हार के बाद राहुल की अमेठी में पहली रैली …. प्रियंका के साथ जिस विधानसभा से 5 किमी पदयात्रा करेंगे, वहां 32 साल में सिर्फ 3 बार हारी है कांग्रेस

कांग्रेस के गढ़ अमेठी के एक दिवसीय दौरे पर आज राहुल गांधी बहन प्रियंका के साथ आ रहे हैं। UP चुनाव को लेकर यह उनका अमेठी का पहला दौरा है। यहां वह जगदीशपुर विधानसभा में पांच किमी की भाजपा भगाओ, महंगाई हटाओ प्रतिज्ञा पदयात्रा बहन प्रियंका के साथ करेंगे। इसके बाद हारीमऊ गांव में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। जगदीशपुर अमेठी की वही विधानसभा है, जहां 32 साल में कांग्रेस सिर्फ तीन बार हारी है।

पदयात्रा के लिए आखिर जगदीशपुर विधानसभा ही क्यों?

  • साल दर साल अमेठी में कांग्रेस यूं तो कमजोर होती ही गई है, लेकिन बीते 32 सालों में कहीं न कहीं जगदीशपुर विधानसभा पर कांग्रेस की पकड़ बनी रही है। 1989 से 2021 के बीच 32 सालों में यहां कांग्रेस सिर्फ 3 बार हारी है।
  • दरअसल, जगदीशपुर विधानसभा वही क्षेत्र है, जहां गांधी परिवार ने सत्ता में रहते हुए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किया। हालांकि, समय के साथ यहां का विकास खत्म हो गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, इंडोगल्फ फर्टिलाइजर्स, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के अलावा तमाम शैक्षणिक और तकनीकी संस्थान हैं। हालांकि, इसके बाद कुछ बढ़ा भी नहीं है।
  • जगदीशपुर सुरक्षित सीट में आती है। ऐसे में यहां दलित वोटर्स की संख्या ज्यादा है। कांग्रेस का कभी कोर वोट बैंक रहा दलित अब दूसरे इलाकों में दूसरी पार्टियों में चला गया हो, लेकिन यहां अभी भी लोग कांग्रेस को अहमियत देते हैं।
राहुल जगदीशपुर विधानसभा में पांच किमी की भाजपा भगाओ, महंगाई हटाओ प्रतिज्ञा पदयात्रा करेंगे।
राहुल जगदीशपुर विधानसभा में पांच किमी की भाजपा भगाओ, महंगाई हटाओ प्रतिज्ञा पदयात्रा करेंगे।

क्या कहते हैं जगदीशपुर के बाशिंदे ?

राहुल गांधी 2019 लोकसभा चुनाव हारने के 28 महीने बाद अमेठी दूसरी बार आ रहे हैं। इससे पहले चुनाव हारने के बाद जुलाई 2019 में अमेठी की जनता का शुक्रिया अदा करने आए थे। हालांकि, राहुल के अमेठी आगमन पर जनता में वह जोश नही दिख रहा है। हनुमान प्रसाद चौहान ने कहा कि राहुल और प्रियंका चुनावी माहौल देखने आ रहे हैं। उनका अगर पुराना नाता होता तो बीच में ही आते-जाते। पब्लिक की देखरेख करते। हालांकि, वो स्मृति ईरानी से भी खुश नहीं हैं। कहते हैं कि महंगाई बढ़ गई है, जो गल्ला मिल रहा वह राजनीतिक गल्ला है। वैसे हनुमान प्रसाद का कहना है अबकी अमेठी से कांग्रेस जीतेगी।

राहुल गांधी 2019 लोकसभा चुनाव हारने के 28 महीने बाद अमेठी दूसरी बार आ रहे हैं। इससे पहले चुनाव हारने के बाद जुलाई 2019 में अमेठी की जनता का शुक्रिया अदा करने आए थे।

हारीमऊ गांव से थोड़ा आगे दक्खिन गांव पड़ता है। यहां किसान गुड्डू शुक्ला से हमारी मुलाकात हुई, उन्होंने कहा कि राहुल का अमेठी से पारिवारिक नाता है। अब जब हार गए तो कुछ दिन नहीं आए, देख रहे थे कि ‌BJP वाले क्या कर रहे हैं। अब उनको समझ में आ रहा है कि अमेठी का कोई विकास नहीं हो सकता है। हम ही लोग उद्धार कर सकते हैं। इसीलिए आ रहे हैं।

बघैया कमालपुर की प्रमिला देवी ने कहा कि अमेठी राहुल का क्षेत्र है़, लेकिन वो हमारा ध्यान नहीं देते। जो ध्यान देगा उसी के पास तो जाएंगे। महंगाई इतनी बढ़ी है कि अब हम मुलायम और अखिलेश को चाहते हैं। इसी गांव के सुनील कुमार कहते हैं, हम लोग राहुल की वजह से ही जाने जाते हैं। पहले कांग्रेस सरकार सत्ता में थी, लेकिन हम लोग उनके विकास के बारे में जानते नहीं हैं। उन्होंने विकास किया, लेकिन जनता संतुष्ट नहीं हुई। महंगाई बढ़ी है, लेकिन सरकार BJP की ही सही है।

जगदीशपुर विधानसभा वही क्षेत्र है जहां गांधी परिवार ने सत्ता में रहते हुए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किया।
जगदीशपुर विधानसभा वही क्षेत्र है जहां गांधी परिवार ने सत्ता में रहते हुए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किया।

स्मृति का किला भेद पाएंगे राहुल?

2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी के हाथों अमेठी में मिली हार के बाद से राहुल गांधी ने UP से दूरी बना ली। राहुल आखिरी बार अमेठी 10 जुलाई 2019 को पहुंचे थे, लेकिन उसके बाद कभी नहीं गए। इस दौरान स्मृति ने अपने किले को काफी मजबूत किया है। इसे ऐसे समझें

  • अमेठी में राहुल की ताकत संजय सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली है। ऐसे में कहीं न कहीं राहुल गांधी अमेठी में कमजोर माने जा रहे हैं। दरअसल, संजय गांधी अमेठी में राहुल के मुख्य रणनीतिज्ञों में आते थे।
  • सांसद रहने के दौरान राहुल का फोकस सिर्फ अपनी संसदीय सीट पर ही रहा। वह अमेठी की विधानसभा सीटों पर फोकस नहीं कर पाए। यही वजह रही कि 2012 में जहां अमेठी में सपा ने वर्चस्व जमाया था। वहीं, 2017 में BJP ने 4 में से 3 सीटें जीतीं।
  • राहुल का VIP होना भी उनके आड़े आता रहा। लोकल वर्कर उनसे मिल नहीं सकता है। साथ ही अमेठी को उन्होंने हमेशा निजी दौरा बनाकर चले। यही वजह रही कि यहां संगठन भी काम करता नहीं दिखता है। इसके उलट हर एक दो महीने पर स्मृति ईरानी का दौरा होता है।
  • राहुल की गैरमौजूदगी की वजह से अब विधानसभा से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक भाजपा का है। ऐसे में 2022 विधानसभा में कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल पैदा हो सकती है।
  • भाजपा के अलावा अखिलेश यादव भी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने के लिए विजय रथ पर रवाना हो चुके हैं। एक दिन पहले उन्होंने कहा है कि हम अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट छोड़ते रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में हमारा पूरा फोकस अमेठी और रायबरेली पर है। ऐसे में राहुल को भाजपा के अलावा सपा की चुनौती को भी स्वीकारना पड़ेगा।

अमेठी है किसका गढ़?

UP विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी भले ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पास है, लेकिन अमेठी को मजबूत करने की कवायद में राहुल गांधी जुट गए हैं। हालांकि, साल दर साल अमेठी में कमजोर हुई कांग्रेस को 2017 में एक भी सीट नहीं मिली थी। स्मृति ईरानी की बनाई जमीन पर अमेठी की 4 में से 3 सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया था, जबकि एक पर सपा काबिज हुई थी।

अमेठी का चुनावी इतिहास

  • स्वतंत्र भारत में पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव का गठन हुआ। हालांकि, उस वक्त अमेठी सुल्तानपुर दक्षिण लोकसभा सीट का ही हिस्सा माना जाता था, जहां से कांग्रेस से बालकृष्ण विश्वनाथ केशकर सांसद बने थे।
  • 1957 में यह क्षेत्र मुसाफिरखाना लोकसभा सीट का हिस्सा बना और केशकर तब भी यहां के सांसद बने रहे। अब तक के हुए 16 लोकसभा चुनावों और 2 उपचुनाव में कांग्रेस ने 16 बार जीत का परचम लहराया।
  • सिर्फ दो बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा जब 1977 में भारतीय लोकदल और 1998 में BJP ने इस सीट पर जीत दर्ज की।

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