इंदौर अब मेट्रोपॉलिटन सिटी ….. रैली, जुलूस, कथा, प्रदर्शन की मंजूरी अब पुलिस से मिलेगी, रासुका अब भी कलेक्टर ही लगाएंगे

पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद सीआरपीसी एक्ट के तहत धारा 58, धारा 106 से लेकर 124 तक और धारा 129 से लेकर 132 और प्रतिबंधात्मक धारा 144 व 144 क के साथ नौ अन्य धाराओं में अधिकार पुलिस कमिश्नर को दिए गए हैं, लेकिन इन पर से कलेक्टर (डीएम) के अधिकार हटाए नहीं गए हैं। यानी सीआरपीसी के तहत अधिकारों को प्रतिस्थापित (एक से हटाकर दूसरे को) नहीं किया गया है, बल्कि कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर दोनों को ही अधिकार दिए गए हैं।

वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट के तहत रासुका के अधिकार कलेक्टर के पास रहेंगे। हालांकि मप्र सुरक्षा अधिनियम के तहत जिलाबदर के अधिकार पुलिस कमिश्नर को दिए गए हैं। प्रतिबंधात्मक धारा 144 के तहत आदेश पुलिस कमिश्नर के साथ ही कलेक्टर भी कर सकेंगे, लेकिन यह समन्वय की बात है।

……. Explainer- वह सब जो आप जानना चाहते हैं; माफिया अभियान प्रशासन ही देखेगा

​​क्या कलेक्टर अब डीएम नहीं रहेगा?

कलेक्टर डीएम बने रहेंगे, क्योंकि सरकार ने कुछ चुनिंदा धाराएं पुलिस कमिश्नर के साथ साझा की है।

जिलाबदर, रासुका के केस अब कहां जाएंगे?

जिलाबदर मुख्य तौर पर पुलिस द्वारा ही होंगे, लेकिन रासुका के केस पुलिस के माध्यम से अभी भी कलेक्टर के पास ही जाएंगे। इसमें सीधे गिरफ्तारी के अधिकार हैं।

प्रतिबंधात्मक धारा 144 में अब लॉकडाउन के आदेश या अन्य आदेश कौन करेगा?

जहां अपराध संबंधी मामला होगा, उसे रोकने में जो आदेश जरूरी लगेगा, वह पुलिस कमिश्नर द्वारा किए जाएंगे। जैसे कि किराएदार की जानकारी पुलिस को देना। वहीं लॉकडाउन, मास्क, वैक्सीनेशन अनिवार्यता, प्रदूषण होने पर धुआं रोकना, आचार संहिता के संबंध में धारा 144 जैसे पोस्टर आदि नहीं लगाना, यह सभी कलेक्टर करेंगे।

रैली, जुलूस, कथा की मंजूरी कौन देगा?

ये सभी मंजूरी अब संबंधित थाने से ही मिलेगी। इसमें एसडीएम द्वारा मंजूरी जारी नहीं होगी, क्योंकि पहले भी पुलिस की रिपोर्ट पर ही एसडीएम मंजूरी देते थे, अब यह पुलिस खुद ही जारी कर देगी।

लाउड स्पीकर की आवाज हो, देर रात बोरिंग हो या कोई अशांति हो तो क्या करें?

आम व्यक्ति थाने के साथ ही प्रशासन को सूचना दे सकता है। धारा 133 आम जन अशांति से जुड़ी है जो पुलिस कमिश्नर को नहीं गई है।

माफिया अभियान में कौन लीड करेगा?

धारा 145 के तहत जमीन, पानी के विवाद से जुड़े मामले प्रशासन के पास ही है। इसमें पुलिस कमिश्नर को अधिकार नहीं दिए गए हैं। यह प्रशासन द्वारा ही किया जाएगा। इसलिए माफिया के विरुद्ध अभियान प्रशासन द्वारा किया जाएगा।

अवैध निर्माण तोड़ने या कहीं पर विवाद होने पर क्या एसडीएम नहीं जाएंगे?
कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 133 के तहत अधिकार एसडीएम के पास ही हैं। वह इन मौकों पर मौजूद रहेंगे।

विविध प्रतिबंधात्मक धारा जैसे 107, 116, 110 का अधिकार कौन उपयोग करेगा?

ये अधिकार पुलिस और एसडीएम दोनों के पास ही रहेंगे, लेकिन चूंकि इन धाराओं में इश्तगासा भी पुलिस ही बनाती है तो वह इसे बनाकर एसडीएम की जगह अब अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के पास ले जाएगी। हालांकि यदि एसडीएम को किसी मामले में लगता है कि उन्हें किसी को इन धाराओं में बुलाना है या आमजन अशांति में किसी पर यह धारा लगाना है, तो वह लगा सकेंगे।

पड़ोसियों से या अन्य किसी तरह के विवाद आदि पर बाउंडओवर की प्रक्रिया कौन करेगा?

यह पुलिस द्वारा ही की जाएगी।

हथियारों के लाइसेंस कौन बनाएगा?

अधिकार कलेक्टर के पास ही रहेंगे।

आबकारी के तहत पब, रेस्त्रां की मंजूरी आदि अब कौन देगा?

अधिकार कलेक्टर के पास रहेंगे।

(अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव कहते हैं अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस कमिश्नर व्यवस्था जरूरी थी। शासन ने कलेक्टर के पास कई अधिकारों को रखा है, जैसे रासुका के अधिकार कलेक्टर के पास रहेंगे, यह अच्छा कदम है, इससे व्यवस्थाएं बेहतर चलेंगी।)

ये भी बदलाव– महानगरों की तर्ज पर क्राइम ब्रांच, ट्रैफिक टीमें

जटिल मामलों की पड़ताल के लिए क्राइम ब्रांच का नया सेटअप तैयार होगा। इसमें डीसीपी रैंक के अधिकारी (वर्तमान में एसपी) प्रभारी होंगे। वहीं ट्रैफिक में भी एक डीसीपी (एसपी) मुख्य इंचार्ज होंगे। ये सभी अत्याधुनिक संसाधन व बल के साथ स्पेशल विंग की तर्ज पर काम करेंगे। मोटर व्हीकल अधिनियम, राज्य सुरक्षा अधिनियम में भी पुलिस निर्णय ले सकेगी।

कमिश्नरी लागू होते ही ये नए बदलाव बेहद जरूरी

1. शहर में एक हजार का अतिरिक्त फोर्स लगेगा। अपराध नियंत्रण के लिए यह जरूरी 2. एससीपी रैंक के अफसरों के लिए कार्यालय के नए सेटअप तैयार करने होंगे।

3. 450 लोगों पर एक जवान की शहर को जरूरत, लेकिन फिलहाल 1455 लोगों पर एक जवान की जिम्मेदारी है।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम का खाका तैयार करने की प्रक्रिया से जुड़े रहे हैं इंदौर के पूर्व पुलिस अधिकारी संजीव शमी

अपराधियों पर प्रभावी नियंत्रण, जवाबदेही तय करना आसान होगा, नए बदलाव से जनता को फायदा

किसी भी सिस्टम में पॉवर अपने साथ जिम्मेदारी को लेकर भी आता है। कमिश्नर पद वरिष्ठ अधिकारी के पास होगा तो निश्चित ही अधीनस्थों पर नियंत्रण भी ज्यादा बेहतर होगा और कार्यक्षमता भी बढ़ेगी। जिस तरह से इंदौर-भोपाल का विस्तार हुआ है, उसमें अपराधों पर नियंत्रण और जनता की सहूलियत के लिए कमिश्नर सिस्टम बहुत जरूरी हो गया था। दूसरे विभागों पर निर्भरता खत्म होने से जहां एक ओर अपराधियों पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा, वहीं जवाबदेही तय करना भी आसान होगा। जहां तक कमिश्नर सिस्टम में कुछ जरूरी मूलभूत सुविधाओं के लिए अलग से बजट का मसला है तो प्लानिंग विभाग इस पर काम कर रहा है। समय के साथ कोर्ट रूम आदि के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की जाएंगी।– संजीव शमी | एडीजी, सिलेक्शन

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