भविष्य का भानपुर:जहां 36.90 एकड़ में था कचरे का पहाड़, वहां 21 एकड़ में बनेगा कैफेटेरिया, 320 एलआईजी फ्लैट, आईएसबीटी; खर्च होंगे 130 करोड़

तस्वीर देखकर आप शायद ही यकीन कर पाएं। ये है राजधानी की भानपुर की खंती। कभी यहां 36.90 एकड़ जमीन पर कचरे का पहाड़ बना था। साल 1970 से यहां भोपाल का कचरा फेंका जा रहा था। नगर निगम की एक रिपोर्ट बताती है कि 2018 तक यहां 20 हजार टन से ज्यादा कचरा जमा था। इसकी बदबू दो से तीन किमी के क्षेत्र को सड़ा देती थी, लेकिन आज यहां चमन बरस रहा है। अब न कचरे का पहाड़ है और न ही बदबू। कुछ है भी तो वो है- भविष्य की भानपुर खंती की सुनहरी तस्वीर। और ये तस्वीर जल्द ही और खूबसूरत होने जा रही है।

यहां 21.03 एकड़ में 320 एलआईजी फ्लैट‌स, एक कैफेटेरिया, दो कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, विदिशा की तरफ जाने वाली बसों के लिए इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) बनने जा रहा है। भोपाल नगर निगम ने खंती की सफाई के बाद निकली जमीन के उपयोग का एक प्लान बनाकर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को भेजा है। यह पूरा प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर होगा। इस पर कुल 130 करोड़ रु. खर्च होने का अनुमान है। निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी का कहना है कि टीएंडसीपी की मंजूरी मिलते ही यहां काम शुरू हो जाएगा।

कचरे का सफाया- खंती को साफ किया, इनसर्ट वेस्ट को इकट्‌ठा कर 15 एकड़ में बना दिया 27 मी. ऊंचा घास का पहाड़

  • इस खंती में पहले जो कचरे के पहाड़ थे, उसे साफ करने के लिए निगम ने 2018 से काम शुरू किया।
  • 4 साल में 52 करोड़ रु. इस कचरे के साइंटिफिक क्लोजर पर खर्च हो चुके हैं। आज यहां 36.90 एकड़ जमीन में से 15.87 एकड़ पर 27 मी. ऊंचा हरी घास का पहाड़ बनाया गया है।
  • पहाड़ इनसर्ट वेस्ट से बना है। ये बारिश में ढह न जाए, इसके लिए इसमें जियो सेल्स लगाए गए हैं। इन सेल्स की जाली के ऊपर घास लगाई गई है।
  • मैन मेड हिल्स बारिश में खराब हो जाते हैं, इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए जियो सेल्स टेक्नोलॉजी उपयोग करते हैं।
  • कचरे से निकलने वाले काले गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए 50 क्यूबिक मी. प्रति घंटे की क्षमता का प्लांट लगाया गया है।
  • बड़ी बात ये है कि देश में कई शहरों में पुराने कचरे का रेमिडेशन हुआ है, लेकिन उसके बाद खाली हुई जमीन का कोई उपयोग नहीं किया गया। भोपाल पहला ऐसा शहर है जहां इस जमीन का व्यावसायिक उपयोग होगा।

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