वर्ल्ड टेलीविजन डे:खिड़की से आ रही सनलाइट से आया TV बनाने का आइडिया, जानिए B&W से लेकर OLED का सफर

जब लोगों के हाथ में मोबाइल नहीं था, उसके पहले यदि किसी के घर में टीवी आता था तो आस-पड़ोस तो क्या, सारा मोहल्ला उस टीवी देखने पहुंच जाता था। आज हाल ये है कि हम जहां चाहें, जब चाहें टीवी देख सकते हैं। यही वह टीवी थी जिसके सामने लोग रामायण देखने से पहले अगरबत्ती भी लगाते थे।

वर्ल्ड टेलीविजन डे के मौके पर आज हम आपको टीवी के लाने के आइडिया, ब्लैक एंड व्हाइट, कलर टीवी से लेकर स्मार्ट टीवी तक के सफर की बात करेंगे। साथ ही टीवी के डिस्प्ले में हुए बदलाव के बारे में भी बताएंगे। तो चलिए शुरू करते हैं…

टेलीग्राफ केबल की रिपेयरिंग करने वाला वर्कर लाया टेलीविजन का आइडिया

  • 1872 में ब्रिटिश टेलीग्राफ वर्कर जोसेफ ट्रांसअटलांटिक टेलीग्राफ केबल पर काम कर रहे थे। उन्होंने देखा कि सेलेनियम वायर की इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी में कुछ बदलाव दिख रहे हैं। जब उन्होंने इसकी वजह खोजने की कोशिश की तो पता चला कि ऐसा खिड़की से आ रही सनलाइट का सेलेनियम की वायर पर गिरने से हो रहा है। इस घटना से ही लाइट को एक इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदलने का आधार तैयार हुआ।
  • 1880 में मॉरिस ला ब्लां नाम के एक फ्रेंच इंजीनियर का ‘ला लुमिएर इलेक्ट्रिक’ जर्नल में एक लेख पब्लिश हुआ, जिसने आगे आने वाले सभी टेलीविजन के लिए एक आधार तैयार किया। ला ब्लां ने एक स्कैनिंग मैकेनिज्म को प्रस्तावित किया। हालांकि, वे कोई वर्किंग मशीन तैयार नहीं कर पाए थे।
  • इसके बाद टेलीविजन को अगले मुकाम तक पहुंचाने वाले में पॉल निपकोव थे, जो एक जर्मन इंजीनियर थे और उन्होंने स्कैनिंग डिस्क खोजी। निपकोव ने जो डिवाइस तैयार किया था, वह एक घूमने वाली धातु की डिस्क से तार के जरिए तस्वीरें भेजने में मदद करती थी। निपकोव ने इसका नाम ‘इलेक्ट्रिक टेलिस्कोप’ रखा था।
  • टेलीविजन शब्द का पहली बार इस्तेमाल रूसी वैज्ञानिक कॉन्स्तेन्ताइन परस्की द्वारा साल 1900 की पेरिस प्रदर्शनी में इस्तेमाल किया गया। स्कॉटिश आविष्कारक जॉन लॉगी बेयर्ड और अमेरिकन आविष्कारक चार्ल्स फ्रांसिस जेनकिंस ने मैकेनिकल टीवी को लाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। इन दोनों ने अपने-अपने जो डिवाइस बनाए थे, उन्हें ही पहले सफल टेलीविजन माना जाता है।
  • 1922 में जेनकिंस ने रेडियो वेव के जरिए एक स्टैटिक इमेज को स्क्रीन पर भेजा था,1925 में बेयर्ड ने मनुष्य के चेहरे का लाइव ट्रांसमिशन भेजा था।
  • 1925 में आविष्कारक व्लादिमीर ज्वोरीयकिन ने कलर टीवी सिस्टम के बारे में बताया था। हालांकि यह सिस्टम सफल नहीं हुआ। विश्व का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन फिलो टेलर फार्न्सवर्थ नाम के आविष्कारक द्वारा बनाया गया। फिलो द्वारा बनाया गया डिवाइस मूविंग इमेज को इलेक्ट्रॉन्स बीम की सहायता से पकड़ने में सफल हो गया था।
  • स्कॉटिश आविष्कारक बेयर्ड पहले शख्स थे, जिन्होंने 3 जुलाई 1928 को पहली बार कलर ट्रांसमिशन कर दिखाया था।
  • 1930 में पहला कॉमर्शियल चार्ल्स जेनकिंस के टेलीविजन प्रोग्राम पर आया और BBC ने नियमित टीवी ट्रांसमिशन शुरू किया।
  • 1934 तक सारे मैकेनिकल टीवी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर आ चुके थे और इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि प्राथमिक टेलीविजन फुटेज ट्रांसमिशन ब्लैक एंड व्हाइट कलर में ही कर पाते थे।
  • कलर टीवी की बात करें तो इसका पेटेंट 1904 में एक जर्मन आविष्कारक ने करवाया था। हालांकि आविष्कारक के पास कोई कलर टेलीविजन नहीं था।
  • 1939-40 में टेलीविजन पूरे अमेरिका के कई मेलों में दिखाया गया। कुछ मॉडल्स के साथ में रेडियो भी था, ताकि स्क्रीन पर आने वाली तस्वीरों के साथ ऑडियो भी सुना जा सके।
  • 1950 में दो बड़ी कम्पनियों CBS (कोलंबिया ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम) और RCA (रेडियो कॉर्पोरेशन ऑफ अमेरिका) के बीच पहला कलर टेलीविजन बनाने की होड़ लगी थी। इस जंग में CBS ने बाजी मार ली और पहला कलर टेलीविजन सेट बनाया। यह डिवाइस जॉन बेयर्ड के सिस्टम पर आधारित मैकेनिकल टेलीविजन था।
  • 1950 में ही जेनिथ रेडियो कॉर्पोरेशन द्वारा पहला रिमोट बनाया गया, जो कि टीवी से एक तार द्वारा जोड़ा गया था। 1955 में युजीन पॉली द्वारा वायरलेस रिमोट तैयार किया गया।
  • 1951 में CBS नाम के एक अमेरिकन ब्रॉडकास्टिंग कम्पनी ने पहला कॉमर्शियल कलर टीवी प्रोग्राम चलाया। उस वक्त ब्लैक एंड व्हाइट टीवी होने की वजह से पूरे अमेरिका में इसे सिर्फ 12 ग्राहक ही देख पाए थे।
  • सितम्बर 1961 में वॉल्ट डिज्नी के वंडरफुल ‘वर्ल्ड ऑफ कलर’ का प्रीमियर एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ और इसने लोगों को कलर टीवी लेने के लिए प्रेरित किया।
  • देश में साल 1965 में न्यूज बुलेटिन के साथ रोजाना 1 घंटे की सर्विस की शुरुआत हुई।
  • 1960 और 1970 के दशक में विश्व के ज्यादा क्षेत्रों में टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन और नेटवर्क ब्लैक एंड व्हाइट टीवी से अपग्रेड होकर कलर ट्रांसमिशन पर आ गए।
  • 1968 में जापानी टेलीविजन नेटवर्क NHK ने एक नया टेलीविजन स्टैंडर्ड बनाना शुरू किया, जो कि बाद में हाई डेफिनिशन टेलीविजन या HDTV के नाम से जाना गया।
  • 1975-76 में देश के बेहद अविकसित और दूरस्थ 2400 गांवों के लोगों के लिए सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपैरिमैंट के तहत 1 साल के लिए टेलीविजन प्रोग्राम की शुरुआत की गई।
  • 1983 में NHK नेटवर्क ने स्विट्जरलैंड में हुई कॉन्फ्रेंस में HDTV को दर्शाया।
  • 1982 में भारत में सैटेलाइट के जरिए नेशनल प्रोग्राम, कलर ट्रांसमिशन और नेटवर्किंग शुरू हुई।
  • 2008 में विश्व का पहला स्मार्ट टीवी बनाया गया

टेलीविजन में अब LCD से लेकर QLED डिस्प्ले का इस्तेमाल हो रहा

1.LCD डिस्प्ले
LCD का फुल फॉर्म लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले होता है। 1982 में सेईको एप्सन (Seiko Epson) ने कलाई पर पहने जाने वाला पहला LCD टेलीविजन डिस्प्ले तैयार किया था। उसी वर्ष सिटीजन वॉच ने सिटीजन पॉकेट टीवी 2.7 इंच का रंगीन LCD टीवी पेश किया, जो पहला कॉमर्शियल TFT LCD डिस्प्ले था। LCD में कलर को आंखों तक पहुंचाने के लिए लिए डिस्प्ले के पीछे नॉर्मल फ्लोरोसेंट लाइटिंग का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे हम CCFL कहते हैं जो कि पूरे पैनल में पीछे की तरफ लगी होती हैं। टीवी ऑन करते ही यह CCFL चमकने लगता है जिसके बाद हमें टीवी पर वीडियो दिखने लगता है।

2.LED डिस्प्ले
LED TV लो बजट की होती हैं और हर साइज में मिल जाती हैं। इसी बेस लेवल की TV है, जो हर घर में पाई जाती है। LED TV में कलर भी अच्छे होते हैं और व्यूइंग ऐंगल भी बढ़िया होते हैं। मतलब कि अगर आप ठीक TV के सामने न भी बैठें और साइड में बैठकर TV देखें तब भी पिक्चर और कलर वैसे के वैसे ही नजर आते हैं। ब्राइटनेस लेवल और साउन्ड आउटपुट तो अलग-अलग TV मॉडल के लिए अलग-अलग होते हैं। मगर LED TV का कॉन्ट्रास्ट इतना बढ़िया नहीं होता, क्योंकि इसमें हमेशा एक बैकलाइट जलती रहती है, जिसकी वजह से ब्लैक कलर में भी थोड़ी व्हाइटनेस रहती है।

3.OLED डिस्प्ले
TV में इस समय की सबसे बढ़िया डिस्प्ले टेक्नॉलॉजी OLED है। OLED का मतलब है ऑर्गैनिक लाइट इमिटिंग डायोड (Organic Light-Emitting Diode)। LED-LCD डिस्प्ले के उलट इस डिस्प्ले में हर एक पिक्सल के पास अपनी खुद की लाइट होती है। साथ ही हर एक पिक्सल जरूरत के हिसाब से बंद भी हो सकता है। इसलिए OLED स्क्रीन में डीप ब्लैक मिलता है और बहुत ही शानदार कॉन्ट्रास्ट मिलता है।
OLED पैनल के ऊपर अंदर से लाइट मारने की जरूरत नहीं होती, इसलिए इनके कलर भी जीवंत होते हैं और इसी वजह से OLED TV बहुत पतली स्क्रीन के साथ आती हैं।
4.QLED डिस्प्ले
OLED बहुत महंगी होती हैं। तो ऐसे में QLED मिडल रेंज वाली है। ये LED से बेहतर है और दाम में OLED से सस्ती है। QLED TV छोटे साइज में नहीं आती। इनका साइज 43-इंच से शुरू होता है और दाम 50,000 रुपए के आस-पास होता है। अलग-अलग ब्रांड के TV मॉडल अलग-अलग फीचर के साथ आते हैं, जिनकी वजह से इनकी कीमत के साथ-साथ इनकी पिक्चर क्वॉलिटी में भी फर्क होता है। QLED का मतलब है Quantum dot (क्वांटम डॉट) LED। ये LED स्क्रीन की ही तरह हैं बस इनमें एक चीज एक्स्ट्रा है। पीछे लगी हुई LED बैकलाइट और आगे लगे हुए LCD पैनल के बीच में नैनो पार्टिकल की एक लेयर लगाई जाती है, जिसे क्वांटम डॉट फिल्टर कहते हैं। इसकी वजह से स्क्रीन में ज्यादा अच्छे कलर और ज्यादा अच्छा कॉन्ट्रास्ट मिलता है।

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