8 PHOTOS में अहमदाबाद ब्लास्ट की तबाही का मंजर … सड़क पर लाशें, हर तरफ चीख-पुकार; घंटेभर में रुक गई थीं 56 लोगों की सांसें

गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में शुक्रवार को सभी दोषियों को सजा सुनाई गई है। 38 दोषियों को फांसी और 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। यह पहला मौका है, जब भारत में किसी मामले में इतने सारे दोषियों को एक साथ फांसी की सजा सुनाई गई है। करीब 13 साल से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद पिछले सप्ताह 8 फरवरी को कोर्ट ने 49 लोगों को दोषी ठहराया और 28 लोगों को बरी कर दिया था।

अहमदाबाद में 13 साल पहले 70 मिनट में 21 धमाके हुए थे। शहर में सिलसिलेवार तरीके से हुए इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। इन धमाकों के बाद सड़कों पर लाशें और खून दिखाई दे रहा था, ऊंची-ऊंची बिल्डिंगें धराशाही हो गईं और गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए।

इन जगहों पर हुए थे 21 धमाके

  • अहमदाबाद सिविल अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर
  • खादिया
  • रायपुर
  • सारंगपुर
  • ए जी अस्पताल
  • मणीनगर
  • धमाके हाटकेश्वर
  • बापूनगर
  • ठक्कर बापा नगर
  • जवाहर
  • गोविंदवाडी
  • इसनपुर
  • नारोल
  • सरखेज

8 तस्वीरों में देखिए अहमदाबाद धमाकों के बाद का दर्दनाक मंजर…

इन धमाकों के चलते कई इमारतों में आग लग गई। इनमें फंसे लोगों को बचाने के लिए फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियों को लगाया गया।
इन धमाकों के चलते कई इमारतों में आग लग गई। इनमें फंसे लोगों को बचाने के लिए फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियों को लगाया गया।
धमाकों में जब गाड़ियों और बिल्डिंग का ये हाल हुआ तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इंसान के शरीर का क्या हुआ होगा।
धमाकों में जब गाड़ियों और बिल्डिंग का ये हाल हुआ तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इंसान के शरीर का क्या हुआ होगा।
धमाके के बाद स्कूटर पर किसी का जूता पड़ा था तो किसी का गमछा साइकिल के पहिए में फंसा था।
धमाके के बाद स्कूटर पर किसी का जूता पड़ा था तो किसी का गमछा साइकिल के पहिए में फंसा था।
इन धमाकों के बाद पूरे शहर में खौफ का माहौल था। हर ओर सिर्फ तबाही ही नजर आ रही थी।
इन धमाकों के बाद पूरे शहर में खौफ का माहौल था। हर ओर सिर्फ तबाही ही नजर आ रही थी।
धमाकों की चपेट में आए ज्यादातर लोगों को अस्पताल पहुंचने तक का समय नहीं मिला और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
धमाकों की चपेट में आए ज्यादातर लोगों को अस्पताल पहुंचने तक का समय नहीं मिला और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
धमाकों में कई इमारतें धराशायी हो गईं और बड़ी संख्या में वाहनों के परखच्चे उड़ गए थे।
धमाकों में कई इमारतें धराशायी हो गईं और बड़ी संख्या में वाहनों के परखच्चे उड़ गए थे।
कोई घर से सब्जी लेने निकला था तो कोई बच्चों के लिए फल, लेकिन उन्हें क्या पता था कि परिवारवालों को सड़क पर उनके चीथड़े मिलेंगे।
कोई घर से सब्जी लेने निकला था तो कोई बच्चों के लिए फल, लेकिन उन्हें क्या पता था कि परिवारवालों को सड़क पर उनके चीथड़े मिलेंगे।
गाड़ियों के टुकड़े दिख रहे थे, उनमें बैठे लोगों की बॉडीज का कोई पता नहीं था।
गाड़ियों के टुकड़े दिख रहे थे, उनमें बैठे लोगों की बॉडीज का कोई पता नहीं था।

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