हाइवे पर बैठे मवेशियों की वजह से 38 दिन में 13 लोगों की गई जान
लापवाही …….भिंड-ग्वालियर हाइवे पर मवेशी बैठे हुए होने की वजह से आए दिन हो रहे हादसे भिंड(नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाइवे से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के मुख्य मार्गों पर मवेशी बैठे हुए होने की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। भिंड-ग्वालियर हाइवे पर पिछले 38 दिन में बीच रोड पर मवेशी होने से हुए सड़क हादसे में 13 लोगों की मौत हो चुकी है।
हाइवे से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के मुख्य मार्गों पर मवेशी बैठे हुए होने की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। भिंड-ग्वालियर हाइवे पर पिछले 38 दिन में बीच रोड पर मवेशी होने से हुए सड़क हादसे में 13 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 50 से अधिक लोग गंभीर घायल हुए हैं। लेकिन इसके बाद भी मुख्य मार्गों से इन मवेशियों को हटाए जाने को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। हादसा होने के बाद सड़क से मवेशी हटाए जाने को लेकर प्रशासनिक वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा कई आश्वासन तो दिए जाते हैं, लेकिन इन पर कभी अमल नहीं हो पाता। नतीजा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ रही है।
फसलों को पहुंचा रहे नुकसान
बेसहारा मवेशियों के कारण किसान भी परेशान हैं। इन दिनों हाइवे के किनारे लगे खेतों में बेसहारा मवेशी घुसकर किसानों द्वारा बोई गई फसल को चर जाते है। जिससे संबंधित किसानों को नुकसान पहुंचता है। इस समस्या के निवारण के लिए किसानों ने कई बार जिला प्रशासन के आलाधिकारियों से शिकायत की है। लेकिन कोई भी बेसहारा मवेशियों को पकड़ने के लिए कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
मुख्य बाजार और सड़क पर 24 घंटे मौजूद रहते हैं
शहर के अंदर भी व्यस्ततम मार्गों पर दिन व रात में बीच रास्तों पर मवेशी बैठने के कारण परेशानी बनी रहती है। इसके अलावा शहर में बंगला बाजार, लश्कर रोड, इटवा रोड, अटेर रोड, धन्वंतरी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, बस स्टैंड, गोल मार्केट, किला रोड, सब्जी मंडी, आलू मंडी, बायपास, भारौली तिराहा आदि क्षेत्रों में 24 घंटे बेसहारा मवेशी मौजूद रहते हैं। वहीं नगर पालिका द्वारा साल 2016 में शहर के अंदर से बेसहारा मवेशियों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया गया था। लेकिन कुछ दिन अभियान चलने के बाद बंद कर दिया गया। उसके बाद से अभी तक मवेशियों को पकड़ने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया गया है।
सींग पर रेडियम नहीं होने से अंधेरे में दिखाई नहीं देते मवेशी
बेसहारा मवेशियों को सींग पर रेडियम रिफलेक्टर लगाए जाते हैं। रात के अंधेरे में रेडियम रिफलेक्टर के चमकने से मवेशी दूर से ही नजर आने लगते हैं। लेकिन जिले में हाइवे पर घूमने वाले मवेशियों के सींगों पर रेडियम रिफलेक्टर नहीं लगा हुआ है। ऐसे में अंधेरे में वाहनों के मवेशियों से टकराने की आशंका बनी ही रहती है। जिसमें लोगों की जान जाने का खतरा भी बना रहता है।
यह हो चुके हैं हादसेः
-एक अक्टूबर की सुबह गोहद क्षेत्र के हरगोविंद पुरा घूम के पुरा मोड़ के पास बस और कंटेर की टक्कर में 7 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि 17 लोग घायल हो गए थे। सड़क बैठी गाय को बचाने की वजह से यह हादसा हुआ था।
-भिंड जिले के भिंड-ग्वालियर हाइवे पर डांग पहाड़ के पास चार अक्टूबर की रात सड़क किनारे बैठी गाय से बाइक टकरा जाने की वजह से बाइक अनियंत्रित होकर खंती में जा गिरी। इस हादसे में बाइक पर सवार तीन लोगों में से एक की घटना स्थल पर ही मौत हो गई।
-6 अक्टूबर पावई थाना क्षेत्र के सियावली के पास रोड पर अचानक से गाय आ जाने की वजह से दो बाइकों की भिड़ंत हो गई थी। जिसमें बाइक सवार पति-पत्नी की मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं पांच लोग गंभीर घायल हो गए थे।
-7 अक्टूबर की रात मेहगांव थाना क्षेत्र ज्ञानेंद्रपुरा के पास हाइवे पर बैठी की गाय को बचाने के चक्कर में एक कार अनियंत्रित होकर सामने से आ रहे ट्रक में घुस गई। इस हादसे में एक की मौत और परिवार के चार लोग गंभीर घायल हो गए थे।
-कुछ दिन पहले ही हाइवे से मवेशियों को हटाए जाने को लेकर अभियान चलाया गया था। हाइवे से मवेशियों को हटाए जाने को लेकर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रवीण फुलपगारे, एडीएम भिंड