जहां चाह वहां राह:उद्योग विभाग ने वायदे के मुताबिक नहीं की मदद तो 93 उद्यमियों ने अपने दम पर लगाईं यूनिट, काेई बैटरी बना रहा तो कोई ग्लास
जिला उद्योग केंद्र के जरिए लाेन व दूसरी सरकारी मदद की उम्मीद में पिछले 2 साल में 110 उद्यमियों ने अपने स्टार्टअप यूनिट शुरू करने के लिए आवेदन लगाए, लेकिन किसी तरह की मदद नहीं मिली। आखिर में इनमें से 93 उद्यमियों ने अपने दम पर स्टार्टअप यूनिट शुरू की। सिस्टम को दोष देने की बजाय इन उद्यमियों ने खुद से ही प्रयास किए और जिस समय कोरोना संक्रमण के चलते बड़े-बड़े इंडस्ट्री पर ताले लग रहे थे, ऐसे समय में इन उद्यमियों ने अपनी स्टार्टअप यूनिट शुरू करके शहर में लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा किए। ये उद्यमी अब देशभर में अपने उत्पाद सप्लाई करेंगे।
केस-1 : उद्योग विभाग से नहीं मिला रिस्पांस, खुद जुटाई पूंजी
तानसेन नगर औद्योगिक क्षेत्र में जमीन खरीदकर जहेंद्र सिंह कुशवाह ने बैटरी बनाने का प्लांट लगाया है। इनके द्वारा बनाई जाने वाली बैटरी टू व्हीलर और सिक्स व्हीलर तक के इलेक्ट्रिकल व्हीकल में इस्तेमाल होती है। बकौल जहेंद्र डेढ़ साल पहले जिला उद्योग केंद्र में आवेदन दिया था, लेकिन वहां से कोई रिस्पांस नहीं मिला तो अपनी जमा पूंजी केे 50 लाख रुपए खर्च कर यूनिट लगाई और वर्तमान में इस यूनिट के जरिए हम पॉलिटेक्निक और आईटीआई के 10 छात्रों को रोजगार दे रहे हैं। रोजगार के और भी कई अवसर पैदा कर रहे हैं।
केस-2 : फैक्ट्री में कई लोगों को देंगे रोजगार
तानसेन नगर औद्योगिक क्षेत्र में नितेश मंगल 10 लाख रुपए की पूंजी से ग्लास फैक्ट्री शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला उद्योग केंद्र में आवेदन करते वक्त ही बता दिया गया था कि सरकारी मदद मिलते मिलते 2 से 3 साल निकल जाएंगे। तब भी भरोसा नहीं है कि मदद मिल ही जाए, इसलिए हाथ पर हाथ धरकर बैठने के बजाय मैंने अपने दम पर ग्लास फैक्ट्री शुरू करने का निर्णय लिया है। हम कई लोगों को इसमें रोजगार भी देंगे। यहां तैयार किए गए ग्लास को देशभर में सप्लाई किया जाएगा।
फूड प्रोसेसिंग, प्लास्टिक, गारमेंट सहित अन्य सभी सेक्टर में लगाईं गईं यूनिट
पिछले 2 साल में 93 उद्यमियों ने अपने पैसे से फूड प्राेसेसिंग, स्टील, आयरन, प्लास्टिक, गॉरमेंट आदि की यूनिट शुरू की हैं। जिला उद्योग केंद्र में आए 110 आवेदनों में 10 लाख रुपए से लेकर 5 करोड़ रुपए की लागत से यूनिट शुरू करने वाले शामिल थे, लेकिन इनकी कोई मदद अफसरों ने नहीं की।
जिला उद्योग केंद्र कलेक्टर से मांग रहा जमीन
जिला उद्योग केंद्र के रिटायर हुए महाप्रबंधक अरविंद बोहरे ने बताया कि वे 31 जनवरी को रिटायर हुए हैं, उससे पहले उन्होंने खुद कलेक्टर को कई बार पत्राचार कर दीनारपुर में 11 हेक्टेयर व केदारपुर में 19 हेक्टेयर जमीन उद्योग केंद्र को आवंटित करने की मांग की थी। जिसमें दीनारपुर में जमीन आरक्षित भी हुई, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। हमें जमीन मिल जाती, तो स्टार्टअप उद्योग लगाने वालों को जमीन उपलब्ध करवा सकते थे।
इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए प्रयास करेंगे
हम पूरी कोशिश करते हैं कि नए उद्यमियों को सरकारी मदद जिला उद्योग केंद्रों के माध्यम से दिलाई जाए। अगर चूक हुई है तो मैं इसकी समीक्षा करूंगा। इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए जरूरी प्रयास करेंगे। -आशीष सक्सेना, संभागायुक्त