चौधरी चरण सिंह के गांव से रिपोर्ट … 22 साल में 6 CM बदले, लेकिन नहीं बना एक कॉलेज, कागजों में GGIC और मौके पर हैं खेत
आजकल चौधरी साहब चर्चाओं में हैं। चौधरी साहब यानी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह…। वजह है उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव। जयंत चौधरी अपने दादा की विरासत को बचाए रखने के लिए मैदान में हैं, तो भाजपा वाले जाटों को खुश करने के लिए अपनी जुबान पर बार-बार चौधरी चरण सिंह का नाम लेकर उनसे अपनत्व की दुहाई दे रहे हैं। सियासी चर्चाओं में चौधरी साहब का नाम जोरों पर है, ऐसे में ‘दैनिक भास्कर’ की टीम उनके पैतृक गांव नूरपुर की मढैया में पहुंची। यह गांव उत्तर प्रदेश के जिला हापुड़ में है।
परिवार के दो व्यक्ति, एक भाजपा और एक रालोद से मैदान में
चौधरी चरण सिंह पार्क के बाहर सात-आठ किसान बैठे थे। चुनाव पर ही चर्चा चल रही थी कि भास्कर टीम पहुंच गई। इस बार क्या माहौल है, इस पर गांव वाले बताते हैं कि नूरपुर की मढ़ैया में कुल 80 वोट हैं। वे कहते हैं, वोट सारे राजनीतिक दलों को बराबर-बराबर देंगे। ऐसा क्यों, यह पूछने पर गांव वाले कहते हैं कि एक तरफ जयंत चौधरी चुनाव लड़ रहे, दूसरी तरफ चौधरी चरण सिंह के परिवार से ही हरेंद्र चौधरी भाजपा के टिकट पर गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 80 वोट एक विचारधारा से प्रभावित नहीं हैं, इसलिए भाजपा और गठबंधन दोनों को वोट जाएगा। इस गांव में विकास कोई मुद्दा नहीं है। उसकी वजह यह है कि गांव की सारी सड़कें पक्की हैं। सड़कों के किनारे दोनों तरफ टाइल्स की इंटरलॉकिंग है। साफ-सफाई और बिजली आपूर्ति भी बेहतर है।
साल-2000 में राजनाथ सिंह घोषित करके गए थे कन्या इंटर कॉलेज
‘दैनिक भास्कर’ टीम को इस दौरान चौंकाने वाली जानकारी मिली। साल-2000 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थे। उस दौरान वे चौधरी चरण सिंह के पैतृक गांव नूरपुर की मढैया में आए। उन्होंने गांव में राजकीय कन्या इंटर कॉलेज बनाने की घोषणा की। गांव के इंद्रपाल सिंह ने 20 बीघा जमीन कॉलेज के लिए दान दे दी। सरकार ने उसकी बाउंड्रीवाल के लिए पांच लाख रुपए स्वीकृत भी कर दिए। अफसोस की बात है कि 22 साल बाद भी इस कॉलेज का निर्माण नहीं हो सका। ‘दैनिक भास्कर’ टीम उस जगह पर पहुंची, जहां यह कॉलेज बनना था। कॉलेज की जमीन पर खेत थे और उनमें फसल लहलहा रही थी। बाउंड्रीवाल भी जगह-जगह से टूट चुकी थी।
मार्कशीट में GGIC का नाम, कॉलेज चल रहा दूसरी जगह
हम जब और गहराई में गए तो यह जानकारी हुई कि जीजीआईसी सिर्फ कागजों में चल रहा है और बच्चे पढ़ भी रहे हैं। हम पड़ोस के गांव सिकंदरपुर काकौड़ी गांव में स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय पर पहुंचे। पता चला कि जीजीआईसी इसी स्कूल के एक कमरे में चल रहा है। यहां करीब 40 छात्राएं पढ़ती हैं, उन्हें पढ़ाने के लिए दो-तीन शिक्षिकाएं बाहर से आती हैं। हमने एक छात्रा की हाईस्कूल की मार्कशीट देखी। उस पर GGIC नूरपुर की मढैया लिखा हुआ था।
इस जमीन पर कॉलेज बनवाने के लिए इंद्रपाल सिंह कई बरस से लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके बेटे सुधीर कुमार बताते हैं कि पिता तमाम अफसरों को पत्र लिख चुके। बेटियों को पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है। अब पिछले दिनों सरकार ने इस कॉलेज के निर्माण का एस्टिमेट नए सिरे से बनवाया है, लेकिन यह नहीं पता कि कॉलेज कब बनेगा।
22 साल में छह सीएम बदले
राजनाथ सिंह 28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद मायावती, मुलायम सिंह यादव, फिर से मायावती, अखिलेश यादव और फिर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। कुल मिलाकर इन 22 सालों में छह बार मुख्यमंत्री बदले, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के गांव में कन्या इंटर कॉलेज नहीं बना। यह स्थिति तब है, जब घोषणा करने वाले राजनाथ सिंह आज देश के रक्षा मंत्री हैं और उत्तर प्रदेश में भी उनकी पार्टी की सत्ता है।
फूस के छप्पर से PM तक का सफर
चौधरी चरण सिंह 23 दिसंबर 1902 को गांव नूरपुर में फूस के छप्पर की मढैया में पैदा हुए थे। 5वीं तक की शिक्षा उन्होंने इसी गांव के प्राइमरी स्कूल से ली। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में उन्होंने वकालत शुरू की। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी गठित की। वह महात्मा गांधी के तमाम आंदोलनों में भागीदार रहे और जेल भी गए। 3 अप्रैल 1967 को वे मुख्यमंत्री बने। 28 जुलाई 1979 को चरण सिंह प्रधानमंत्री बने।