SPG हर हमले को कर देती है नाकाम …. दुनिया के सबसे घातक हथियारों से लैस हैं मोदी के कमांडो; पलक झपकते हमलावर ढेर और PM सेफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला बुधवार को पंजाब के फिरोजपुर जिले के एक फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक रुका रहा। उनसे कुछ ही दूरी पर किसान हाईवे पर जाम लगाकर प्रदर्शन कर रहे थे। बारिश के बीच आगे जाने का रास्ता न मिलने पर प्रधानमंत्री को बठिंडा एयरपोर्ट लौटना पड़ा। इस दौरान सुरक्षा एजेंसियों की सांसें थमी रहीं, कहीं PM के साथ कुछ अनहोनी न हो जाए।

केंद्रीय गृह मंत्रालय समेत तमाम एक्सपर्ट्स इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक मान रहे हैं। आम लोगों के मन में भी सवाल हैं कि ऐसे हालात में अगर प्रदर्शनकारी किसान प्रधानमंत्री के करीब आ जाते या इस परिस्थिति का फायदा उठाकर कोई दुश्मन प्रधानमंत्री तक पहुंचने की कोशिश करता तो क्या होता?

चिंता मत कीजिए SPG है न। ये वही कमांडो हैं, जो सूट-बूट में काला चश्मा लगाए प्रधानमंत्री को घेरे रहते हैं। जरूरत पड़ने पर ये जवान अपने अत्याधुनिक हथियारों से दुश्मन को पलभर में ढेर कर देते और प्रधानमंत्री को सुरक्षित वहां से निकाल ले जाते।

तो आइए, प्रधानमंत्री और उनके परिजनों की सुरक्षा के लिए खासतौर पर तैयार इस बेहद खतरनाक कमांडो फोर्स के हथियारों और उपकरणों के बारे में जानते हैं…

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद SPG बनाने की हुई शुरुआत

  • प्रधानमंत्री के पद पर रहते 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई। उसके बाद 1985 में SPG बनी।
  • 1988 में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एक्ट, 1988 पारित करके इसका औपचारिक गठन किया गया।
  • केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल यानी CAPF और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के जवान SPG में शामिल होने की इच्छा जता सकते हैं।
  • केंद्रीय सशस्त्र बलों का कोई भी जवान अपने करियर में केवल एक बार 5 साल के लिए SPG में जा सकता है।
  • SPG के जवान और अफसरों पर किसी मीडिया हाउस से संपर्क करने या SPG में अपने कार्यकाल पर कोई किताब लिखने की पाबंदी होती है।
  • इन दिनों SPG में 3000 से ज्यादा जवान और अफसर हैं।
  • SPG को एक IPS अफसर कमांड करता है, जो देश के कैबिनेट सेक्रेटेरिएट को रिपोर्ट करता है।

SPG की 4 ब्रांच हैं…

1. ऑपरेशन्स यानी ग्राउंड पर जाकर पीएम की सुरक्षा करने वाले जवान या अफसर। इनमें भी आगे टेक्निकल विंग, कम्युनिकेशन विंग और ट्रांसपोर्टेशन विंग जैसे हिस्से होते हैं।

2. ट्रेनिंग : इस ब्रांच के पास SPG के जवानों को ट्रेनिंग देने का जिम्मा होता है। SPG जवानों को करीब से लड़ने, हथियार चलाने, वीआईपी की सुरक्षा, बिना हथियारों के लड़ने, प्राथमिक चिकित्सा देने, अलग-अलग तरह की गाड़ियों को चलाना सिखाया जाता है।

3. इंटेलिजेंस एंड टूर: यह SPG की इंटेलिजेंस विंग है। इसका काम जोखिम को आंकना, संदिग्ध लोगों की जांच करना, नए भर्ती जवानों का बैकग्राउंड चेक करने जैसे काम होते हैं।

4. एडमिनिस्ट्रेशन: इस ब्रांच के हवाले प्रशासनिक काम जैसे फाइनेंस, ड्यूटी, हथियारों की खरीद आदि काम होते हैं।

करीब 600 करोड़ है SPG का बजट

  • 2020-21 के बजट में SPG के लिए 592.55 करोड़ दिए गए थे।
  • पिछले वित्त वर्ष यानी 2019-20 के मुकाबले यह रकम 10% ज्यादा थी।
  • साफ है कि पीएम मोदी की सुरक्षा पर रोज करीब 1.62 करोड़ रुपए खर्च होते हैं।

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