UP Assembly Election:सोशल मीडिया पर भी रहेगी चुनाव आयोग की नजर, हैशटैग भी हो सकता है चुनाव प्रचार खर्च में शामिल

चुनाव आयोग की आचार संहिता को लेकर हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में कई राज्यों के राजनीतिक दलों के आईटी सेल को घेरने की सिफारिश की गई थी. क्योंकि माना जा रहा है कि हैशटैग के जरिए सियासी दल चुनाव और मतदाताओं को प्रभावित करते हैं.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कुछ ही महीनों के बाद चुनाव होने हैं. ऐसे में चुनाव आयोग (election commission) पूरी तैयारी जुट गया है. राज्य में मतदाता पहचान पत्र का कार्य शुरू हो गया है और राज्य सरकार के साथ चुनाव के आयोग के आला अफसरों की लगातार बैठकें जारी है. माना जा रहा है कि दिसंबर के आखिर तक या फिर जनवरी तक राज्य में चुनाव का ऐलान हो सकता है. वहीं चुनाव आयोग इस बार सोशल मीडिया पर पैनी नजर रखे हुए है और परदे के पीछे सोशल मीडिया में चलने वाले खेल को बंद करने की तैयारी में है.

असल में चुनाव के समय हैशटैग ट्रेंड बनाकर मतदान को प्रभावित करने वाले राजनीतिक दलों के आईटी सेल पर अब चुनाव आयोग की नजर. दरअसल, आईटी सेल के हैंडल आम नागरिकों के नाम पर हैं और मतदान के दौरान ये लोग सक्रिय हो जाते हैं. यही नहीं ये हैशटैग को ट्रेंड कराते हैं. जिससे प्रत्याशी का प्रचार होता है.

सियासी दलों के आईटी सेल पर नजर

जानकारी के मुताबिक हाल ही में चुनाव आयोग की आचार संहिता को लेकर हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में कई राज्यों के राजनीतिक दलों के आईटी सेल को घेरने की सिफारिश की गई थी. क्योंकि माना जा रहा है कि हैशटैग के जरिए सियासी दल चुनाव और मतदाताओं को प्रभावित करते हैं. लिहाजा इस पर लगाम लगाने की जरूरत है. वहीं एक राज्य के चुनाव अधिकारी ने साफ कहा कि उन्हें दायरे में लाना जरूरी है. जबकि अधिकारी का कहना था कि आईटी सेल के लोग सीधे प्रत्याशी की जीत के लिए प्रचार करते हैं. इन्हें चुनाव खर्च में शामिल किया जाना चाहिए.

वहीं अफसरों की सिफारिश पर आयोग ने इस दिशा में कदम उठाने का आश्वासन भी दिया है और आयोग अब हर जिले में गठित कमेटियों में सोशल मीडिया टीम गठित करने पर जोर दे रहा है. ये टीम आईटी सेल की आसानी से पहचान कर सकेगी और उसके बाद उसके खिलाफ कार्यवाही कर सकेगी. वहीं चुनाव में राजनीतिक दलों के आईटी सेल पर भी नजर रखी जाएगी. लिहाजा अगर किसी प्रत्याशी ने चुनाव के दौरान प्रमोशन हैशटैग का इस्तेमाल किया है तो उसे चुनाव खर्च में शामिल किया जा सकता है.

सोशल मीडिया में ट्विट की होती है कीमत

जानकारी के मुताबिक सोशल मीडिया के जरिए प्रत्याशी का प्रचार किया जाता है. हालांकि ये खर्चा प्रत्याशी के चुनाव खर्च में नहीं जुड़ता है. लेकिन प्रत्याशी को सोशल मीडिया कंपनी को इसके लिए पैसा देना पड़ता है. बताया जाता है कि हर ट्वीट की कीमत कीमत है और ये तीन से चार रुपये के बीच होती है. अगर हैशटैग देश के टॉप 10 में शामिल है तो फिर इसकी कीमत बढ़ जाती है. देश की कई पीआर एजेंसियां भी आईटी सेल के काम से जुड़ चुकी हैं. जो प्रत्याशी का प्रचार विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए करती हैं.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *