प्रवासी मजदूर घाटी छोड़ने को मजबूर:जम्मू-कश्मीर में गैर-कश्मीरियों पर हमले से पलायन बढ़ा, मजदूर बोले- डर लग रहा है, हालात ठीक नहीं
जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ दिनों से बाहरी लोगों पर हमले बढ़ गए हैं। आतंकी यहां खासतौर से गैर-कश्मीरी मजदूरों को निशाना बना रहे हैं। रविवार को ही आतंकियों ने साउथ कश्मीर के कुलगाम में बिहार के 3 लोगों को गोली मार दी। इनमें से 2 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक घायल है। कुलगांव के लारन गंजीपोरा एरिया में जिन्हें गोली मारी गई, वे सभी मजदूर थे।
इससे पहले, शनिवार को आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में बिहार के एक हॉकर को गोली मार दी थी। गंभीर स्थिति में उसे श्रीनगर के SMHS अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मारे गए व्यक्ति का नाम अरविंद कुमार साह था। वह बिहार के बांका जिले का रहने वाला था और रेहड़ी लगाकर पानी पुरी बेचता था। दूसरी घटना में आतंकियों ने शनिवार को ही पुलवामा में सगीर अहमद नाम के शख्स को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। UP का रहने वाला सगीर कारपेंटर था।
हमले की खबरों से डरे कश्मीर के प्रवासी मजदूर
ऐसे माहौल में प्रवासी मजदूर जम्मू-कश्मीर छोड़कर जाने को मजबूर हो गए हैं। भारी संख्या में बाहरी मजदूरों के कश्मीर छोड़ने की खबर है। इन लोगों का कहना है कि मजदूरों पर जानलेवा हमले की खबरों से वे डर गए हैं। उन्हें यहां पर रहना सुरक्षित नहीं लग रहा है। कई प्रवासी मजदूर दीवाली पर घर जाने वाले थे, लेकिन हिंसा की वजह से त्योहार से पहले ही यहां से निकल रहे हैं।
घाटी छोड़कर जा रहे प्रवासी मजदूर पंकज पासवान के अनुभव
बिहार के रहने वाले प्रवासी मजदूर पंकज पासवान ने दैनिक भास्कर से मजदूरों के घाटी छोड़ने को लेकर जानकारी दी। पंकज ने बताया कि वो भी कश्मीर छोड़कर अपने घर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं गाड़ी पर बैठ गया हूं। श्रीनगर से निकल चुका हूं। मुझे 25 अक्टूबर को घर जाना था, लेकिन पहले ही निकल गया हूं। उन्होंने कहा कि कई लोग तो पहले ही जा चुके हैं। टीवी पर हमले की खबरें देखकर लोग डर गए हैं और अपने घर जा रहे हैं।