नदी से पानी लाने के लिए आखिर कब तक बहाएंगे ….. भूजल बढ़ाने में गंभीर नहीं निगम, 2 साल में सिर्फ 800 वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

नर्मदा के तीसरे चरण के पूरे होने के साथ निगम साल 2055 के लिए 1800 एमएलडी पानी के लिए डीपीआर तैयार करवा रहा है। शहर की प्यास बुझाने पर नगर निगम सालाना 255 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं, आखिर नदी से पानी लाने के लिए कब तक पैसा बहाया जाएगा। इससे बेहतर होगा कि नगर निगम शहर में भूजल स्तर बढ़ाने के प्रयास करे।

इंदौर डार्क जोन में है, इसके बावजूद निगम द्वारा भूजल को बढ़ाने के लिए सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग का अभियान 2019 में शुरू हुआ और चार महीने में ही 16 हजार स्थानों पर किट लगवाए। इसके बाद अधिकारियों ने इससे मुंह मोड़ लिया और दो साल में सिर्फ 800 स्थानों पर ही हार्वेस्टिंग की गई है। दूसरी तरफ रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य करने वाले प्रस्ताव का भी गजट नोटिफिकेशन नहीं करवाया जा सका।

जिले में भूजल का दोहन 126% पर पहुंचा

डायनैमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स 2020 की रिपोर्ट में इंदौर जिले में भूजल का दोहन 126 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जबकि 2017 में यह 116 प्रतिशत था। इस अतिदोहन का सबसे बड़ा कारण खेती में होने वाली सिंचाई है। देश के दूसरे प्रदेश में जहां भूजल का दोहन कम हुआ है और वाटर रिचार्जिंग भी बढ़ रही है।

वहीं मध्यप्रदेश में भूजल का भंडारण कम होता जा रहा है। दो साल से पेंडिंग रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य करने वाले कानून का फाइनल ड्राफ्ट अगस्त में गजट प्रकाशन के लिए गया था। इसके बाद नगर निगम द्वारा कोई पहल नहीं की गई, जिसके कारण यह प्रस्ताव आगे ही नहीं बढ़ सका।

2019 में चार माह में 16 हजार सिस्टम लगाए थे, इसके बाद अभियान को भुला दिया

निगम ने 2019 में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए चार महीने में 16 हजार घरों और विभिन्न प्रतिष्ठानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवा दिए थे। इसका नतीजा यह रहा कि 2020 में मई तक बोरिंग नहीं सूखे। पांच महीने पहले कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता को इसका प्रभारी अधिकारी बनाकर वाटर हार्वेस्टिंग करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन चार महीने में इस पर कोई काम नहीं हुआ।

कोरोना के कारण उलझे रहे, अब ध्यान देंगे

दो साल में कोरोना के कारण 800 स्थानों पर ही वाटर रिचार्जिंग हुई है। वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य करने वाला प्रस्ताव बन चुका है, बस गजट नोटिफिकेशन होना बाकी है। इसके बाद से सभी के लिए यह अनिवार्य होगा।
सुनील गुप्ता, कार्यपालन अधिकारी

मुंबई व अन्य शहरों की तरह खुद के जल स्रोत विकसित करना होंगे

2055 में 1800 एमएलडी पानी इंदौर को लगेगा। इसकी भले ही निगम डीपीआर बनाकर नर्मदा से पानी लाने की तैयारी में है। अभी भी हम 23 रुपए प्रति हजार लीटर की दर का जो पानी पी रहे हैं वह बहुत महंगा पड़ता है। इससे बेहतर है कि हमें हमारे जल स्रोतों को ही विकसित करना चाहिए। मुंबई जैसे कई शहरों के पास नदी नहीं है तो वे वर्षाजल को ही संग्रहित करते हैं। हालांकि हमारे यहां वाष्पीकरण ज्यादा होता है तो हमें जल स्रोतों को गहरा करवाना होगा और उनके पानी पर निर्भरता बढ़ानी होगी। वाटर हार्वेस्टिंग बेहतर विकल्प है, लेकिन इसे साइंटिफिक तरीके से करवाना चाहिए। सुधींद्र मोहन शर्मा भूजल विशेषज्ञ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *