अबसे अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा मशीनों को खरीदने व इनकी देखभाल के नाम पर खर्च होंगे
कोरिया के पहले पूरी तरह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की रहवासी 24 साल की ली सियो जिन हमारी तरह ही इस सुबह जागी और कहा, ‘स्मार्ट, टर्न द लाइट्स ऑन’ (लाइट चालू कर दो) पर उसने खुद लाइट नहीं जलाई, जैसा हम करते हैं। उसने हमारे जैसे ही रोजमर्रा के काम किए जैसे वॉशरूम गई, कॉफी गर्म की, मैले कपड़ों से वॉशिंग मशीन लोड की, अंतर बस इतना था कि अपने स्मार्टफोन या टीवी से कर रही हर काम के लिए उसे वॉइस कमांड से मदद मिल रही थी।
वे सूचनाएं दे रहे थे कि उसकी ड्रिंक अभी गर्म है, वॉशिंग मशीन तैयार है या काम खत्म कर चुकी। ज्यों-ज्यों वह सुबह की कॉफी पीती जा रही थी, उसका स्मार्टफोन फ्रिज में खाने की चीजों की सूचीबद्ध रूप से स्थिति बता रहा था और कौन-सी चीज एक्सपायरी के करीब है। इस बीच उसे दरवाज़े के बाहर पार्सल के इंतजार का नोटिफिकेशन मिला। उस घर की सारी जानकारी विजुअल और वॉइस दोनों रूप में या तो स्मार्टफोन या फिर टीवी पर उपलब्ध है।
कोई भी स्विच चालू करने या दरवाजा खोलने के लिए उसने हाथ इस्तेमाल नहीं किए। छत पर सोलर पैनल है। निजी जानकारी जैसे नाम, वज़न, बीपी आदि दर्ज करने के बाद कॉलोनी के सामुदायिक केंद्र से ही एक अनुरोध पर डॉक्टर से वीडियो परामर्श होता है।(हालांकि आपात के लिए नर्स मौजूद है।) सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए 1.8 बिलियन डॉलर का फंड पाने वाली ईको डेल्टा स्मार्ट सिटी में रहने वाली ली जिन और 53 अन्य लोगों के लिए ये रोजमर्रा की चीजें हैं।
वे अगले तीन साल तक यहां रहेंगे और यह सिटी, सैमसंग सी एंड टी व सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ साझेदारी के रूप में काम कर रही है। ये परियोजना दक्षिण कोरिया में सियोल से 325 किमी दूर और देश के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर बुसान के एक सिरे में शुरू हुई है। ये नव निर्मित सुविधा भविष्य की हेल्थकेयर, रोबोटिक्स, स्मार्ट खेती, पर्यावरण व सुरक्षा प्रौद्योगिकियों के लिए परीक्षण होगी।
तीन साल के शोध में शामिल होने के लिए राजी इन 54 रहवासियों के घर जीवन गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए आधुनिक घरेलू उपकरणों व शहरी तकनीक से जुड़े हैं। वे वहां अगले तीन साल मुफ्त रहेंगे, बदले में वह रोजमर्रा के जीवन से जुड़ा सारा डाटा साझा करेंगे, जिसका इस्तेमाल स्मार्ट सिटीज़ का भविष्य बनाने में होगा। कई हजार आवेदनों में से चुने इन लोगों का इस साल 15 जनवरी तक यहां आना पूरा हो चुका है और वे अपने दफ्तरों के लिए वर्क फ्रॉम होम करेंगे।
अभी बच्चे सामान्य स्कूल ही जाएंगे। जरूरत की हर चीज वह स्मार्टफोन से ऑर्डर करेंगे और वह उनकी दहलीज़ तक पहुंचा दी जाएगी। संक्षेप में कह सकते हैं कि यह ‘बिग बॉस’ टीवी शो का बृहद् संस्करण है, जहां रहने वालों का हर मिनट टीवी पर देखा जाता है। ये रहवासी सिर्फ रखरखाव लागत जैसे बिजली-पानी का पैसा देंगे, पर किराया नहीं। बदले में वह लिविंग लैब प्रोग्राम के लिए कोरियाई जल संसाधन कंपनी ‘के-वॉटर’ को अपनी जिंदगी से जुड़ा हर डाटा देंगे।
यह प्रोग्राम हेल्थ डाटा से लेकर घरेलू उपकरणों की ऊर्जा खपत, साथ ही भविष्य के निवासियों के व्यवहार संबंधी जानकारी को लेकर निगरानी रखेगा। वे नियमित इंटरव्यूज से अपने जीवन का फीडबैक देते रहेंगे। इस तरह ‘के-वॉटर’ इस ईको डेल्टा वासियों के लिए आने वाले दिनों के साथ सुविधाजनक जीवन की चीज़ें जोड़ते रहेंगे, जो उन्हें भविष्य के स्मार्ट शहरों की लंबी अवधि की एक साफ तस्वीर खींचने में मदद करेगा।
फंडा यह है कि याद रखें, अबसे कुछ साल में ही ‘सुविधा’ के नाम पर हम मशीनों पर ज्यादा निर्भर होंगे और अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा इन्हें खरीदने व इनकी देखभाल के नाम पर दे रहे होंगे।