अंतरिक्ष में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मोदी सरकार ने दी नई एजेंसी को मंजूरी, DSRA बनाएगी हथियार

केंद्र की मोदी सरकार ने अंतरिक्ष में भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर ली है। अंतरिक्ष में युद्ध की संभावनाओं के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) ने नई एजेंसी गठित करने को मंजूरी दे दी है। इस एजेंसी का नाम रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (डीएसआरए) रखा गया है।

डीएसआरए अंतरिक्ष युद्ध से जुड़ी संवेदनशील हथियार प्रणाली और तकनीकी विकास की दिशा में काम करेगी। डीएसआरए के गठन को लेकर कुछ समय पहले ही निर्णय हुआ था। उसके बाद संयुक्त सचिव स्तर के वैज्ञानिकों की देखरेख में बेंगलुरु से संचालित होने वाली इस एजेंसी की रूपरेखा तैयार किए जाने की शुरुआत की गई थी। आगे एजेंसी को वैज्ञानिकों की एक टीम उपलब्ध कराई जाएगी, जो तीनों सेनाओं के साथ मिलकर काम करेगी। इसके साथ ही यह भारतीय सेना के तीनों अंगों वाली रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (डीएसए) के अनुसंधान और विकास में भी सहायता करेगी।

ए सैट का परीक्षण कर दिखाई थी ताकत
इससे पहले मार्च में भारत ने अपने पहले एंटी सैटेलाइट मिसाइल (ए-सैट) का सफल परीक्षण किया था। इस परीक्षण में भारत ने एक मिसाइल से अपने ही सैटेलाइट को मार गिराया था। इसके साथ ही भारत यह सफल परीक्षण करने वाले दुनिया के चार चुनिंदा देशों में शामिल हो गया था। वैज्ञानिकों की उस सफलता की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन देते हुए दी थी।

एयर मार्शल रैंक के अधिकारी को जिम्मा
एयर मार्शल रैंक के अधिकारी की देखरेख में बेंगलुरु में रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी का गठन किया जा रहा है। यह एजेंसी आने वाले समय में तीनों सेनाओं की अंतरिक्ष से जुड़ी क्षमताओं की जगह ले लेगी। अंतरिक्ष एवं साइबर हमलों से निपटने के लिए मोदी सरकार ने हाल के वर्षों में विशेष तैयारी की है और उसने कई एजेंसियों का गठन किया है। देश के भीतर एवं बाहर दोनों तरफ खतरों का मुकाबला करने के लिए स्पेशल ऑपरेशंस डिविजन भी बनाई गई है।

अमेरिका और रूस भी इस दिशा में उठा चुके हैं कदम
भारत ने ऐसे समय में अंतरिक्ष जंग के खतरे पर ध्यान केंद्रित किया है जब अमेरिका पहले ही 2020 तक अंतरिक्ष के लिए सेना बनाने का ऐलान कर चुका है। साथ ही रूस भी इस पर काफी समय से काम कर रहा है। अमेरिका के इस फैसले से चीन की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि वह भी इस दिशा में आगे बढ़ सकता है। वहीं अमेरिका ने चुनौतियों के रूप में रूस और चीन का नाम लिया है।

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