नोएडा…बिल्डरों पर 20 हजार करोड़ बकाया …… पहले नंबर पर यूनिटेक तो दूसरे पर आम्रपाली, प्राधिकरण ने जारी की सूची

ग्रुप हाउसिंग के बिल्डरों से बकाया लेने के लिए नोएडा प्राधिकरण सख्ती बरतना शुरू करेगा। बिल्डरों पर करीब 20 हजार करोड़ रुपए बकाया है। टॉप 5 बकाएदारों में सुपरटेक भी शामिल है। बकाएदार बिल्डरों की बिना बिकी संपत्ति जब्त की जाएगी। इसके अलावा आरसी भी जारी की जाएगी।

इन बिल्डरों पर इतना है बकाया

नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डरों पर बकाए की ताजा सूची जारी की है, जिनमें यूनिटेक पर सबसे ज्यादा करीब 8 हजार करोड़, आमप्राली पर 3 हजार करोड़, एम्स मैक्स गार्डेनिया पर 1,123 करोड़, ग्रेनाइट गेट प्रोपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड पर 780 करोड़, सुपरटेक पर 645 करोड़, लॉजिक्स इंफ्राटेक लिमिटेड पर 555 करोड़, गार्डेनिया एम्स डेवलेपर पर 544, लॉजिक्स सिटी पर 490 करोड़, थ्री सी प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड पर 421 करोड़, ओमेक्स बि बिल्ड होम पर 380 करोड़, रेड फोर्ट जहांगीर प्रोपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड पर 358 करोड़ और लॉजिक्स इंफ्रास्टक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर 326 करोड़ रुपए बकाया है। बाकी बिल्डर परियोजनाओं पर भी 50 से लेकर 300 करोड़ रुपए तक बकाया है।

बिना बिकी की संपत्ति होगी सील

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि बकाएदार बिल्डरों पर जल्द ही कार्रवाई करनी शुरू कर दी जाएगी। जिन परियोजनाओं में बिना बिकी संपत्ति है, उसको सील किया जाएगा। इसके अलावा आरसी भी जारी की जाएगी। गौरतलब है कि बकाए पर ब्याज को लेकर बिल्डरों व प्राधिकरण के बीच मामला उच्चतम न्यायालय में चल रहा है। इस मामले में जुलाई 2019 में आए फैसले में न्यायालय ने एमसीएलआर के मुताबिक यानि करीब साढ़े आठ प्रतिशत के हिसाब से बिल्डरों से वर्ष 2010 से बकाया लेने का आदेश प्राधिकरण को दिया था, जबकि प्राधिकरण 11 से 24 प्रतिशत पर बकाए पर ब्याज लेता है। न्यायालय के आदेश पर नोएडा प्राधिकरण ने पुर्नविचार याचिका सितंबर 2019 में दायर कर दी थी।

यूनिटेक और आम्रपाली के मामले चल रहे न्यायालय में

नोएडा में आम्रपाली के 9 और यूनिटेक बिल्डर के 5 भूखंड हैं। इन दोनों बिल्डरों का मामला उच्चतम न्यायालय में चल रहा है। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर ही बिना बकाया लिए नोएडा प्राधिकरण फ्लैटों की रजिस्ट्री की अनुमति दे रहा है, जबकि बाकी सभी परियोजनाओं पर बकाया होने के कारण प्राधिकरण ने पूरी तरह रजिस्ट्री की मंजूरी देने पर रोक लगा रखी है। यूनिटेक बिल्डर का मामला भी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।

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