पूर्व मंत्री ने ट्विटर पर किया सवाल ….राकेश सिंह बोले- मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई में भ्रमित हो रही जनता

पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह ने प्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त किए जाने को लेकर प्रदेश सरकार के कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट डालते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इसमें जनता को भ्रमित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सीएम प्रदेश की जनता से माफी मांगें।

पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह ने कहा कि 21 दिसंबर को कांग्रेस के पूर्व सीएम कमलनाथ द्वारा स्थगन लगाते हुए बताया गया था कि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे नकार दिया था। ठीक दो दिन बाद 23 दिसंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शासकीय संकल्प लाते हैं। कहते हैं कि बिना पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के पंचायत चुनाव प्रदेश में नहीं कराए जा सकते।

सीएम के बयान के दूसरे दिन गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान आता है। वे 24 दिसंबर को कहते है कि देश में ओमिक्राॅन और कोरोना की भयावह स्थिति के चलते के जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। अत: प्रदेश में पंचायत चुनाव नहीं कराए जा सकते। प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री, दोनों के बयान अलग-अलग हैं। दोनों ही अपने-अपने बयानों से एक दूसरे को नीचा दिखा रहे है। पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह ने कहा कि- यह दोनों संवैधानिक पद पर है और दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई दिख रही है। उन्होंने सवाल किया-एक-दूसरे को नीचा दिखाने में जनता को बीच में क्यों पिस रहे हैं?

पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह ने ट्विटर माध्यम से सरकार से पूछा।
पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह ने ट्विटर माध्यम से सरकार से पूछा।

उन्होंने प्रदेश सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि आप रोज स्टेटमेंट बदल रहे हैं। आपके द्वारा लगाया गया अध्यादेश भी 27 दिसंबर को वापस कर लिया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश के वो लोग जो चुनाव लड़ना चाहते थे जो कि किसान है, गांव में रहते हैं, जिन्होंने पैसे खर्च किया, जिनके ऊपर केस लग गए। ऐसे लोगों से प्रदेश के मुख्यमंत्री को माफ मांगना चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि आप की बात सही है या गृहमंत्री की बात सही है। अथवा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का प्रस्ताव ठुकराकर बीजेपी सरकार ने गलती की है।

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