक्ट 1999 और ट्रेडमार्क रूल्स 2017 के मुताबिक ट्रेडमार्क रजिस्टर किए जाते हैं। भारत में ट्रेडमार्क रजिस्टर करने की प्रोसेस इस प्रकार है…
- सबसे पहले एक ट्रेडमार्क चुनिए। ये ट्रेडमार्क यूनीक होना चाहिए। अगर पहले किसी ट्रेडमार्क से ये मेल खा गया तो आपका ऐप्लिकेशन रिजेक्ट हो सकता है।
- ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से अप्लाई कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रोसेस के लिए Ipindiaonline.gov.in पर जाना होगा। ऑफलाइन प्रोसेस के लिए जिले के ट्रेडमार्क ऑफिस जाना होगा। ऐप्लिकेशन के लिए आपसे कई तरह के दस्तावेज मांगे जाएंगे, जिसमें आपकी पहचान, पता, लोगो या डिजाइन की कॉपी शामिल है।
- एक बार ट्रेडमार्क का ऐप्लिकेशन सबमिट होने के बाद एग्जामिनेशन होता है। एग्जामिनेशन के बाद एक रिपोर्ट जारी की जाती है। अगर रिपोर्ट में कोई ऑब्जेक्शन नहीं है तो ऐप्लिकेशन आगे के प्रोसेस में बढ़ जाता है।
- आपके आवेदन को ट्रेडमार्क जर्नल में पब्लिश किया जाता है। कोई भी व्यक्ति 4 महीने तक इस ट्रेडमार्क के खिलाफ ऑब्जेक्शन दायर कर सकता है। अगर चार महीने तक कोई ऑब्जेक्शन नहीं आता तो तीन हफ्ते के अंदर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। अगर ऑब्जेक्शन आ गया तो आवेदक को 1 महीने के अंदर अपना जवाब दायर करना होगा।