EU को तोड़ने के लिए रूस-बेलारूस का ‘मास्टरस्ट्रोक’, प्यादों की तरह लोगों का इस्तेमाल कर पोलैंड में मचाया आतंक, क्या है ये पूरा खेल?

Belarus Poland Border Conflict: पोलैंड से लगने वाली बेलारूस की सीमा पर हजारों की संख्या में लोग जुटे हुए हैं. ये लोग पोलैंड में जबरन दाखिल होने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि यहां से यूरोप के बाकी देशों में रहने के लिए जा सकें.

Belarus Poland Border Conflict Explained: दुनिया में कहीं भी अगर किसी एक देश की दूसरे देश के साथ दुश्मनी होती है, तो वह बदला लेने के लिए हथियारों, प्रतिबंधों या फिर रास्ते अवरुद्ध करने जैसे तरीके अपनाता है. लेकिन क्या आपके कभी इंसानों के इस्तेमाल की बात सुनी है? अगर नहीं, तो अब सुन लीजिए. क्योंकि पोलैंड से लगने वाली बेलारूस की सीमा पर इस समय कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. यहां हजारों की संख्या में शरणार्थी एकत्रित हुए हैं. ऐसा आरोप है कि इन लोगों का इस्तेमाल प्यादों की तरह किया जा रहा है, ताकि यूरोपीय संघ को तोड़ा जा सके. प्रवासी यूरोपीय संघ के किनारे पोलैंड की सीमा पर डटे हुए हैं.

प्रवासियों ने यहां कैंप बना लिए हैं. यहीं के जंगलों की लकड़ी को काटकर वह खुद को ठंड से बचाने की कोशिश में हैं. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे तक शामिल हैं. पोलैंड ने हालात की गंभीरता को देखते हुए अपनी सीमा पर सेना की तैनाती बढ़ा दी है. सैनिक लगातार कंटीले तारों के बाड़ लगाकर प्रवासियों को पीछे भेज रहे हैं. लेकिन ये लोग तस से मस नहीं हो रहे. इनमें से कई ने उल्टा तारों को तोड़कर जबरन पोलैंड में घुसने की कोशिश की. ताकि ये यहां से यूरोप के किसी भी देश में आराम से रह सकें. हालांकि सैनिकों की पूरी कोशिश लोगों को पीछे धकेलने की है.

इस पूरे संकट के पीछे कौन है?

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बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको

जिस तरह उत्तर कोरिया में तानाशाह किम जोंग उन का शासन है, जर्मनी पर कभी हिटलर का शासन हुआ करता था, ठीक उसी प्रकार रूस के पड़ोसी मुल्क बेलारूस में अलेक्जेंडर लुकाशेंको (Alexander Lukashenko) का राज चलता है. इस देश में अगस्त 2020 में हुए चुनावों के बाद कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन हुए. वजह थी, राष्ट्रपति लुकाशेंको का लगातार छठी बार सत्ता में आना. विपक्षी पार्टियों और पश्चिमी देशों ने चुनाव नतीजों को खारिज कर दिया. इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए बेलारूस की पुलिस ने 35,000 लोगों को गिरफ्तार किया और हजारों लोगों के साथ मारपीट की गई.

यूरोपीय संघ और अमेरिका ने लुकाशेंको की सरकार पर प्रतिबंध लगा दिए. इन्हीं प्रतिबंधों को मई में हुई एक घटना के बाद और भी कड़ा कर दिया गया. दरअसल हुआ ये कि एक यात्री विमान ग्रीस से लिथुआनिया के लिए रवाना हुआ था. लेकिन बेलारूस ने इसे हाईजैक करते हुए उसमें सवार सरकार आलोचक पत्रकार रोमन प्रोतासेविच (Raman Pratasevich) को गिरफ्तार कर लिया. यूरोपीय संघ ने इसे हवाई नियमों का उल्लंघन करार दिया, साथ ही अपने हवाई क्षेत्र से बेलारूस के विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी. इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों और उर्वरक सहित देश की दूसरी वस्तुओं के आयात में कटौती की.

इन सबसे लुकाशेंको आग बबूला हो गए. उन्होंने इतना तक कह दिया कि वह अब अवैध प्रवास को रोकने के लिए किए गए समझौते का पालन नहीं करेंगे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ईयू के प्रतिबंधों के कारण अब उनके पास धन की कमी हो गई है, जिसके चलते वह प्रवासियों को नहीं रोकेंगे. अब इराक, सीरिया और दूसरे देशों के लोगों को विमानों में भर-भरकर बेलारूस की पोलैंड, लिथुआनिया और लात्विया से लगने वाली सीमाओं पर लाया जा रहा है. बेलारूस के विपक्षी नेता पावेवल लातुश्का का कहना है कि सरकारी पर्यटन एजेंसियां इन सबमें शामिल हैं. वह प्रवासियों को वीजा दे रही हैं और उनकी सीमा तक लाने में मदद भी कर रही हैं.

27 देशों के संगठन यूरोपीय संघ ने लुकाशेंको पर प्रवासियों का इस्तेमाल कर ‘हाइब्रिड हमला’ करने का आरोप लगाया है. यानी वो हमला है, जिसमें अपने दुश्मन को अंदर से तोड़ने की कोशिश की जाती है. ईयू के प्रतिबंधों का बदला लेने के लिए वहां शरणार्थी संकट खड़ा करने की कोशिश हो रही है (Belarus Poland Border Latest News). लुकाशेंको ने इन आरोपों का जवाब दिया है. उन्होंने प्रवासियों को उत्साहित करने के आरोप को खारिज कर दिया. उल्टा ईयू पर आरोप लगाया कि वह शरण देने से इनकार कर शरणार्थियों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है.

यूरोपीय संघ की क्या प्रतिक्रिया है?

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शरणार्थी यूरोप में प्रवेश करना चाहते हैं

आपने हाल में ऐसी कई खबरें सुनी होंगी, जिनमें यूरोप के देशों में होने वाले अपराधों में शरणार्थियों का नाम सामने आया है. यहां बलात्कार के मामले, चाकूबाजी की घटनाएं, सिर कलम कर हत्या करना और यहां तक कि विस्फोट जैसे मामले तक मिले हैं. इन देशों में इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. यही कारण है कि अब यूरोप के देश शरणार्थियों को शरण देने से पूरी तरह बचने की कोशिश में हैं (Poland Belarus Border Fence). रूस और बेलारूस के इस मास्टरस्ट्रोक के बाद गर्मी के महीनों में लिथुआनिया ने प्रवासियों के छोटे समूहों से निबटने के लिए आपातकाल लगा दिया. साथ ही बेलारूस से साथ लगने वाली अपनी सीमा को और मजबूत किया.

इस हफ्ते बड़ी संख्या में शरणार्थियों ने पोलैंड में प्रवेश करने की कोशिश की. जिसके चलते सरकार ने सीमा सुरक्षा बलों की मदद के लिए दंगा रोधी पुलिस और दूसरे बलों को भेजा. पोलैंड के अधिकारियों का कहना है कि इन प्रवासियों की संख्या 3000-4000 के करीब है. इनमें से कई ने कंटीले तारों की बाड़ को पार करने के लिए फावड़ों और तार काटने वाले कटर का इस्तेमाल किया है. लेकिन प्रवासियों की ऐसी कोशिशों को सैकड़ों बार विफल करने में कामयाबी हाथ लगी है. सीमा पर रात के समय तापमान तेजी से नीचे जा रहा है. अभी तक आठ लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है.

यूरोपीय संघ पोलैंड, लिथुआनिया और लात्विया के प्रति पूरा समर्थन जता रहा है. यही कारण है कि अब ईयू के अधिकारी बेलारूस पर लगे प्रतिबंधों को कड़ा करने की योजना बना रहे हैं. यूरोपीय परिषद अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा कि पहली बार सीमा पर बाड़ जैसे ‘भौतिक बुनियादी ढांचे’ के लिए वित्त आवंटित करने पर विचार किया जाएगा. अब पोलैंड में खड़ा हुआ संकट इसलिए बड़ा माना जा रहा है, क्योंकि अगर यूरोपीय संघ ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो वह खुद कमजोर होने लगेगा. अगर से संगठम कमजोर होता है, तो ब्रिटेन की तरह दूसरे देशों के भी इसे छोड़ने का खतरा बढ़ जाएगा.

इन सबमें रूस की क्या भूमिका है?

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पोलैंड में घुसने की कोशिश कर रहे शरणार्थी

बेलरूस और रूस एक दूसरे के काफी करीबी है. रूस लुकाशेंको की सरकार को ऋण और राजनीतिक समर्थन देकर काफी मदद करता है. यही वजह है कि रूस ने बेलारूस के हक में बयान जारी किया है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि प्रवासियों का प्रवाह इराक और अफगानिस्तान में अमेरिका के नेतृत्व वाले युद्धों और मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में पश्चिमी समर्थित अरब स्प्रिंग विद्रोह के परिणामस्वरूप हो रहा है. उन्होंने यूरोपीय संघ को प्रवासियों से निबटने के लिए बेलारूस को वित्तीय सहायता की पेशकश करने जैसी चुनौती भी दी है.

इसके साथ ही रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने पोलैंड के उन दावों को खारिज करते हुए नाराजगी जताई, जिसमें कहा गया है कि इस संकट के लिए रूस जिम्मेदार है. दरअसल बीते साल ब्रेक्जिट हुआ था, जिसके चलते ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो गया. जहां यूरोप के कुछ देश शरणार्थियों को शरण देने की बात करते हैं, तो वहीं कुछ इसके खिलाफ रहते हैं. ईयू के नेता इसी मसले पर असमंजस में हैं कि आखिर क्या किया जाए (Poland Border to Belarus). यही वजह है कि शरणार्थी संकट खड़ा कर इसे तोड़ने की कोशिश हो रही है. इसलिए ईयू मामले में जल्द ही कोई बड़ा कदम उठाने पर विचार कर रहा है.

अब आगे क्या हो सकता है?

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शरणार्थियों के पास खत्म हो रहा पैसा

ऐसा अनुमान है कि बेलारूस अफ्रीका और मध्यपूर्व के देशों से 5000 से 20,000 के बीच प्रवासियों को लेकर आया है. जिनके पास पैसा खत्म हो रहा है और सर्दी के कारण इन्हें यहां रहने में भी दिक्कत आ रही है. इससे बेलारूस की आम जनता खुश नहीं है. वह अधिकारियों ने स्थिति का समाधान करने को रही है (Belarus Refugees). कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि लुकाशेंको प्रवासियों का इस्तेमाल तक ईयू पर दबाव बढ़ाने की कोशिश में हैं, ताकि देश पर लगे प्रतिबंध हट जाएं.

स्वतंत्र विश्लेषक वालेरी करबालेविच का कहना है, ‘कम से कम लुकाशेंको यूरोपीय संघ से बदला लेना चाहते हैं. या वे ज्यादा से ज्यादा चाहते हैं कि ईयू उन प्रतिबंधों को कम कर दे, जिनसे बेलरूस के प्रमुख उद्योगों को नुकसान पहुंचा है. बेलारूसी अधिकारियों ने यूरोपीय संघ (EU Sanctions on Belarus) को बातचीत और डील में शामिल होने के लिए मनाने की असफल कोशिश की है, और प्रवासी बेलारूस के हाइब्रिड हमले में सिर्फ एक साधन हैं. लुकाशेंको के पास खोने के लिए अब कुछ नहीं है. उन्हें अब अपनी प्रतिष्ठा की भी चिंता नहीं है.

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