नोएडा…वादा पूरा नहीं तो वोट नहीं …… 35 हजार फ्लैट अवैध, 60 हजार को मिले ही नहीं, लोग बोले- योगी सरकार ने पूरा नहीं किया वादा
नोएडा विधानसभा में 35 हजार से ज्यादा लोग अपने फ्लैटों में रहने के बाद भी अवैध हैं और 60 हजार ऐसे हैं, जिनको अब तक फ्लैट नहीं मिला है। वह इस वजह से कि सरकार ने इनसे जो वादा किया, वह पूरा नहीं हुआ। अब करीब एक लाख लोग ‘नो होम, नो वोट और नो रजिस्ट्री, नो वोट’ का अभियान चला रहे हैं। जबकि यहां कुल मतदाता ही 6.5 लाख हैं। इनका कहना है कि पहले बिल्डर फिर प्राधिकरण और अब सरकार ने भी इनसे झूठ कहा। जो वादा किया, वो सब अधूरा रहा।
अगर वह कोशिश करते तो सबको मिलता मालिकाना हक
नोएडा में बिल्डरों का बूम 2009-10 में आया। आम्रपाली, जेपी और यूनीटेक के अलावा कई बिल्डर आए। इन लोगों ने लुभावने सपने दिखाए और फ्लैट ऑफर किए। 2014 तक फ्लैट मालिकाना हक (रजिस्ट्री) के साथ देने का वादा किया, लेकिन यह वादा झूठा निकला। 2017 में बीजेपी यही वादा के साथ आई कि सभी की समस्याओं का समाधान होगा, लेकिन पूरा नहीं हुआ।
नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान ने कहा कि नोएडा में उनके सारे वादे झूठे रहे। अगर वह कोशिश करते तो सबको मालिकाना हक मिल जाता, लेकिन मर्जी नहीं थी। वह होती तो क्या नहीं हो सकता है। अब वह मजबूर हैं और ‘नो होम नो वोट’ की मुहिम में फ्लैट बायर्स के साथ हैं।
सरकार ने छोड़ा अकेला
नेफोवा के महासचिव इंद्रीश ने बताया कि सरकार ने हमे अकेला छोड़ दिया है। इसकी वजह यह रही कि जिन लोगों को फ्लैट नहीं मिले, उनमें से अधिकांश बाहरी हैं। वोट नहीं तो कुछ नहीं। हमारे साथ ऐसा ही हुआ और अब भी हमे फ्लैट मिलने का इंतजार है। अप्रैल 2017 से अब तक 20 हजार रजिस्ट्री हुई।
क्यों नहीं मिल रहा मालिकाना हक
बिल्डरों को अधिकांश भूखंडों का आवंटन 2009-10 में किया गया। उस दौरान भूखंड की कुल लागत का 10 प्रतिशत जमा कर आंवटन मिल जाता था। बाकी पैसा किस्तों में जमा करना होता था। बिल्डरों ने इसका फायदा उठाया। भूखंड का आवंटन करा कर बायर्स से पैसे लिए, लेकिन प्राधिकरण में किस्ते जमा नहीं की। बिल्डरों पर करीब 20 हजार करोड़ रुपए बकाया है। नोएडा में रजिस्ट्री त्रिपक्षीय होती है। यानी बिल्डर, बायर्स और प्राधिकरण के बीच। ऐसे में जब तक बिल्डर डियूस जमा नहीं करेगा तब तक रजिस्ट्री नहीं खुलेगी।
बिल्डर बकाया
- यूनिटेक 8 हजार करोड़
- आम्रपाली 3 हजार करोड़
- एम्स मैक्स गार्डेनिया 1123 करोड़
- ग्रेनाइट गेट प्रोपर्टीज 78० करोड़
- सुपरटेक 645 करोड़
- लॉजिक्स इंफ्राटेक 555 करोड़
- गार्डेनिया एम्स डेवलेपर 544
- लॉजिक्स सिटी 49० करोड़
- थ्री सी 421 करोड़