ऐसे में कैसे सुधरेगा ट्रैफिक? …. 20 साल से सिर्फ प्रस्ताव बन रहे; ग्रेड सेपरेटर, दो बार एलिवेटेड, अब थ्री लेयर मेट्रो कॉरिडोर
शहर की अभी सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक है। पिछले 20 साल में जितने प्लान बने, सर्वे हुए उन पर अमल हो जाता तो आज यह इतनी बड़ी परेशानी नहीं होती। प्रस्तावों की फेहरिस्त में कुछ दिन पहले फिर एक सपना दिखाया गया है। यह है नागपुर की तर्ज पर विजय नगर से राजीव गांधी चौराहे तक एलिवेटेड के बजाय अब थ्री लेयर का मेट्रो कॉरिडोर बनेगा। लेकिन इसी एबी रोड के लिए पहले भी तीन बड़े प्लान किए गए।
साल 2000 में ग्रेड सेपरेटर का। 2009 में बीआरटीएस का। इसके लिए शहर के लोगों ने करोड़ों की जमीनें दान की, यह बनकर शुरू भी हो गया, लेकिन इससे अन्य ट्रैफिक को परेशानी पैदा हो गई। इस परेशानी से निजात पाने के लिए 2018 में आईडीए ने एलिवेटेड कॉरिडोर का प्रस्ताव बनाया पर बना नहीं सका। कांग्रेस सरकार आई और पीडब्ल्यूडी से फिर इसका प्रस्ताव बनाया गया। केंद्र से पैसा भी मंजूर हुआ, लेकिन टेंंडर और डिजाइन में मामला उलझा। इस बीच अब नया सपना है थ्री लेयर कॉरिडोर का सामने आ गया।
ये सर्वे हुए पर काम एक पर नहीं, इसलिए 28 लाख आबादी की राह मुश्किल
पहला सर्वे- आईडीए ने पहले पांच ब्रिज का सर्वे करवाया
आईडीए चेयरमैन रहते शंकर लालवानी ने विजय नगर, शिवाजी वाटिका, मधुमिलना, भंवरकुआं व महू नाका चौराहे का सर्वे करवाया। शास्त्री ब्रिज का प्रस्ताव बना लेकिन आगे बात नहीं बढ़ी।
दूसरा सर्वे- 7 फ्लायओवर के लिए पीडब्ल्यूडी ने सर्वे किया
कांग्रेस सरकार ने 7 फ्लायओवर का प्रस्ताव बनवाया। इनमें रेडिशन, रोबोट खजराना, मूसाखेड़ी, आईटी पार्क खंडवा रोड, राजीव गांधी व विजय नगर चौराहे पर पीडब्ल्यूडी से सर्वे कराया पर कुछ नहीं हुआ।
अब तीसरा सर्वे- अब 11 ब्रिज के लिए चल रही है कवायद
भाजपा सरकार आई तो 7 की जगह 11 फ्लायओवर का प्रस्ताव बना। इनमें चार नए के अलावा पिछले सात शामिल हैं। अब तक मुंबई की कंपनी 5 का सर्वे कर चुकी है, बाकी की रिपोर्ट आना है।
एलिवेटेड का सर्वे- जवाहर मार्ग की आसान राह के प्रयास भी असफल
पूर्व महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा के समय जवाहर मार्ग पर एलिवेटेड ब्रिज बनाने का प्रस्ताव बना। संभागायुक्त रहते आकाश त्रिपाठी ने फिजिबिलिटी सर्वे करवाया। 20 लाख खर्च के बाद नतीजा सिफर।
राह आसान करने के ये प्रयास भी अधूरे
- सुपर कॉरिडोर पर सिटी बस चली नहीं, मेट्रो दौड़ेगी : साल 2012 में सुपर कॉरिडोर बना। आज तक यहां सिटी बस तक नहीं चल पाई।
- पश्चिमी रिंग रोड : 1971 के मास्टर प्लान में प्रस्तावित पश्चिमी रिंग रोड पर तमाम कवायदें हुई, लेकिन यह रिंग आज तक पूरी नहीं हो पाई।
- मास्टर प्लान की सड़कें बना नहीं पाएं एमआर 3, 5,6 9,11,12, आरई-2
- छावनी-मधुमिलन चौराहे तक की सड़क 7 साल में नहीं बनी।
दो मंत्री अवगत पर नहीं सुधरा ट्रैफिक
12 नवंबर 2020 को नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा था। इंदौर में ट्रैफिक समस्या की जानकारी मुझे है। 22 नवंबर 2021 को प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा ट्रैफिक संसाधनों की पूर्ति करेंगे।
सीधी बात : शंकर लालवानी, संसद
- थ्री लेयर मेट्रो कॉरिडोर के लिए पैसा कहां से आएगा?
एनएचएआई और मेट्रो रेल कंपनी के मार्फत पैसा जुटाएंगे। प्रदेश और केंद्र सरकार से भी फंड जुटाने की कोशिश करेंगे।