डिजिटल क्रांति:जूम मीटिंग्स की जगह लेगा मेटावर्स, निवेश के लिए टेक कंपनियों में होड़
कैलिफोर्निया में इन दिनों एक बात सबकी जुबान पर है- सिलिकॉन वैली में अगली जंग ‘मेटावर्स’ पर लड़ी जाएगी। हर बड़ी टेक कंपनी का मानना है कि मेटावर्स हमारी वर्चुअल जिंदगी को बदलकर रख देगा। कोरोना महामारी की वजह से स्कूलों और दफ्तरों से लेकर हर जगह जिस तरह वर्चुअल दुनिया का फैलाव हुआ है, उससे यह आकलन सही लगता है।
हर बड़ी टेक कंपनी मेटावर्स में निवेश की दौड़ में कूद पड़ी है। मेटावर्स में सबसे ज्यादा निवेश करने वाली कंपनियों में संभवत: सबसे ऊपर फेसबुक का नाम है। कंपनी के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया कि मार्क जकरबर्ग ने सीनियर एक्जीक्यूटिव्स के साथ हाल की मीटिंगों में सबसे ज्यादा चर्चा मेटावर्स पर ही की है।
एक-एक घंटे की ऑनलाइन मीटिंग्स में कम से कम दो दर्जन बार मेटावर्स का जिक्र आया है। अब यह आइडिया स्टार्ट-अप्स, वेंचर कैपिटलिस्ट्स और टेक कंपनियों के बीच सबसे लोकप्रिय हो रहा है। फेसबुक के नए नाम ‘मेटा’ से यह स्पष्ट है कि कंपनी का फोकस अब किस तरफ है।
ऐसा स्पेस बनाने की कवायद है जो…
फेसबुक के एक्सपर्ट कहते हैं, मेटावर्स को आसान शब्दों में कहा जाए तो यह एक ऐसा स्पेस बनाने की कवायद है जो इंटरनेट जैसा ही हो, लेकिन एक स्क्रीन पर सबकुछ देखने के बजाय आप अपने डिजिटल अवतार के जरिये इस दुनिया में उतर पाएं और दूसरे लोगों से इसी दुनिया में आमने-सामने मिल सकें।
आज महामारी की वजह से जूम या ऐसे ही दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर होने वाली मीटिंग्स हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बन गई हैं। मगर अब आप ये कल्पना कर सकते हैं कि एक उबाऊ स्क्रीन पर किसी को बात करते हुए देखने के बजाय आप मेटावर्स के जरिये एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस रूम में अपनी पसंद के अवतार के रूप में मीटिंग का हिस्सा बन सकते हो।
इससे मीटिंग का अनुभव ज्यादा वास्तविक होगा। आप अपने डिजिटल अवतार के जरिये दूसरे लोगों से ठीक वैसे ही बात कर सकते हैं जैसे आमने-सामने की मुलाकात में करना चाहते हैं। यह डिजिटल अवतार भी आप अपनी पसंद के हिसाब से तैयार कर सकते हैं। आपकी ऑनलाइन गतिविधियों और वर्चुअल रियालिटी (वीआर) का यह मिला-जुला रूप है।
‘मेटावर्स’ शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1992 में एक उपन्यास ‘स्नो क्रैश’ में किया गया था। मेटावर्स से जुड़ने के लिए आपको एक यूनीक हेडसेट की जरूरत होगी। अपने घर के कमरे में आप हेडसेट पहने हुए जो भी गतिविधियां करेंगे या बोलेंगे, वही चीजें आपका डिजिटल अवतार मेटावर्स में हू-ब-हू करेगा। वर्चुअल व्हाइटबोर्ड पर लोग इन मीटिंग्स में तस्वीरें और प्रेजेंटेशन भी शेयर कर सकेंगे।
फेसबुक ने नाम बदल साफ कर दिया अपना फोकस
मार्क जकरबर्ग ये कह चुके हैं कि मेटावर्स का कॉन्सेप्ट उनके मन में स्कूल के दिनों से ही बन रहा था। अब कंपनी का फोकस सबसे ज्यादा मेटावर्स पर होगा इसके संकेत वे दे चुके हैं। फेसबुक का नाम बदलकर ‘मेटा’ रख उन्होंने एक तरह से इसकी घोषणा कर दी है।
फेसबुक अपने प्रोडक्ट ऑकुलस क्वेस्ट-2 हेडसेट रखने वालों के लिए होराइजन वर्करूम्स एप लॉन्च करने वाला है। कंपनी ने 2016 और 2017 में ऑकुलस रूम्स और फेसबुक स्पेसेज के नाम से भी ऐसे एप लॉन्च किए थे, मगर 2019 में इन्हें बंद कर दिया था। कंपनी के कर्मचारियों के मुताबिक होराइजन वर्करूम्स एप की फिलहाल आंतरिक रूप से टेस्टिंग की जा रही है।
बढ़ रहा है निवेश
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की फ्यूचर ट्रेंड्स पर काम करने वाली विंग ब्लूमबर्ग इंटेलीजेंस के मुताबिक मेटावर्स पर अभी 180 अरब डॉलर का निवेश हो चुका है। आने वाले समय में यह निवेश बढ़कर 800 अरब डॉलर तक जा सकता है। मॉर्गन स्टैनली का भी आकलन है कि मेटावर्स का बाजार 8 ट्रिलियन डॉलर का बन सकता है। अमेरिकी रैपर स्नूप डॉग और कनाडाई प्रोड्यूसर डेडमाओ5 जैसे सेलिब्रिटी भी मेटावर्स में निवेश कर रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला भी सोशल मीडिया पर कंपनी के मेटावर्स में उतरने की घोषणा कर चुके हैं। सोनी, निन्तेंडो और डिज्नी भी मेटावर्स में निवेश कर रहे हैं।
हालांकि एआर और वीआर जैसी तकनीकों पर बतौर कंसल्टेंट काम करने वाली फर्म रियालिटी प्राइम के संस्थापक आवी बारजीव कहते हैं कि मेटावर्स के बारे में यह समझना जरूरी है कि क्या हम मानसिक और भावनात्मक रूप से इसके लिए तैयार हैं? अब तक डिजिटल दुनिया में हम एक दूसरे को स्क्रीन पर देखने और टाइपिंग करने के आदी हैं। फिलहाल इस इंटरफेज में ही हम भावनात्मक रूप से कई परेशानियां झेल रहे हैं। मेटावर्स हमें डिजिटल दुनिया में वाकई में आमने-सामने कर देगा।
मेटावर्स पर ओपन सोर्स स्टैंडर्ड विकसित कर रहे ग्रुप ओपन मेटावर्स के लीडर जेसी ऑल्टन का कहना है कि मेटावर्स में ऑनलाइन हैरासमेंट और भी ज्यादा भयावह हो सकता है। यूजर्स एक-दूसरे के डिजिटल अवतार को शारीरिक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। डेटा प्राइवेसी और भ्रामक सूचनाएं भी इस माध्यम में नई चुनौती पेश कर सकती हैं।