gwa…..पहली बार ऐसा बदलाव:शहर की 2295 लोकेशन में से 40 फीसदी होंंगी मर्ज, यहां एक समान हैं जमीन के रेट

  • वर्ष 2022-23 की कलेक्टर गाइड लाइन को लेकर हुई बैठक

प्रॉपर्टी की वर्ष 2022-23 की कलेक्टर गाइड लाइन में शहर की लोकेशन 40 फीसदी तक कम हो जाएंगी। ऐसा एक ही मोहल्ले, कॉलोनी में एक रेट की कई लोकेशन को मर्ज करने से होगा। मर्जिंग के कारण कुछ क्षेत्रों में कीमतों में आंशिक अंतर आएगा क्योंकि एक से अधिक लोकेशन मर्ज करते वक्त रेट हायर लोकेशन के तय होंगे।

शुक्रवार को उप मूल्यांकन समिति की पहली बैठक कलेक्ट्रेट में हुई। इसमें अध्यक्ष व एसडीएम लश्कर अनिल बनवारिया ने उप पंजीयकों से मौजूदा स्थिति समझकर अगली बैठक के लिए होमवर्क करने को कहा है। अगली बैठक अब 24 दिसंबर को होगी। शुक्रवार की बैठक में वरिष्ठ जिला पंजीयक दुष्यंत दीक्षित, केएन वर्मा, संजय सिंह, प्रशांत साहू, तहसीलदार शिवानी पांडेय आदि मौजूद थे।

वर्तमान गाइड लाइन में कुल 3 हजार 649 लोकेशन हैं। इनमें 1 हजार 354 ग्रामीण क्षेत्र की हैं जबकि 2 हजार 295 शहरी क्षेत्र कीं। ग्रामीण क्षेत्र में जियो टेगिंग का काम पूरा हो चुका है। यहां पर कुछ बड़े गांवों को छोड़कर अधिकतर में दो ही तरह के रेट रखे जा रहे हैं। एक रोड के अंदर और एक रोड पर। शहर में स्थिति ऐसी नहीं है।

बढ़ सकते हैं कुछ पुरानी लोकेशन के रेट
बैठक में बनवारिया ने कहा कि शहर की एक रेट वाली 2295 लोकेशन की टेगिंग कर ली जाए। अनुमान है कि इसके बाद इन लोकेशन की संख्या 1100 तक कम हो सकती है। बैठक में तय हुआ कि चार लोकेशन मर्ज करने पर इनमें से जहां रेट ज्यादा होंंगे वे तय होंगे। कुछ लोकेशन के मौजूदा रेट बढ़ सकते हैं।

उप पंजीयक कुछ विभागों से लेंगे रिपोर्ट

अगली बैठक से पहले पंजीयन विभाग नगर निगम, नगर तथा ग्राम निवेश से ऐसे क्षेत्रों की रिपोर्ट लेगा जहां पर नए आवासीय या व्यावसायिक प्रोजेक्ट मंजूर हुए हैं। ऐसे ही जिन क्षेत्रों में अगले एक दो साल में जमीन अधिग्रहण होना हैं वहां की भी जानकारी उप पंजीयक कलेक्ट्रेट की भू-अर्जन शाखा से लेंगे।

पहले थीं 1700 लोकेशन

  • पंजीयन विभाग के मुताबिक करीब 10 साल पहले जिले में 1700 लोकेशन थीं जो अब 3649 हो गई हैं। उप पंजीयक बताते हैं कि 10 साल पहले महानिरीक्षक ने एक-एक गली-मोहल्ले की लोकेशन बनाने को कहा था। इसके बाद ही करीब एक हजार लोकेशन अचानक बढ़ गई।
  • जियो टैगिंग में लगे अफसरों ने बताया कि अभी गूगल मैप पर छोटी-छोटी लोकेशन के ब्लॉक बनाने में दिक्कत आ रही है। इसी कारण एक समान रेट वाले और आपस में सटे गली-मोहल्लों को जोड़ कर एक लोकेशन कर बड़े ब्लॉक बनाए जाएंगे।
  • शताब्दीपुरम की तरह शिंदे की छावनी, माधौगंज आदि में छोटी गलियों की लोकेशन अभी अलग है। इन्हें एक करने से ड्यूटी की चोरी रुकेगी। टैगिंग के बाद संपत्ति की लोकेशन साफ दिखाई देने लगेगी कि वह सड़क पर है या गली के अंदर।

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