MP के IPS की फिल्म जैसी Love story … इसमें ड्रामा, सस्पेंस-इमोशन भी, कॉलेज में चाहा, इजहार कर न सके; जुदा हो गए तो दोस्त ने मिलाया

मध्यप्रदेश के एक आईपीएस की लव स्टोरी पूरी फिल्म जैसी है। इसमें ड्रामा, सस्पेंस और इमोशन सबकुछ है। दोनों साथ पढ़े। एक-दूसरे को चाहा भी पर दिल की बात कह न सके। दोनों की पढ़ाई पूरी हुई और रास्ते अलग-अलग हो गए, लेकिन अचानक एक मैसेज ने सबकुछ बदल दिया। यह कहानी है आईपीएस अमित सिंह और उनकी पत्नी प्रज्ञा सिंह की।

 वैलेंटाइन डे पर पढ़िए इस आईपीएस अफसर की लव स्टोरी… उन्हीं की जुबानी

हमारी लव स्टोरी की शुरुआत होती है इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से। हम एक साथ पढ़े। फिर भी एक-दूसरे से इश्क का इजहार नहीं कर पाए। उस समय मैं सीनियर रिसर्च फेलोशिप और प्रज्ञा एमए कर रही थी। कोर्स खत्म होने के बाद हम दोनों अपने-अपने रास्ते चले गए।

2006 में इलाहाबाद (प्रयागराज) यूनिवर्सिटी में ही मेरी प्रज्ञा से पहचान हुई। बातचीत हुई। हम दोनों ने एक-दूसरे के मोबाइल नंबर भी लिए, लेकिन एक-दूसरे को अपनी फीलिंग नहीं बता पाए। वहां से मैं UPSC की तैयारी करने में लगा। एक दिन मेरे दोस्त ने प्रज्ञा को मेरे नंबर से एक SMS भेज दिया। इसमें उसने मेरी तरफ से उसे प्रपोज कर दिया। उसने मेरे नंबर से मैसेज डिलीट कर दिया। रात करीब 2 बजे एक लड़की का फोन आया। उसने दोस्ती करने की बात कही। मेरा अगले दिन पेपर था। मैंने मना कर दिया। दूसरे दिन प्रज्ञा ने मुझे फोन किया। उसके बाद हमने एक-दूसरे से प्यार का इजहार कर दिया।

आईपीएस अमित सिंह और प्रज्ञा की लव स्टोरी की शुरूआत इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुई।
आईपीएस अमित सिंह और प्रज्ञा की लव स्टोरी की शुरूआत इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुई।

खुद घर पर प्रज्ञा का फोटो भेजा

चार मई 2009 में UPSC का रिजल्ट आया, तो घर पर शादी की बात होने लगी। मैंने स्टूडियो जाकर प्रज्ञा का फोटो खिंचवाया और उसे घर पर भेज दिया। मैंने कहा कि मुझे इसी लड़की से शादी करनी है। अब कोई और रिश्ता नहीं देखना। परिजन राजी नहीं थे, लेकिन पीछे हटने का सवाल ही नहीं था। गलती की थी इसलिए अपनी गलती मानी और परिवार को मनाया। 2011 में परिजनों की रजामंदी से शादी की। शादी बहुत जल्दी में की, क्योंकि प्रज्ञा के पिता की तबीयत काफी खराब हो गई थी। ऐसे में हम उनके सामने परिणय संबंध में बंधना चाहते थे।

तकरारें होने पर सॉरी बोलते हैं

पहले तकरार जब होती थी, तो वह लंबे समय तक चलती थी। इससे घर से लेकर ऑफिस तक में तनाव होता था, लेकिन धीरे-धीरे तकरारें कम और हल्की-फुल्की हो गईं। अब जब भी तकरार होती है, तो गलती करने वाला सॉरी बोलकर भूल सुधार कर लेता है। सॉरी बोलते ही सब ठीक हो जाता है।

प्रज्ञा बोलीं- मेरे लिए हर वैलेंटाइन डे खास

प्रज्ञा सिंह का कहना है कि वैसे तो उन्हें अमित में सभी बातें अच्छी लगती हैं, लेकिन उनकी सादगी और सच्चाई ऐसी दो बातें हैं, जिन्हें उनमें हमेशा देखना चाहती हूं। मेरे लिए वैलेंटाइन डे खास है। हर वैलेंटाइन डे से एक दिन पहले रात में मैं सरप्राइज प्लान करती हूं। इस बार भी करूंगी।

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