सायबर बुलिंग के शिकार हो रहे बच्चे …. पुलिस के झंझट में नहीं पड़ना चाहते हैं पैरेंट्स; इसलिए ले रहे हैं सायबर एक्सपर्ट की मदद

सोशल मीडिया पर दोस्ती होने के बाद उसी दोस्त ने 14 वर्षीय किशोरी को अश्लील मैसेज, फोटो और कई तरह के अश्लील साइट के लिंक भेजे। किशोरी ने लिंक ओपन की फिर उससे रुपयों की मांग होने लगी। ऐसा नहीं करने पर फोटो सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दी तो किशोरी डर गई और घर में ही चोरी करके रुपए उसे देने लगी।

मां ने बेटी की हरकत को पकड़ा और उससे बातचीत की। कोहिफिजा निवासी पिता ने पूरा प्रकरण पुलिस को बताने की जगह सायबर एक्सपर्ट के माध्यम से सुलझाया। यह अकेला मामला नहीं है। सायबर बुलिंग के शिकार हो रहे बच्चों के मामले में पैरेंट्स पुलिस की नहीं, सायबर एक्सपर्ट व काउंसलर की मदद ले रहे हैं। शहर में ऐसे मामले सुलझाने के लिए 18 से अधिक सायबर एक्सपर्ट और काउंसलर सेवाएं दे रहे हैं।

8 से 17 साल तक के बच्चे हो रहे शिकार

चाइल्ड लाइन की अर्चना सहाय ने बताया कि ऐसे कई मामले हमारे पास भी आए। सबसे ज्यादा सायबर बुलिंग के शिकार 8 से 17 साल के बच्चे हो रहे हैं। इनमें से कई बच्चे ऐसे सामने आए हैं, जो ऑनलाइन गेम की लत के शिकार हो गए। इन्हें सोशल मीडिया दोस्तों ने फाइनेंस भी किया। फिर बच्चों पर रुपए देने के लिए दबाव बनाया। ऐसे में बच्चों ने घर में चोरी तक की। मामले में जब पैरेंट्स से केस दर्ज कराने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया।

उपाय- बच्चों को ऐसे बचाए सायबर बुलिंग से

  • मजबूत पासवर्ड बनाए। दुरुपयोग को रोकने के लिए रेगुलर उसे बदलते रहें।
  • सोशल साइट्स में गोपनीयता सेटिंग्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें
  • केवल अपने जानकार लोगों से बातचीत करें।
  • अकाउंट हैक या चोरी होने का शक हो तो तुरंत पुलिस और सायबर एक्सपर्ट की मदद ले।
  • यदि कोई बच्चा बुलिंग का शिकार हो रहा है या कोई परेशान कर रहा है तो उसी प्रकार की प्रतिक्रिया न करें।
  • हर उस चीज का स्क्रीनशॉट लें, जिसे आप समझते हैं कि ये सायबर बुलिंग हो सकती है, उसे सुरक्षित रखें।
  • यदि कोई आपको-परेशान करता है तो उसे ब्लॉक करें।

क्या है सायबर बुलिंग

बुलिंग का मतलब होता है तंग करना। ये बुलिंग इंटरनेट या डिजिटल तरीके से की जाए तो इसे सायबर बुलिंग कहते हैं। इन दिनों बच्चे एवं टीनेजर, फेसबुक, वॉट्सएप और इंस्टाग्राम पर सक्रिय हैं। यहां वो अपनी फोटो और पर्सनल डीटेल शेयर करते हैं। यहीं उनका सामना किसी बुलिंग करने वाले से हो जाता है।

यूनिसेफ ने भी खतरे को भांपा

यूनिसेफ ने इस खतरे को भांपते हुए ‘चाइल्ड ऑनलाइन प्रोटेक्शन इन इंडिया’ के नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें पाया गया कि इंटरनेट पर सक्रिय 43% बच्चे किसी ना किसी तरह सायबर बुलिंग का शिकार हुए हैं। 52% बच्चों ने माना कि वो खुद भी सायबर बुलिंग करने में शामिल हैं।

पैरेंट्स को मदद की आस- पुलिस में शिकायत करने को कहो तो कई पैरेंट पीछे हट जाते

हमारे पास हर महीने 7 से 8 केस आते हैं। इसमें पैरेंट्स कानूनी मदद लेते हैं। बुलिंग के शिकार हुए बच्चों की शिकायत पुलिस में करने को कहते हैं तो कई पैरेंट पीछे हट जाते हैं। ऐसे में उन्हें अन्य सायबर एक्सपर्ट की मदद लेने की सलाह देते हैं। कुछ पैरेंट चाहते हैं कि पुलिस मदद करे, लेकिन उसकी जानकारी किसी को न लगे। वैसे बच्चों के मामले में जेजे एक्ट के मुताबिक पुलिस भी गोपनीयता बनाए रखती है।
अक्षय वाजपेयी, एडवोकेट व सायबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट जिला न्यायालय भोपाल

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