जीवन के हर चीज में वैलनेस की जरूरत होती है, इसलिए बिजनेस में हर चीज को इससे जोड़ रहे हैं

वाइन भी! मैं जानता हूं आप इस भूल पर मुस्कराएं होंगे। क्योंकि मैंने शीर्षक तोड़ते हुए उसके शेष शब्दों को इस कॉलम के शुरू में जोड़ दिया। लेकिन मुझे भी ठीक ऐसा ही लगा, जब पता चला कि किस तरह कुछ विनयार्ड (जहां वाइन बनती है) रविवार की योग कक्षाओं में विकल्प के रूप में योग के बाद वाइन चखने की पेशकश कर रहे हैं!

एक ओर जहां सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे चेतावनी दे रहे हैं कि अगर महाराष्ट्र सरकार ने सुपरमार्केट्स व वॉक-इन स्टोर्स में वाइन की बिक्री के प्रस्ताव को मंजूरी दी तो वे सोमवार से भूख हड़ताल करेंगे, वहीं दूसरी तरफ दुनिया भर के वाइन-निर्माता उसी उत्पाद के साथ ‘वैलनेस’ शब्द जोड़ रहे हैं! जहां अण्णा सरकार से वाइन नीति पर विचार करने को कह रहे हैं और सरकार वादा कर रही है कि वो वाइन बिक्री को बढ़ावा देने वाली नीति से पहले लोगों से बात करेगी।

वहीं वैश्विक वाइन-विक्रेता न सिर्फ योग के साथ ऐसा कर रहे हैं, बल्कि वे घुड़सवारी के साथ हाइकिंग को वाइन बिजनेस के साथ जरूर मिला रहे हैं। बस, हाइकिंग की जगह विनयार्ड कर दी है। जिन्हें घुड़सवारी से डर लगता है, उनके लिए उसी रास्ते पर साइकिल का विकल्प भी है। महामारी के दौरान सैन फ्रैंसिस्को में कुछ वाइनरीज़ ने ग्राहकों से खुली जगह में संपर्क के लिए भी ऐसे ही कुछ आयोजन किए थे।

कोविड से पहले मैं खुद अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, जॉर्जिया, ऑस्ट्रेलिया में अनेक वाइन-टूर्स का हिस्सा रहा हूं, पर ऐसे टूर में ‘वैलनेस’ कोविड के बाद का बिजनेस ट्विस्ट है। पहले साइकिल चलाने वालों को वाइन का सम्भावित ग्राहक नहीं मानते थे। पर चूंकि अब शारीरिक गतिविधियों को अमीर प्राथमिकता देने लगे हैं, इसलिए वाइन-निर्माता वाइन का स्वाद के साथ ही हाइक्स, शारीरिक गतिविधियों और ‘वैलनेस’ नामक जादुई शब्द जोड़ रहे हैं।

क्या कल्पना कर सकते हैं कि अमेरिका में हील्ड्सबर्ग वाइनरी ने अपने 340 एकड़ के बेल माउंटेन रैंच पर पिछले महीने एक ‘इम्मर्सिव साउंड एक्सपीरियंस’ टूर शुरू किया है, जहां रिकॉर्ड ध्यानमग्न ध्वनियां सुनते हुए पैदल चल सकते हैं। इस सेल्फ-गाइडेड टूर को ‘द डी-टॉक्स एंड री-टॉक्स’ कहा गया है और इसके अंत में वाइन चखते हैं। बाकी, सनसेट योग क्लासेस, ट्रेल रनिंग, बाइक ट्रेल्स, मशरूम खोजने आदि गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं, और सबका समापन वाइन से होता है।

ऐसे भी अब नए वाइन क्लब ‘डॉग-हाइक्स’ की पेशकश कर रहे हैं! इसका उद्‌गम क्रॉस-कंट्री रनिंग में है। डॉग ट्रेल एक ऐसा रास्ता होता है, जो मुख्य मार्ग से कट जाता है। इसका यह मतलब है कि इसकी शुरुआत तो एक ही जगह से एक ही समय पर होगी, लेकिन हर कुत्ता अपने मालिक के साथ जंगल, पहाड़ी या झाड़ियों में एक भिन्न रास्ते से जाएगा, ताकि सबसे कुछ समय के लिए दूर हो सके और बाद में पुन: लौट आए। अंत में वे वाइन पीते हुए अपने अनुभव साझा करते हैं।

बात केवल हेल्थ-वैलनेस की ही नहीं है। आज के युवा ये फिक्र करते हैं कि जिसका उपभोग कर रहे हैं, आती कहां से है। उनके सामाजिक मूल्यों व वैलनेस के अनुभव से भी उनका जुड़ाव होता है। मैं इस उद्योग के आकलनों से सहमत हूं। इससे पहले बूमर्स (1965 से पहले जन्मे) व जनरेशन एक्स (1980 से पहले जन्मे) ही शराब के 50% खरीदार थे, शेष मिलेनियल्स (1996 से पहले जन्मे) थे।

कोविड के बाद अचानक पैदा हुई स्वास्थ्य चिंताओं के बाद तीनों ही आयु वर्गों के लोग अब लो-अल्कोहल (वाइन)व नॉन-अल्कोहलिक विकल्प चुनने लगे हैं। फंडा यह है कि हर इंडस्ट्री प्रोडक्ट से ‘वैलनेस’ जोड़ने के लिए कोई ‘यूनीक सेलिंग पॉइंट’ तलाश रही है। अगर आमतौर पर हानिकारक मानी जाने वाली वाइन इंडस्ट्री ऐसा कर सकती है, तो बाकी क्यों नहीं?

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