mp…. गेहूं और चावल की खरीदी का कर्जा 69 हजार करोड़ रुपए, 15 करोड़ रुपए रोज का देना पड़ रहा है ब्याज

प्रदेश में किसानों की गेहूं और चावल जैसी उपज की खरीदी और भंडारण करने का 69 हजार करोड़ रुपए का कर्जा हो गया है। यह कर्ज समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई लिमिट के आधार पर राज्य सरकार की गारंटी पर खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम और राज्य विपणन संघ जैसी संस्थाओं का है।

कर्ज इतना ज्यादा है कि सरकार को बैंकों के लिए 15 करोड़ रुपए रोज का ब्याज देना पड़ रहा है। महीने की यह राशि 434 करोड़ रुपए है। कर्ज बढ़ने और भारी भरकम ब्याज की वजह पिछले पांच सालों से पांच हजार गोदामों में भरे अनाज का सत्यापन न होना है।

इसमें खास यह भी है कि केंद्र ने 2018-19 में सरकार को 65 लाख टन गेहूं खरीदी की इजाजत दी थी, लेकिन खरीदी 67.50 लाख टन कर ली गई। इसमें केंद्र ने 2.50 लाख टन गेहूं का भुगतान करने से मना कर दिया जो लागत से कम कीमत पर बेचना पड़ा। यही हाल 2020-21 का है।

इस साल 103 लाख टन अकेले गेहूं की खरीदी हुई। गोदामों में रखने की जगह नहीं मिली तो 20 से 25 प्रतिशत गेहूं खुले कैप में और प्राइवेट गोदामों में रखा गया। इसमें से लगभग 10 प्रतिशत यानी 10 लाख टन गेहूं खराब होने की आशंका है।

दरअसल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित किए जाने वाले खाद्यानों में गेहूं और चावल की खरीदी राज्य सरकार केंद्र की एजेंसी के बतौर करती है। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में भी यह मामला उठा और राज्य सरकार की एजेंसियों (खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम और मार्केटिंग फेडरेशन) को हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए नई मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना शुरू करने को मंजूरी दी गई।

इस योजना से किसानों की उपज में अब केंद्र के साथ राज्य सरकार का भी अंश होगा। इसकी वजह यह है कि बैंकों का कर्ज इतना ज्यादा ही आगे नियमित खरीदी में दिक्कत हो सकती है। अब नियमित खरीदी की जा सकेगी। इस बारे में बुधवार को होने वाली खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग की समीक्षा में चर्चा होगी। जिन एजेसिंयों को हानि हो रही है उसकी भरपाई के लिए मापदंड तय करने कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित होगी।

गेहूं और चावल की खरीदी में बड़े कर्ज की यह रही वजह

राज्य सरकार ने जरूरत से ज्यादा गेहूं और चावल की समर्थन मूल्य पर खरीदी कर ली। पिछले पांच सालों से गोदामों का भौतिक सत्यापन नहीं हुआ है, जिससे यह तय नहीं हो पा रहा है कि भंडारण किए गए गेहूं की क्वालिटी कैसी है, कितना गेहूं भीगने की वजह से खराब हो गया है।

गोदामों में पिछले दो सालों से भरा अनाज

  • गेहूं- 65 लाख टन
  • चावल- 34 लाख टन
  • उड़द और मूंग- 80 हजार टन

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