मुरैना के पानी के कारण स्वाद आता गजक में:मुरैना के कारीगर बाहर गजक बनाते, नहीं आता वह स्वाद

  • लोगों ने बताया, मुरैना की गजक का स्वाद ही अलग है, इसका नहीं जवाब

मुरैना की पहचान उसकी गजक से है। कारण गजक की उत्पत्ति मुरैना से ही हुई है। मुरैना के गजक की बात ही अलग है। जो स्वाद यहां की गजक में आता है वह कहीं नहीं आता। यह बात हम नहीं कह रहे हैं, यह बात हर मुरैना वासी कहता है। यहां का पानी ही ऐसा है कि गजक का स्वाद निराला होता है। अगर यही गजक कहीं और बनाई जाए तो वह स्वाद नहीं मिलता है। हम आपको बताते हैं की मुरैना की गजक कैसे बनती है और इसके स्वाद के पीछे क्या कारण है?

इस प्रकार बनाई जाती गजक के लिए चाशनी
इस प्रकार बनाई जाती गजक के लिए चाशनी

आपको बता दें, कि गजक की उत्पत्ति मुरैना से हुई है। अंग्रेजों के समय में शुरुआती दिनों में गजक कुछ अलग प्रकार से बेची जाती थी। डलियों में लोग सिर पर गजक को रखकर बेचा करते थे। सस्ते के जमाने में एक आना-दो आना में गजक मिलती थी। धीरे-धीरे गजक की प्रसिद्ध बढ़ती चली गई और बाद में यह मुरैना की पहचान बन गई। व्यापार बढ़ता चला गया और आज गजक का व्यापार न केवल मुरैना बल्कि पूरे देश में फैल गया। आज मुरैना से प्रतिमाह सैंकड़ों क्विटंल गजक का व्यापार होता है।

इस प्रकार खींची जाती कील पर चाशनी
इस प्रकार खींची जाती कील पर चाशनी

इस प्रकार खास है मुरैना की गजक
1-दैनिक भास्कर ने जब मुरैना में गजक बना रहे कारीगरों से बात की तो उन्होंने बताया कि सबसे पहली बात यह है कि यहां का पानी ऐसा है कि गजक खस्ता होती है। जबकि अन्य जगहों पर गजक बनाने पर खस्ता नहीं होती तथा वह स्वाद नहीं आता है।
2-दूसरी बात यह उन्होने बताई कि जब गजक बनाई जाती है तो जितना गुड़ मिलाते हैं उतनी ही मात्रा में तिली मिलाई जाती है। अगर तिली कम मिलाई गई तो गजक ठोस हो जाएगी तथा वह स्वाद नहीं आएगा।
3-तीसरी बात यह है कि गजक में गुड़, तिली व शक्कर के अलावा कुछ नहीं मिलाया जाता है।

काठके हथौड़ों से कूटा जाता गजक को
काठके हथौड़ों से कूटा जाता गजक को

इस प्रकार बनाते गजक को
सबसे पहले तिली को कढ़ाई में भूना जाता है। उसके बाद गुड़-शक्कर का घोल बनाकर उसकी चाशनी बनाई जाती है। चाशनी बनाने के लिए डेढ़ किलो चीनी, 700 ग्राम गुढ़ मिलाकर उसका घान बनाया जाता है। जब चाशनी गाढ़ी हो जाती है तब उसे जमीन पर डालकर खींचा जाता है। उसके बाद उसे कील पर डालकर खींचा जाता है। खींचने के बाद चाशनी में एक निश्चित गर्म तापमान की भुनी हुई तिली मिलाई जाती है। तिली मिलाने के बाद उसे आटे की तरह गूंथा जाता है। उसके बाद उसे जमीन पर समतल पटिया पर डालकर लकड़ी के हथौड़ों की मदद से कूटा जाता है। जब वह कुट जाती है तो उसको सांचे से काटा जाता है तथा पीस बनाकर रखे जाते हैं।

कटने के बाद पीस किए जाते गजक के
कटने के बाद पीस किए जाते गजक के

गर्म गजक में दिया जाता आकार
गजक कई प्रकार की बनाई जाती है। जैसे गजक समौसा, गजक रोल, गजक गुजिया आदि। इसके लिए जब गजक गर्म अवस्था में कूटी जाती है, उसी समय उसे सांचे में रखकर समौसा, गुजिया व रोल आदि का आकार दिया जाता है। समौसा व गुजिया के अन्दर मावा भी रखा जाता है। अगर गजक ठंडी हो गई तो फिर वह कड़क हो जाती है और उसको कोई आकार नहीं दिया जा सकता। अगर ठंडी होने पर उसे मोड़ा गया तो वह टूट जाती है।

रीगर नवीन शिवहरे

मुरैैना में ही बेची जा सकती है, मुरैना के नाम की गजक
वर्ष 2019 में मुरैना में गजक महोत्सव आयोजित किया गया था। इस महोत्सव में दर्जनों दुकानदारों ने भाग लिया था। इस महोत्सव में यह तय हुआ कि मुरैना के नाम की गजक केवल मुरैना में ही बेची जा सकेगी। मुरैना के अलावा अन्य जिलों में या राज्यों में गजक तो बेची जा सकती है लेकिन मुरैना के नाम से नहीं बेची जा सकती है। इस निर्णय का मुख्य कारण मुरैना में गजक के व्यापार को बढ़ावा देना था।

कारीगर इरफान खान

हर माह सैकड़ों क्विंटल गजक भेजी जाती बाहर
जानकारी के मुताबिक अकेले मुरैना शहर में ही लगभग डेढ़ सैकड़ा गजक की दुकानें हैं। अगर जिले भर की बात करें तो यह संख्या 600 से 700 के बीच पहुंचती है। मुरैना से देश भर को गजक सप्लाई की जाती है। यह व्यापार अक्टूबर से शुरु होकर फरवरी-मार्च तक चलता है। इन दिनों में जिले से सैकड़ों क्विंटल गजक पूरे भारतवर्ष में सप्लाई की जाती है। कुछ लोगों की डिमांड पर विदेशों में भी निर्यात की जाती है।

ग्राहक

कई प्रकार की बनाई जाती गजक
मुरैना में कई प्रकार की वैरायटी की गजक बनाई जाती है। लगभग 30 प्रकार की वैरायटी की गजक बनाई जाती है। वैरायटी के नाम इस प्रकार हैं:-1-गुड़ की खस्ता गजक 2-शक्कर की खस्ता गजक 3-कड़क पट्‌टी गुड़ 4-कड़क पट्‌टी शक्कर 5-ड्राई फ्रूट पट्‌टी गुड़ 6-ड्राई फ्रूट पट्‌टी शक्कर 6-रोज फ्लेवर में काजू पट्‌टी गुड़-7-रोज फ्लेवर में काजू पट्‌टी शक्कर 8-ड्राई फ्रूट रॉयल गुड़ 8- ड्राई फ्रूट रॉयल शक्कर 9-तिल बर्फी गुड़ 10-तिल बर्फी शक्कर 11-स्पेशल ड्राई फ्रूट का समौसा 11-तिल ड्राई फ्रूट के लड्‌डू गुड़ 12- तिल ड्राई फ्रूट के लड्‌डू शक्कर 13-मूंगफली की चिक्की गुड़ 14-मूंगफली की चिक्की शक्कर 15- भटिंडा चिक्की गुड़ 16-भटिंडा चिक्की शक्कर 17-चॉकलेट बर्फी गुड़ 18-चॉकलेट बर्फी शक्कर 19- मरोड़ी गुड़ की 20-मरोड़ी शक्कर की 21-मरोड़ी स्पेशल फैनी गुड़ 22- मरोड़ी स्पेशल फैनी शक्कर 23-तिल गट्‌टा गुड़ 24-तिल गट्‌टा शक्कर 25-रोज फ्लेवर खस्ता गुड़ 26-रोज फ्लेवर खस्ता शक्कर 27-खस्ता रोल गुड़ 28-खस्ता रोल शक्कर 29-नार्मल बर्फी गुड़ 30-नार्मल बर्फी शक्कर।

ग्राहक

700 रुपए किलो तक गजक
महंगाई के इस दौर में गजक भी अछूती नहीं रही है। यही कारण है कि आज यह मिठाई से भी महंगी हो गई है। मुरैना में गजक की कीमत 200 रुपए प्रति किलो से लेकर 700 रुपए तक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *