38 को फांसी तक पहुंचाने वाला अफसर बोला .. जांच टीम 4 महीने घर नहीं जा पाई; हमले का डर था, सैकड़ों किमी के सफर में पानी पीने भी नहीं रुकते थे
26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपियों को आखिरकार सजा मिल गई है। कोर्ट ने 49 आरोपियों में से 38 को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि 11 आरोपी ताउम्र जेल में रहेंगे। पहली बार किसी केस में एक साथ इतने आरोपियों को फांसी सुनाई गई है। दैनिक भास्कर ने इस केस के लिए बनी जांच टीम में शामिल रहे पुलिस अधिकारी आरवी असारी से बात की। अहमदाबाद के जॉइंट पुलिस कमिश्नर (JCP) असारी ने बताया कि किस तरह पूरे देश से आतंकियों को तलाश करने के बाद पकड़ा गया।
बम विस्फोट के वक्त मैं गोधरा में ड्यूटी पर था
असारी के मुताबिक, ’26 जुलाई, 2008 को जब अहमदाबाद में सीरियल बम विस्फोट हुआ था, तब मैं गोधरा में ड्यूटी पर था। मेरे पास फोन आया कि आप तुरंत अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को रिपोर्ट करें। अगले दिन 27 तारीख को मैं अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में मौजूद था। पूरे राज्य में इस आतंकी हमले की चर्चा हो रही थी। हमारी जांच टीम को यह पता लगाने का टास्क दिया गया कि इस हमले के पीछे कौन हैं और उन्हें दंडित कराया जाए।’
दाणीलीमड़ा बिल्डिंग में मिली बम बनाने वाली कड़ी
‘मेरे वरिष्ठ अधिकारी अभय चुडासमा ने मुझे यह पता लगाने का काम सौंपा कि आतंकवादियों ने ब्लास्ट्स में यूज सामग्री कहां तैयार की थी और बम कहां बनाए गए थे। साथ ही इसके सारे सबूत इकट्ठा करने को कहा। इस बीच कई अधिकारी मेरी टीम में शामिल हो गए और हम धीरे-धीरे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि RDX (प्लास्टिक एक्सप्लोसिव) को रखने की जगह और इससे जुड़ी संदिग्ध सामग्री कहां मिल सकती है। इस दौरान पर मुझे एक लिंक मिला, जिससे पता चला कि आतंकवादियों ने दाणीलीमड़ा इलाके के एक घर में बम रखा था, इसकी सूचना मैंने अपने अधिकारी को दी और हम वहां पहुंच गए। उस समय हमें जो टिप्स मिले थे, उनसे आतंकवादी गतिविधि के पक्के सबूत हासिल हो गए।’
चार महीने घर नहीं गए, दिन-रात करते थे काम
टीम के ऊपर जल्द से जल्द पूरा केस खोलने का दबाव था। इसके चलते हमने चार महीने तक दिन-रात लगकर काम किया। हालत ऐसी थी कि हम सुबह नौ बजे खाना खा लेते थे और फिर पूरा दिन और रात ऐसे ही लगे रहते थे। चार महीने तक हम घर भी नहीं गए।
बिना रुके हजार किलोमीटर दूर कर्नाटक से लाए आतंकी
हमने पूरे देश में छिपे ब्लास्ट्स से जुड़े आतंकियों का पता लगाया और उन्हें अहमदाबाद क्राइम ब्रांच लाया गया। हम एक आरोपी को लेने कर्नाटक पहुंचे। हमें कहा गया था कि आरोपी को ले जाते समय इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आप पर हमला कर सकते हैं। आपको पीने के पानी के लिए भी वाहन रोकना नहीं है। हमने वही किया, कर्नाटक से चलने के बाद वाहन 1163 किलोमीटर दूर आकर अहमदाबाद में ही रुके। इसी तरह हम उज्जैन से भी आतंकवादियों को लाए।
गुजरात पुलिस के बेस्ट इंवेस्टिगेशन में से एक
बम बनाने में अमोनियम नाइट्रेट, वुडन फ्रेम, बैटरी, अजंता वॉच जैसे सामान का इस्तेमाल किया गया था। इससे पहले हमने कभी भी बम बनाने में इस तरह के सामानों का यूज होते नहीं देखा था। गुजरात पुलिस की यह अब तक की सबसे बेस्ट इंवेस्टिगेशन में से एक है, क्योंकि यह गुजरात पुलिस के लिए एक बहुत बड़ा चैलेंज था, लेकिन हमारी टेक्निकल नेटवर्क टीम और इंटेलिजेंस बहुत मजबूत था। इसके लिए करीब 350 पुलिस अफसरों की टीम लगाई गई थी। आखिरकार टीम ने अपना बेस्ट दिया और हम गुनहगारों को सजा दिलाने में कामयाब हुए।
– आर.वी. असारी (जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस, अहमदाबाद)