रेरा के नए नियमों काे मंजूरी:नए प्रोजेक्ट एक हफ्ते में होंगे मंजूर; दस्तावेज अधूरे तो 7 दिन में ही डेवलपर को बताना होगा
रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) में अब किसी भी नए प्रोजेक्ट का आवेदन 7 दिन से अधिक पेंडिंग नहीं रहेगा। इस अवधि में डेवलपर के सारे दस्तावेज पूर्ण पाए गए तो उसे पंजीयन मिल जाएगा। कमी हुई तो इसी अवधि में डेवलपर को सूचित करना पड़ेगा। तय अवधि में काम पूरा करने की जिम्मेदारी सचिव की होगी।
यह बातें रेरा के नए नियमों में तय की गई हैं, जिन्हें मप्र सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है। सचिव की मदद के लिए रेरा में तीन नई समितियों का गठन किया गया है। ये समितियां प्रोजेक्ट पंजीयन, खर्च की निगरानी और कानून अनुपालन का काम करेंगी। इनके प्रमुख राजस्व, वित्त और कानून के विशेषज्ञ होंगे। एक सहकारी सलाहकार भी नियुक्त किया गया है, जो नए प्रोजेक्ट में सहकारी समितियों का गठन और उनकी निगरानी का काम करेगा।
अभी प्रदेश में पूर्ण हो चुके रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की सहकारी समितियों में बिल्डर का ही दबदबा रहता था। हालांकि रियल एस्टेट मामलों के जानकार अपूर्व जैन तारण कहते हैं- बेहतर होता मप्र सरकार प्रोजेक्ट के पंजीयन में विलंब के लिए रेरा के अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करती। उल्लेखनीय है कि नियमों के अभाव में रेरा में लंबे समय से 500 से अधिक प्रोजेक्ट्स का पंजीयन अटका है। ग्राहकों की 4000 से ज्यादा शिकायतों का अंतिम निराकरण होने के बाद भी उन्हें अंतिम रूप से हक नहीं मिल पाया है।
यह भी अहम
- सचिव के निर्णयों को पलटने का अधिकार चेयरमैन के पास।
- ग्राहक या बिल्डर की अनुपस्थिति में होने वाले एक्स पार्टी ऑर्डर को 30 दिन में चुनौती दी जा सकेगी।
आसान होगा रेरा का संचालन
नई समितियों के गठन से रेरा का संचालन आसान होगा। हमारा काम केवल नए प्रोजेक्ट को मंजूरी देना नहीं है। हमें समय पर काम न करने वाले और बिना अनुमति के ही घर बेचने वाले डेवलपर पर भी नकेल कसनी है।
-नीरज दुबे, सचिव, रेरा मप्र