तो इसलिए अयोध्या नहीं आए योगी … 10 हजार मंदिरों के शहर में एक भी ढंग का अस्पताल नहीं, पढ़ाई हो या नौकरी, युवाओं को ‘वनवास’

ये अयोध्या है…10 हजार वर्षों का इतिहास इसके पत्थरों में सिमटा हुआ है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली का गौरव इसका अतीत है…और इस जन्मस्थली पर भव्य राममंदिर का उल्लास इसका भविष्य है। भारतीय राजनीति के आंदोलनों और चुनावी शोर में अयोध्या की गूंज बरसों पुरानी है। हालांकि, अयोध्या की बात मंदिर पर शुरू होकर मंदिर पर ही खत्म हो जाती है।

राम मंदिर का निर्माण यहां के हर बाशिंदे के लिए गौरव की बात है, मगर इसके आगे भी उनकी बहुत सारी जरूरतें हैं जो चुनाव दर चुनाव और सरकार दर सरकार अधूरी ही रह जाती हैं। मौजूदा भाजपा सरकार में भी अधूरी रह गईं। स्वास्थ्य सुविधाएं हों या शिक्षा…हर चीज के लिए फैजाबाद या लखनऊ तक दौड़ अब यहां आम बात है। बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं का पलायन भी यहां नया नहीं है।

राममंदिर निर्माण के साथ जो काम शुरू हुए हैं उनसे उपजा दर्द अभी ताजा है। करीब 70% शहर उधेड़ दिया गया है। टूटी सड़कें, उफनती नालियां और नदियों में मिलता गंदा पानी लोगों को परेशान कर रहा है। पुरानी समस्याओं से त्रस्त जनता अब इन दिक्कतों की वजह से नाराज है। शायद यह नाराजगी इस बात की बड़ी वजह रही कि तमाम तैयारियों और कयासों के बावजूद सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के बजाय अपने गढ़ गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ना उचित समझा।

अभी 70% अयोध्या की हालत ऐसी है।
अभी 70% अयोध्या की हालत ऐसी है।

आबादी 8 गुना बढ़ गई, रोजगार नहीं बढ़े
स्थानीय निवासी अखिलेश चौबे कहते हैं कि यहां विकास की रफ्तार पिछले 30 साल से सुस्त ही है। आबादी 8 गुना बढ़ गई है, मगर अयोध्या शहर ही नहीं आस-पास के इलाके में भी उद्योग-धंधे नहीं बढ़े। यहां रोजगार सबसे बड़ा संकट है। शहर के जिस भी इलाके में चले जाएं केवल पूजन सामग्री मिलती है। इसके अलावा यहां के युवाओं के पास आय का कोई जरिया नहीं। ऐसे में पढ़े-लिखे युवाओं का पलायन स्वाभाविक है। हर वर्ष हजारों युवा अयोध्या से नौकरी की तलाश में दूसरे शहरों का रुख करते हैं।
10 हजार मंदिर हैं, ढंग का अस्पताल एक भी नहीं

अयोध्या आस्था का शहर है। यहां 10 हजार से ज्यादा मंदिर हैं। यहां हर मोड़ पर भगवान का घर है, मगर फिर भी आम आदमी बेसहारा है। सरकारी अस्पताल में स्टाफ ही पूरा नहीं। छोटी-छोटी बीमारियों के लिए भी 135 किलोमीटर दूर लखनऊ तक दौड़ना पड़ता है। शहर में कॉलेज, स्कूल भी स्तरीय नहीं।

लड़कियों के लिए यहां एक मात्र तुलसी कन्या इंटर कॉलेज है जो अब खंडहर बन चुका है। लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए फैजाबाद जाना पड़ता है। स्थानीय शैलेंद्र मणि पांडेय कहते हैं कि कभी इस सरकारी इंटर कॉलेज में एक हजार से अधिक छात्राएं थीं, आज महज 150 रह गई हैं।

मंदिर निर्माण से खुशी, मगर इसके लिए 2 किमी के दायरे में आबादी उजाड़ दी

लोग उखड़ी सड़कों और बहती नालियों से परेशान हैं।
लोग उखड़ी सड़कों और बहती नालियों से परेशान हैं।

यहां की जनता राम मंदिर निर्माण शुरू होने से बहुत खुश है। सरयू के घाट पर हर वर्ष दीपावली पर होने वाले दीपोत्सव से अयोध्या को पर्यटन बढ़ने की भी उम्मीद है। फिलहाल मंदिर निर्माण का काम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, 2 किलोमीटर के दायरे में लोगों को उजाड़ा जा रहा है। इस बात से लोग खासे परेशान हैं।

बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी कहते हैं कि कोर्ट के आदेश से मंदिर का निर्माण हो रहा है, यह बहुत खुशी की बात है। मगर अब विकास की बात भी होनी चाहिए। जब तक लोगों को सड़क, सीवरेज, घर और अस्पताल जैसी चीजें नहीं मिलेंगी, जब तक रोजगार के अवसर पैदा नहीं होंगे…तब तक विकास अधूरा रहेगा।

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