नियम बन रहे रोड़ा:कारा की जटिल प्रक्रिया होने से बच्चों को गोद मिलने में देरी, इस साल 15 बच्चों को मिली गोद, पिछले साल 26 को मिली थीकारा

हाल ही में दो बच्चों को एक परिवार को गोद दिया गया। परिवार के पास 90 दिन का समय था बच्चों को लौटाने के लिए। परिवार और बच्चों के बीच तालमेल नहीं हो पाने से उन्होंने लौटा दिया। अब इन बच्चों को दोबारा गोद देने की प्रक्रिया में शामिल किया जाना है। ढाई महीने पहले उन्हें कारा की सूची में दोबारा जुड़वाने के लिए आवेदन किया गया, लेकिन अब तक उन बच्चों का नाम सूची में नहीं जुड़ पाया है। सेंट्रल एडॉप्टेशन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के माध्यम से बच्चों को गोद दिया जाता है, लेकिन कई दफा उन्हें लीगल-फ्री होने में महीनों का समय लग जाता है।

जटिल प्रक्रिया के चलते कई महीनों तक बच्चा परिवार को नहीं मिल पाता है। वर्ष 2021-22 में अब तक सिर्फ 15 बच्चों को गोद दिया गया है। वहीं साल 2020-21 में 26 बच्चों को गोद दिया गया था। इसके पहले यह संख्या 30 से 40 बच्चे प्रतिवर्ष भी रही है।

महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समिति के माध्यम से तीन अधिकृत संस्थाओं में बच्चों को भेजता है, जिनके माता-पिता नहीं होते या बच्चों को छोड़कर चले जाते हैं। वहां से कारा ही इन्हें गोद देती है। इंदौर राजकीय बाल संरक्षण आश्रम, सेवा भारती मातृछाया और संजीवनी सेवा संगम है। किसी दंपती द्वारा गोद लिए जाने से पहले तक बच्चे इन्हीं संस्थाओं में रहते हैं। यहीं से सारी प्रक्रिया होती है।

संस्थाओं में इतने बच्चे हैं

  • राजकीय बाल संरक्षण- 7
  • सेवा भारती मातृछाया- 5
  • संजीवनी सेवा संगम- 2

गोद लेने में यह आती है परेशानी

  • आवेदकों को कारा कभी फोन नहीं करती है। मैसेज या ईमेल भेजते हैं।
  • अनाथ बच्चों को गोद देने के पहले अखबार में विज्ञप्ति दी जाती है। दावा प्रस्तुत करने के लिए 60 दिन का समय दिया जाता है।
  • कई बार पुलिस से रिपोर्ट समय पर नहीं मिल पाती। इसकी बड़ी वजह इंदौर में अन्य जिलों से भी बच्चे आते हैं। ऐसे में लीगल-फ्री करने के लिए वहां की पुलिस की मदद लेना होती है।
  • कारा में स्टाफ कम कर दिया गया, जिसके कारण ऑनलाइन पत्राचार में देरी हो रही।

यह है आवेदन की प्रक्रिया

  • ऑनलाइन आवेदन के बाद फॉर्म स्वीकृति की सूचना मिलती है। पैन कार्ड नंबर देना होता है।
  • रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर व ई-मेल अकाउंट पर लॉग-इन आईडी व पासवर्ड आता है।
  • 30 दिन में सात तरह के डॉक्यूमेंट अपलोड करना होते हैं। तलाकशुदा या घर में पांच साल से बड़ा बच्चा हो तो डॉक्यूमेंट बढ़ जाते हैं।

माता-पिता को संस्थाओं द्वारा समय-समय पर बताया जा रहा है कि कैसे आवेदन करना है, ताकि फॉर्म रिजेक्ट ना हो। – अविनाश यादव, बाल संरक्षण अधिकारी

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