प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा की फिसली जुबान:कोई कल्पना कर सकता है कि ऑक्सीजन की वजह से भी लोग मर सकते हैं… लेकिन मरे

जिले के प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान जुबान फिसल गई और कहा कि कोई कल्पना कर सकता है कि ऑक्सीजन की वजह से भी लोग मर सकते हैं… लेकिन मरे…। उनका आशय ऑक्सीजन की कमी से कोरोना मरीज की मौतो को लेकर था जिसे सरकार पहले ही सिरे से नकार चुकी है कि प्रदेश में किसी भी कोरोना मरीज की ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई। मिश्रा के इस बयान को लेकर अब काफी हलचल है और कांग्रेस इस बयान को भुनाने की तैयारी में है।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा प्रदेशभर में 17 सितंबर से 7 अक्टूबर 2021 तक ‘जनकल्याण और सुराज अभियान’ आयोजित किया जा रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को इंदौर शिक्षा विभाग द्वारा मल्हाराश्रम स्कूल में वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस अभियान का शुभारंभ प्रभारी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने किया। इस दौरान उन्होंने अपने उद्बबोधन में वृक्षों का महत्व समझाया और अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकारा कि ऑक्सीजन की कमी से भी मौतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि वृक्षों के महत्व को आने वाली पीढी को बताए तो ही हम समाज के साथ न्याय कर पाएंगे। हम अभी जो सांस ले रहे हैं वे खुली हवा से रहे हैं, वह ऑक्सीजन ही कहलाती है। कोई कल्पना कर सकता है कि उस ऑक्सीजन की वजह से भी लोग मर सकते हैं लेकिन मरे। सिर्फ इसलिए कि हमने वृक्षों के महत्व को नहीं समझा। हमें जो चीज नि:शुल्क मिली उसका महत्व समझा ही नहीं। हम मान लेते हैं कि यह तो मिलना ही चाहिए, यह हमारा अधिकार ही है। अभी (इशारा कोरोना काल पर) हमने देखा कि लोगों को जिंदा रखने के लिए ऑक्सीजन प्लेन से, ट्रकों से आ रही है। ऐसे में अब लोगों का ध्यान गया हो कि ये वृक्ष कितने जरूरी हैं।

संस्कृति, सभ्यता और विज्ञान का सम्मिश्रण पूर्वजों की देन

उन्होंने कहा कि हमारे हमारे पूर्वज वृक्षों पूजा ऐसे ही नहीं करते थे। हर घर के बाहर तुलसी लगी होती थी लेकिन हमने हटा दिया। हमारे यहां साल में एक दिन होता था जब बड़ की पूजा होती थी, पीपल की पूजा होती थी। ये वे पेड हैं जो 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं इसलिए घर के बाहर लगातेे थे ताकि जो व्यक्ति आए और बैठे तो पॉजिटिव एनर्जी मिले। पौधे भी पर्याप्त मात्रा में होते थे, हमने काट दिया। श्राद्ध में हम रोटियां निकालकर कौओं को खिलाते हैं। अब हमारी पद्धति की आलोचना कुछ लोग करते हैं। होली पर कहते हैं फिजूल का पानी बहा रहे हो। दीपावली पर कहते हैं फालतू प्रदूषण फैला रहे हो। ये बंधन सिर्फ हिन्दू त्यौहारों के लिए आते हैं, बाकी किसी धर्म पर कोई बंधन नहीं आते जब कोई कहता है कि खून बह रहा है, नर बलि दे रहे हैं, पशु बलि दे रहे हैं वगैरह वगैरह…। हमारे पर बहुत बंधन हैं और हम में से ही बहुत सारे विद्धान पैदा हो जाते हैं जो हमें सिर्फ ज्ञान देते हैं और ऐसा ज्ञान देते हैं हमारे सुधार का बीडा इन्होंने ने ही उठाया है। हमारे पूर्वजों ने तो हमारी संस्कृति, सभ्यता और विज्ञान का सम्मिश्रण किया है। बहरहाल, मिश्रा के ऑक्सीजन की कमी से मौतों के बयान को लेकर कांग्रेस अब भाजपा सरकार को घेरने की तैयारी में हैं।

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