हमीदिया में हादसे की बड़ी वजह! ……ऑडिट के नियम कागजों में, कमला नेहरू में 15 साल से NOC नहीं ली गई; भोपाल के 70% अस्पताल-इमारतों का यही हाल

भोपाल के हमीदिया कैंपस में बने कमला नेहरू हॉस्पिटल में लगी आग ने फायर सेफ्टी सिस्टम की पोल खोल दी है। बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर मिलाकर 8 मंजिल के इस हॉस्पिटल में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं थे। यहां तक कि ऑटोमेटिक हाइड्रेंट भी खराब पड़ा था। हैरत की बात ये है कि करीब 6 महीने पहले ही नगर निगम ने अस्पताल और बड़ी इमारतों का ऑडिट करवाया था, जो सिर्फ कागजों में ही हुआ था।

कमला नेहरू हॉस्पिटल में 15 साल से NOC नहीं ली गई थी। बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, भोपाल की 70% अस्पताल और इमारतों के यही हाल है।

निगम अफसरों का कहना है कि ऑडिट रिपोर्ट प्राइवेट एजेंसी देती है। इसी रिपोर्ट को सुरक्षा के लिहाज से ठीक मान लिया जाता है, लेकिन रिपोर्ट देने के बाद अमला मौके पर जाकर हकीकत नहीं देखता। यही कारण है कि कई अस्पताल और इमारतों की गलत रिपोर्ट भी बनाकर दे जाती है।

लिफ्ट के मामले में भी यही

भोपाल नगर निगम की बात करें, तो प्रत्येक अस्पताल-इमारत की जांच के लिए फायर एक्सपर्ट और लिफ्ट इंजीनियर नहीं हैं। वहीं, अस्पतालों में बिजली का लोड रोकने फायर ऑडिट नहीं भी नहीं हो पाया है। इस कारण भोपाल में 70% अस्पताल-इमारत बिना लिफ्ट सेफ्टी के चल रही है। यही स्थिति फायर सेफ्टी को लेकर भी है।

फायर को लेकर यह सेफ्टी जरूरी

नियम कहता है कि अस्पताल में फायर पंप, टेरेस पंप, फास्ट एंड फायर फाइटिंग एप्लांयसेज सिस्टम, प्रेशराइजेशन-ऑटो डिटेक्शन सिस्टम आदि फायर उपकरण जरूरी है। प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में नियम एक जैसे ही हैं, लेकिन यहां जांच के लिए नगरीय निकायों के पास अलग अमला नहीं है।

हालांकि, करीब 6 महीने पहले निगम ने प्रत्येक अस्पताल और बड़ी बिल्डिंगों का ऑडिट करवाया था। इसके बाद जरूरी कदम उठाने को कहा था। बकायदा ऑडिट रिपोर्ट भी ली गई थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन के भरोसे फायर सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तैयार की गई थी। ऐसे में कई अस्पतालों ने खानापूर्ति के लिए ही रिपोर्ट तैयार कर दी।

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