बात करते-करते कट रहे हैं फोन, नहीं चल रहा है इंटरनेट, अब लोग परेशान
25 सीसी बढ़ाने के बावजूद इंटरनेट डेटा हो रहा ड्रॉप…..
उपभोक्ता बढ़े लेकिन ऑपरेटर्स ने अधोसंरचना का नहीं किया विस्तार, इसलिए बढ़ रही समस्या…..
भोपाल। राजधानी सहित पूरे प्रदेश के मोबाइल उपभोक्ता अभी डेटा कॉल ड्रॉप और इंटरनेट डाटा ड्रॉप की समस्या से जूझ रहे है। बातचीत के बीच फोन कट जाता है। कई बार फोन लगाने के बावजूद नहीं लग रहा है। यही हाल इंटरनेट का भी है। उपभोक्ताओं को एक समान स्पीड नहीं मिल रही है। बल्कि बीच-बीच में मोबाइल डाटा ड्रॉप हो जाता है और जूम मीटिंग या अन्य काम करते समय कुछ समय के लिए उपभोक्ता उससे कट जाते हैं।
बावजूद उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में अभी तक 4 करोड़ 73 लाख उपभोक्ताओं ने मोबाइल पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन किया है। भोपाल में हर महीने लगभग 15 हजार लोग नंबर पोर्ट कराने के लिए आवेदन कर रहे हैं। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन क्लासेज आदि के कारण उपभोक्ताओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अवधपुरी निवासी शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि वे मुंबई की कंपनी में नौकरी करते हैं। वे वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन मीटिंग करते हैं तो बीच में डाटा ड्रॉप हो जाता है। इससे उनका काम प्रभावित हो रहा है।
उपभोक्ता बढ़े लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं
बीएसएनएल के रिटायर्ड इंजीनियर ओपी तिवारी के अनुसार अभी कंपनियां सिम बेचकर उपभोक्ता तो बढ़ाती जा रही हैं लेकिन इंफ्रा तैयार नहीं किया जा रहा है। अभी मोबाइल ऑपरेटर्स के बेस ट्रांसरिसीवर स्टेशन बीटीएस अपेक्षाकृत बहुत कम हैं। इस बीटीएस के माध्यम से ही एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल पर वॉयस या डेटा पहुंचता है। इससे नेटवर्क समस्या, कॉल ड्राप होने का सिलसिला बढ़ता है। अपेक्षित डेटा स्पीड नहीं मिलने से डेटा कॉल भी ड्रॉप हो रहे हैं। बीटीएस बढ़ाने से बैंडविथ बढ़ेगी। बैंडविथ जितनी ज्यादा होगी, इंटरनेट और वॉयस कनेक्टिविटी उतनी ही बेहतर होगी। इसके लिए व्यवस्था होना चाहिए।
दो प्रतिशत से ज्यादा कॉल ड्रॉप पर पेनल्टी का प्रावधान
ट्राई के रीजनल ऑफिसर विनोद गुप्ता के अनुसार तकनीकी खामी के कारण 2 प्रतिशत कॉल ड्राप को ट्राई ने छूट के दायरे में रखा है। लेकिन इससे ज्यादा होने पर पेनल्टी का प्रावधान है। इस संबंध में मुख्यालय से निगरानी चल रही है। यदि ऑपरेटर्स की सेवाओं में गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई की जा सकती है।