मंडे पॉजिटिव:शहर में नहीं थी सुविधा, मरीज दिल्ली में कराते थे ऑपरेशन, डाॅक्टर ने लोन लेकर खरीदी मशीन; अब तक कीं न्यूरो की 110 से ज्यादा सर्जरी

आमतौर पर देखने में आता है कि सरकारी अस्पतालों में न्यूरो संबंधी बीमारियों की जटिल सर्जरी के लिए अत्याधुनिक मशीने नहीं होती। मरीज को मजबूरन निजी अस्पताल में या फिर दिल्ली सहित अन्य बड़े शहरों में जाकर इलाज कराना पड़ता है। जो काफी महंगा साबित होता था, लेकिन ग्वालियर गजराराजा मेडिकल काॅलेज (जीआरएमसी) के न्यूरोसर्जरी विभाग में पदस्थ डाॅक्टर आदित्य श्रीवास्तव ने मशीन की कमी को मरीजों के इलाज में आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने 36 लाख का लोन लेकर मशीनें खरीदीं और वे बीते सात वर्ष से इन मशीनों से ऑपरेशन कर रहे हैं। वे अब तक 110 से ज्यादा मरीजों की सर्जरी कर चुके हैं।

4 बार प्रस्ताव भेजा, लेकिन बात नहीं बनी

2011 से गजराराजा मेडिकल काॅलेज में पदस्थ डाॅ. श्रीवास्तव ने मशीनों के लिए शासन को चार बार प्रस्ताव बनाकर भेजा, लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी। चूंकि, जयारोग्य चिकित्सालय में आसपास के 8 से ज्यादा जिलों के साथ ही सीमावर्ती राज्य के मरीज इलाज के लिए आते हैं।

इसको ध्यान में रखते हुए डाॅ. श्रीवास्तव ने सबसे पहले 2014 में 14 लाख से कार्ल स्टोर्ज न्यूरोएंडोस्कोप मशीन खरीदी। हालांकि, इसके लिए उन्हे लोन लेना पड़ा। इस मशीन से दूरबीन से नाक के सहारे दिमाग के ट्यूमर का ऑपरेशन किया जाता है। वे इस मशीन से अब तक 35 से अधिक सर्जरी कर चुके हैं। इसको निजी अस्पताल में कराने पर खर्च आता है।

22 लाख में मिनिमल इंवेसिव स्पाइन सर्जरी व स्पाइनल एंडोस्कोपी सेट खरीदा

डाॅ. श्रीवास्तव ने वर्ष 2018 में मिनिमल इंवेसिव स्पाइन सर्जरी व स्पाइनल एंडोस्कोपी सेट खरीदा। इसके लिए उन्हें लगभग 22 लाख रुपए खर्च करना पड़े। इस मशीन के उपयोग से वे अब तक 75 से ज्यादा सर्जरी कर चुके हैं। इन मशीनों से न केवल मरीजों को मुफ्त में ऑपरेशन कराने की सुविधा मिल रही है, बल्कि काॅलेज से पीजी कर रहे छात्रों को भी काफी लाभ पहुंच रहा है। ये छात्र ऑपरेशन के दौरान डाॅ. श्रीवास्तव को असिस्ट करते हैं। डाॅ. श्रीवास्तव ने इन मशीनों के लिए ऑपरेशन थियेटर में अलग से अलमारी तैयार करवाई है। ये सारी मशीन उसी में रखी जाती हैं।

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